अरोमा चिकित्सा पद्धति
2021-12-21 17:00:43
अरोमा थेरेपी (Aromatherapy) एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसमें पौधों के अर्क की सहायता से उपचार किया जाता है। अरोमा (Aroma) एक अंग्रेजी शब्द है। जिसका शाब्दिक अर्थ ‘महक’ होता है । इस थेरेपी में पेड़-पौधे और फल-फूलों से प्राप्त एसेंशियल ऑयल्स का प्रयोग होता है।
आसवन (Distillation) पद्धति द्वारा फूलों का अर्क निकाल कर दिया जाने वाला उपचार होने के कारण इसे इसेंशियल ऑयल थेरेपी भी कहते हैं। अरोमा थेरेपी से शरीर, मन और आत्मा के स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बढ़ाता है। इस थेरेपी को करने से स्ट्रेस और एंग्जायटी में भी राहत मिलती है।
अरोमा चिकित्सा पद्धति के फायदे
अरोमा थेरेपी तनाव से राहत पाने का कारगर उपचार है। इसमें सुगंधित फूलों के साथ तेल से शरीर की मालिश की जाती है। इससे तनाव और सिर दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। क्योंकि हमारे मस्तिष्क में सुगंधों को पहचानने वाले न्यूरोन्स होते हैं। यह न्यूरोन्स अरोमा थेरेपी में प्रयोग होने वाली सुगंध के कारण मस्तिष्क को सक्रिय बना देते हैं। अरोमा थेरेपी करने से चेहरे की चमक बढ़ने के साथ कील-मुहांसे आदि त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में भी मदद मिलती है। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और शरीर सक्रिय हो जाता है।
अन्य लाभ
- अरोमा थेरेपी दर्द का निवारण करती है।
- यह नींद की गुणवत्ता में सुधार लाती है।
- यह तनाव और चिंता को कम करती है।
- इससे शरीर के घाव जल्दी ठीक होते है।
- यह सिरदर्द और माइग्रेन का इलाज करती है।
- अरोमा थेरेपी कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करती है।
- इससे थकान को कम होती है।
- ये बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करती है।
- यह शरीर की पाचन क्रिया में सुधार करती है।
- यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि करती है।
कैसे काम करती है अरोमा चिकित्सा पद्धति?
आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार हमारी नाक में गंध ग्राही (smell receptors) होते हैं। जो नर्वस सिस्टम के माध्यम से दिमाग को मैसेज भेजते हैं। अरोमा थेरिपी में प्रयोग होने वाले एसेंशियल ऑयल दिमाग के लिम्बिक सिस्टम (Limbic system) पर अपना असर डालते हैं। लिम्बिक सिस्टम हमारी भावनाओं को नियंत्रित करता है। एसेंशियल ऑयल की महक ब्रेन (दिमाग) के हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) पर भी असर डालती है।
इससे हमारा दिमाग सेरोटोनिन हॉर्मोन (Serotonin hormone) स्रावित करता है। सेरोटोनिन एक फील गुड हॉर्मोन है, जो हमें अच्छा महसूस कराने के लिए उत्तरदायी होता है। इस प्रकार अरोमा थेरिपी से शरीर को कई प्रकार के लाभ पहुंचते हैं।
एसेंशियल ऑयल के गुण :
एसेंशियल ऑयल में कई तरह के एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सिडेंट आदि गुण होते हैं। अरोमा थेरेपी में एसेंशियल ऑयल का उपयोग मसाज करने, सूंघने और किसी विशेष स्थान पर लगाने के लिए किया जाता है।
अरोमा चिकित्सा पद्धति में प्रयोग होने वाले एसेंशियल ऑयल और उनके लाभ
तुलसी एसेंशियल ऑयल–
इसका इस्तेमाल डिप्रेशन की समस्या को दूर करने के लिए होता है। इसके अलावा सिरदर्द और माइग्रेन में भी तुलसी के तेल फायदेमंद होता है
काली मिर्च एसेंशियल ऑयल–
ब्लैक पेपर या काली मिर्च एसेंशियल ऑयल शरीर में मांसपेशियों के दर्द को दूर करता है।
यूकेलिप्टस एसेंशियल ऑयल–
यह कोल्ड और फ्लू में राहत देता है। इसे पिपरमिंट के साथ मिला कर गर्म पानी में डालकर सूंघने से बंद नाक में भी आराम मिलता है।
कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल–
कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल की मसाज करने से एक्जिमा (खुजली) ठीक होती हैं।
लौंग एसेंशियल ऑयल–
इस तेल को एक बेहतरीन पेनकिलर माना जाता है। दांत के दर्द में लौंग के तेल का प्रयोग अत्यंत लाभदायक होता है। इसका उपयोग मितली, उल्टी और गैस को रोकने के लिए भी किया जाता है।
लैवेंडर एसेंशियल ऑयल–
लैवेंडर एसेंशियल ऑयल एक एंटीसेप्टिक की तरह चोट और जले पर बहुत आराम पहुंचाता है। नींद लाने और मष्तिष्क को रिलैक्स करने में लैवेंडर तेल का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है। माइग्रेन और सिरदर्द की समस्या में भी लैवेंडर ऑयल का उपयोग किया जाता है।
नींबू का तेल–
नींबू का तेल खराब मूड को ठीक करने के काम आता है। साथ ही इसके प्रयोग से स्ट्रेस और डिप्रेशन में भी राहत मिलती है।
टी–ट्री ऑयल–
यह ऑयल बालों की देखभाल के लिए प्रयोग होता है। इसके अलावा मुंहासों के इलाज में भी टी ट्री ऑयल का उपयोग कर सकते हैं। इसका प्रयोग केवल बाहरी तौर पर किया जाता है। इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह जहरीला होता है।
रोजमेरी एसेंशियल ऑयल–
रोजमेरी एसेंशियल (गुलमेंहदी) ऑयल को बालों की वृद्धि, नर्वस सिस्टम को ठीक रखने, याददाश्त बढ़ाने और ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने के लिए उपयोग किया जाता है।
अरोमा चिकित्सा पद्धति की विधि;
अरोमा थेरेपी को मुख्यतः तीन तरीकों से किया जाता है-
इनडायरेक्ट इनहेलेशन (Indirect inhalation)-
इस विधि में एसेंशियल ऑयल की सुगंध को मरीज सीधे नहीं सूंघ सकता। बल्कि मरीज को एक कमरे में बैठा कर रूम डिफ्यूजर की मदद से कमरे की हवा में सुगंध को मिलाया जाता है। इस तरह से एसेंशियल ऑयल को मरीज के शरीर में पहुंचाया जाता है। इसके अलावा एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें रूई या टिश्यू पर डालकर कमरे में रख कर भी, इनडायरेक्ट इनहेलेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
डायरेक्ट इनहेलेशन (Direct inhalation)-
इस विधि के तहत मरीज को सीधे एसेंशियल ऑयल को सूंघने के लिए कहा जाता है। इसके लिए गर्म पानी में एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें डाल कर मरीज को सीधे भाप दी जाती है। जो सीधे मरीज की नाक में वाष्प के रूप में पहुंचता है।
मालिश (Massage)-
इसके लिए एक या एक से अधिक एसेंशियल ऑयल को मिला कर किसी अन्य बेस ऑयल (नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल) में कुछ बूंदें डालकर तैयार तेल से मरीज की मालिश की जाती है। इस प्रकिया में नहाने के पानी में बाथ सॉल्ट के साथ भी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल होता है।
अरोमा चिकित्सा पद्धति के साइड इफेक्ट्स;
अरोमा थेरेपी से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं-
- त्वचा पर रैशेज होना।
- तेज सिरदर्द होना।
- एलर्जिक रिएक्शन होना।
- मिलती और उल्टी आना।
- त्वचा संबंधी समस्या होना।
कब न लें अरोमा थेरेपी?
निम्नलिखित परिस्थितियों में एसेंशियल ऑयल का उपयोग सावधानी से करें-
- हे फीवर (किसी भी तत्व के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता)।
- मिरगी में।
- दमा रोग में।
- उच्च रक्त चाप से ग्रसित होने पर।
- खुजली होने पर।