शंखपुष्पी के फायदे एवं उपयोग
2022-05-24 12:29:43
प्राचीनकाल से आयुर्वेद में कई ऐसे ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनके बीज, छाल,पत्ते एवं फूलों का उपयोग शरीर को रोगों से छुटकारा दिलाने एवं उसे स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए किया जाता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक शंखपुष्पी भी है। जिसका उपयोग आयुर्वेद में आमतौर पर दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। इसके अलावा शंखपुष्पी के कई मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह मुख्य रूप से दिमाग को बल देने वाली, याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाने वाली औषधि है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज के तनावपूर्ण वातावरण मेंहर व्यक्ति को इसका उपयोग करना चाहिए। इस पौधे के फूल, पत्ते, जड़, तना और बीज सहित सभी हिस्सों का औषधि के तौर पर उपयोग किया जाता है।
क्या है शंखपुष्पी?
शंखपुष्पी पथरीली भूमि वाले जंगलों में पाई जाने वाली एक तरह का औषधीय पौधा (फूल) है। जिसका वानस्पतिक नाम कॉन्वोल्वुलस प्लुरिकायुलिस (Convolvulus pluricaulis) है। आमतौर पर शंखपुष्पी का फूल तीन रंगों (सफेद, नीला और लाल) में देखने को मिलता है। लेकिन औषधि के तौर पर विशेष रूप से सफेद रंग वाले फूलों के पौधों का उपयोग किया जाता है। इस पौधे के बीज सर्दियों के मौसम में झड़कर मिट्टी में मिल जाते हैं और पुनः बरसात के दिनों में खुद-ब-खुद पनपने लगते हैं। इसके तने लगभग 1 से 2 फीट की लंबाई तक फैलते हैं। वहीं, इसकी जड़ 1 से 2 इंच तक लंबी और मोटाई में उंगली के समान होती है। इसकी पत्तियों को मसलने पर मूली जैसी गंध आती है।
शंखपुष्पी के फायदे
याददाश्त में सुधार के लिए
आयुर्वेद में शंखपुष्पी को तंत्रिका टॉनिक कहा जाता है। क्योंकि शंखपुष्पी में ट्राइपटेनोइड, फ्लेवोनोल ग्लाइकोसाइड, एंथोसायनिन एवं स्टेरॉयड जैसे तत्व मौजूद हैं। यह सभी तत्व मस्तिष्क के विकास और स्मृति सुधार में मददगार होते हैं। इसी वजह से शंखपुष्पी का उपयोग याददाश्त कमजोर होने की समस्या में किया जाता है। इसके लिए शंखपुष्पी के जड़ सहित सभी भागों को पीसकर दूध या मक्खन के साथ शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है। साथ ही इससे व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है।
एकाग्रता बढ़ाने में मददगार
शंखपुष्पी को नोट्रोपिक (nootropic) औषधि अर्थात मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह औषधि तनाव को दूर कर और दिमागी क्षमता को बढ़ाकर ध्यान, एकाग्रता, स्मृति, बुद्धि और तंत्रिका से संबंधित विकारों में प्रभावशाली परिणाम प्रदान करती है। इसी वजह से शंखपुष्पी के फायदे एकाग्रता बढ़ाने में भी हैं।
तनाव को दूर करने के लिए
शंखपुष्पी का प्रयोग तनाव को दूर करने के लिए लाभप्रद माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा शंखपुष्पी में एंटी स्ट्रेस एवं एंटी डिप्रेसेंट गतिविधियां पाई जाती हैं, जो तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता करती है। इसके लिए इस पौधे के पंचांग का काढ़ा या इसके जड़ की चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से यह तनाव से छुटकारा दिलाने और अच्छी नींद लेने में मदद करती है।
मिर्गी ठीक करने में मददगार
मिर्गी के रोगियों के लिए शंखपुष्पी का सेवन अच्छा उपाय है। इसके लिए इसकी पंचाग का रस या चूर्ण को कूठ के चूर्ण के साथ समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है। इससे मरीज के दिमाग को शक्ति मिलती है। इसके अलावा हिस्टीरिया और उन्माद जैसे रोगों से छुटकारा दिलाने में भी शंखपुष्पी का उपयोग कारगर साबित होता है। इसके लिए शंखपुष्पी, वचा और ब्राह्मी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस मिश्रण को प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में लेकर दिन में तीन बार सेवन करें। ऐसा करने से हिस्टीरिया जैसे विकार ठीक भी ठीक हो जाते हैं।
कमजोरी से दिलाएं राहत
मानसिक दुर्बलता के अलावा शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी शंखपुष्पी का सेवन कारगर उपाय हैं। दरअसल, इस विषय में मधुमेह के रोगियों पर किए गए एक शोध के में पाया गया कि शंखपुष्पी का उपयोग करने वाले लोग मानसिक तौर पर मजबूत पाए गए। साथ ही उन लोगों में शारीरिक रूप से भी काफी सुधार देखा गया। इसप्रकार यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि शंखपुष्पी का नियमित उपयोग शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी कारगर साबित होता है।
मूत्र विकारों में लाभप्रद
मूत्र संबंधी समस्याओं में शंखपुष्पी बेहद लाभकारी औषधि है। पेशाब करते समय दर्द या जलन होना, रुक-रुक कर पेशाब आना, पेशाब में पस आ जाना आदि समस्याएं इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। इसके लिए रोजाना शंखपुष्पी के चूर्ण को गाय के दूध या मक्खन, शहद एवं छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
खूनी उल्टी में लाभदायक
शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने में भी.औषधि की तरह काम करती है। इसके लिए 4 चम्मच शंखपुष्पी का रस,1 चम्मच गिलोय का रस एवं 1चम्मच दूर्वा घास का रस मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से खूनी उल्टी में लाभ मिलता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए
शंखपुष्पी के सेवन से डायबिटीज के रोगियों को लाभ मिलता है। यह शरीर की सभी कोशिकाओं में नवशक्ति का संचार और डायबिटीज को नियंत्रित करने का काम करती है। इसके लिए शंखपुष्पी के चूर्ण को रोजाना गाय के दूध या पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना लाभप्रद होता है।
सर्दी, खांसी, बुखार और अस्थमा को ठीक करने में सहायक
मौसम बदलते ही सर्दी, खांसी, बुखार एवं अस्थमा जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि है। इसके लिए शंखपुष्पी के रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ करना फायदेमंद होता है। साथ ही बुखार, अस्थमा एवं पुरानी खांसी से छुटकारा पाने के लिए शंखपुष्पी की पत्तियों को सुखाकर हुक्के की तरह इस्तेमाल करने से भी लाभ मिलता है।
बवासीर एवं कब्ज को दूर करने में सहायक
बवासीर एवं कब्ज की समस्याओं में शंखपुष्पी अत्यंत कारगर होती है। इसके सेवन से आंतों के अंदर जमा हुआ (मलरूपी) विष बाहर निकलता है। जिससे कब्ज एवं बवासीर में आराम पहुंचता है। इसके अलावा शंखपुष्पी शरीर में पित्तदोष के रस का संतुलन बनाए रखने का काम करती है। जिससे एसिडिटी की समस्या से भी आराम मिलती है। इसके लिए शंखपुष्पी की पत्तियों के रस को 1 गिलास दूध में मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करें।
महिलाओं संबंधित समस्याओं में फायदेमंद
शंखपुष्पी का उपयोग स्त्री रोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों और एंडोमेट्रियम के लिए एक टॉनिक के रूप में कार्य करता है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या मे शंखपुष्पी के चूर्ण को हरड़, घी शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके उपयोग से मासिक धर्म नियमित हो जाता है। इसके अलावा शंखपुष्पी के चूर्ण का इस्तेमाल हैबिचुअल मिसकैरेज (बार-बार गर्भपात) के दौरान भी किया जाता है।
शंखपुष्पी के उपयोग
- शंखपुष्पी के चूर्ण को दूध या गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाता है।
- इसके चूर्ण को मक्खन या शहद के साथ उपयोग किया जाता है।
- शंखपुष्पी के पंचांग को अर्क या काढ़े के रूप में सेवन किया जाता है।
- शंखपुष्पीका उपयोग सिरप के रूप में भी किया जाता है।
शंखपुष्पी के नुकसान
- शतावरी उच्च रक्चाप (High Blood Pressure) को कम करने में सहायक होती है। इसलिए निम्न रक्तचाप के मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए इसका सेवन निषेध है।
- गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से बचना चाहिए या चिकित्सक की देख-रेख में इसका सेवन करें।