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सरसों एसेंशियल ऑयल की प्रक्रिया और फायदे

सरसों एसेंशियल ऑयल की प्रक्रिया और फायदे

2022-05-24 18:54:19

सरसों का तेल सरसों के बीजों को पीसकर निकाला जाता है। किंतु सरसों के एसेंशियल ऑयल को भाप आसवन (Stem Distillation) की प्रक्रिया द्वारा उत्पादित किया जाता है। इसलिए सरसों एसेंशियल ऑयल और सरसों के तेल दोनों अपनी निष्कर्षण विधि (Extraction method) और रासायनिक संरचना के आधार पर एक दूसरे से अलग होते हैं। सरसों एसेंशियल ऑयल मालिश, त्वचा सीरम और विभिन्न प्रकार के उपचार में प्रयोग होता है।

 

सरसों एसेंशियल ऑयल की निष्कर्षण प्रक्रिया-

 

सरसों एसेंशियल ऑयल के लिए सरसों के बीजों को पीसकर, पानी के साथ उबाला जाता है। उबालते समय बनने वाली बीजों की वाष्प को एक कंटेनर में इकट्ठा करके उसे ठंडा कर लिया जाता है। जिसे सरसों एसेंशियल ऑयल कहते हैं। सरसों एसेंशियल ऑयल बनाने की इस निष्कर्षण प्रक्रिया को स्टीम डिस्टिलेशन कहते हैं।

 

सरसों एसेंशियल ऑयल के फायदे;

 
हृदय स्वास्थ्य में सरसों एसेंशियल ऑयल के लाभ-
 

सरसों एसेंशियल ऑयल में मोनोअनसैचुरेटेड वसा और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होते हैं। जो खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में मदद करते हैं। कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने से रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स और वसा की मात्रा कम होती है। इससे गुर्दे की बीमारी, मोटापा और हाइपरथायरायडिज्म को रोकने में सहायता मिलती है। साथ ही ह्रदय भी स्वस्थ रहता है।

 
त्वचा के लिए सरसों एसेंशियल ऑयल के लाभ-
 

फटे पैरों को राहत देने के लिए मोम के साथ सरसों एसेंशियल ऑयल को मिलाकर उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग होममेड फेस मास्क बनाने के लिए भी किया जाता है। कुछ खास स्थानों पर सरसों एसेंशियल ऑयल को मालिश तेल के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है। जिससे हड्डियों को मजबूती और त्वचा को सुरक्षा मिलती है। इसके अलावा यह चेहरे पर पड़ने वाली रेखाओं और झुर्रियों को भी बढ़ने से रोकता है।

 
बालों के लिए सरसों एसेंशियल ऑयल के लाभ-
 

सरसों एसेंशियल ऑयल बालों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें ओलिक एसिड और लिनोलिक एसिड जैसे फैटी एसिड होते हैं। जो बेजान और रूखे बालों को पुनर्जीवित कर फिर से स्वस्थ बनाते हैं। यह बालों को झड़ने से रोकता है। यह स्कैल्प में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। सरसों एसेंशियल ऑयल में मौजूद फैटी एसिड बालों की जड़ों को पोषण देकर उन्हें मजबूत बनाने का काम करता हैं।

 
भूख वर्धक है सरसों एसेंशियल ऑयल-
 

कम भूख लगने वाले लोगों के लिए सरसों एसेंशियल ऑयल एक उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह लोगों की भूख बढ़ाकर कमजोरी और वजन कम होने की समस्या को दूर करता है।

 
मसूड़ों से संबंधित समस्याओं का इलाज है सरसों एसेंशियल ऑयल-
 

सरसों एसेंशियल ऑयल मसूड़ों की विभिन्न समस्याओं जैसे पीरियडोंटल रोग और दांतों के गिरने पर होने वाले दर्द आदि को ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए मसूड़ों पर सरसों एसेंशियल ऑयल को रगड़ना होता है। इससे मसूड़ों को मजबूती मिलती है।

 
सूजन और उसके दर्द में असरदार है सरसों एसेंशियल ऑयल-
 

सरसों एसेंशियल ऑयल ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत होता है। यह जोड़ों की सूजन को कम करता है। इसके अतिरिक्त संधिशोथ (गठिया) के दर्द में भी राहत प्रदान करता है।

 
बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण से बचाता है सरसों एसेंशियल ऑयल-
 

सरसों एसेंशियल ऑयल माइक्रोबियल और बैक्टीरियल संक्रमणों से बचने का एक प्रसिद्ध उपाय है। क्योंकि इस ऑयल में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं। जो न केवल बाहरी बल्कि आंतरिक संक्रमणों के लिए भी लाभप्रद होते हैं। संक्रमण से बचने के लिए इस तेल को घावों पर भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह ऑयल मूत्र पथ, बृहदान्त्र, पाचन तंत्र और उत्सर्जन प्रणाली में होने वाले संक्रमणों से लड़ने में भी सक्षम होता है।

 

सरसों एसेंशियल ऑयल के दुष्प्रभाव-

 
  • सरसों एसेंशियल ऑयल में भारी मात्रा में एरिक एसिड होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन दस्त, एनीमिया, कैंसर, हृदय और श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
  • सरसों एसेंशियल ऑयल एक उत्तेजक तत्व के रूप में कार्य करता है। इसलिए इसका अधिक इस्तेमाल संवेदनशील और न्यूरोक्सिटेशन जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
  • लंबे समय तक सरसों एसेंशियल ऑयल का सामयिक अनुप्रयोग करना त्वचा पर छाले जैसे विकारों को पैदा कर सकता है।

कहां पाई जाती है सरसों?

 

सरसों की खेती हिमालय की तलहटी में व्यापक रूप से की जाती है। वैश्विक स्तर पर यह मध्य पूर्व अफ्रीका और भूमध्य यूरोप में पाई जाती है। भारत में सरसों की खेती राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के क्षेत्रों में पर की जाती है। इसके अलावा यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के भी कुछ हिस्सों में उगाई जाती है। पीली सरसों को असम, बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है।

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