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बेल के उपयोग एवं फायदे

बेल के उपयोग एवं फायदे

2022-05-24 16:52:53

बेल एक सामान्य सा फल है। हिंदू धर्म में बेल और इसके पेड़ को पवित्र माना गया है। बेल का नाम सुनते ही सबसे पहले इसका जूस जहन में आता हैं। जो गर्मियों के दिनों में सड़क किनारे देखने को मिलता है। इस फल को केवल जूस के रूप में ही नहीं बल्कि सामान्य रूप से खाया भी जा सकता है। बेल को गोल्डन सेब, कड़वा नारंगी, पत्थर सेब या लकड़ी सेब के नाम से भी जाना जाता है। बेल में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो मोटापा, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। इसलिए इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता हैं।

 
क्या है बेल?

बेल एक तरह का फल है। जिसका बाहरी आवरण बेहद कठोर और गोल होता है। कच्चा रहने तक यह फल हरे रंग की सख्त परत से ढका रहता है और पकने पर यह पीले रंग का हो जाता है। जबकि इसकी बाहरी परत सख्त ही रहती है। बेल के अंदर पौष्टिक, सुगंधित, मीठा और रेशेदार गूदा होता है।

बेल का वैज्ञानिक नाम एगेल मार्मेलोस (Aegle Marmelos) है और अंग्रेजी में इसे वुड एप्पल और बिल्व बोला जाता है। बेल प्रकृति द्वारा दिया गया एक नायाब उपहार है। क्योंकि इसके पेड़ के हर एक हिस्से का प्रयोग औषधीय और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए किया जाता है।

 
बेल के फायदे-
गैस्ट्रिक अल्सर के लिए-

गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने के लिए बेल का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है। क्योंकि बेल में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने में मदद करते हैं।

कॉलरा के लिए-

कॉलरा को दस्त का मुख्य कारण माना जाता है। जोकि एक बैक्टीरियल संक्रमण है। इससे बचाव के लिए बेल को अच्छा माना गया है। क्योंकि बेल में एंटी-डायरिया गतिविधि होती है। जो कॉलरा के जोखिम को प्रभावी रूप से कम करती है।

 
सिरदर्द के लिए-

बेल में विटामिन-सी की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जो माइग्रेन (सिरदर्द की एक स्थिति) रोगियों में न्यूरोजेनिक सूजन को ठीक करने का काम करती है। इसलिए सिरदर्द के लिए बेल का सेवन अच्छा माना जाता है।

 
उल्टी के लिए-

उल्टी की समस्या होने पर बेल की जड़ से बने काढ़े का सेवन करना चाहिए है। क्योंकि बेल जड़ के काढ़े में एंटीबायोटिक क्रिया होती है। जो मतली और उल्टी के उपचार में मददगार साबित होती है।

 
आंखों के लिए-

आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने के लिए बेल का सेवन करना फायदेमंद होता है। क्योंकि बेल में विटामिन-ए की अच्छी मात्रा पाई जाती है। जो आंखों की रोशनी को बेहतर करने में मदद करती है।

 
हृदय स्वास्थ्य के लिए-

बेल को कार्डियोप्रोटेक्टिव का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। जो कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट की तरह सक्रिय रूप से कार्य करके हृदय को तमाम बीमारियों से बचाने का काम करता है। इसलिए ऐसे समय में बेल फल के गूदे का सेवन जरूर करना चाहिए।

 
मधुमेह के लिए-

मधुमेह के समय बेल का जूस पीना अच्छा रहता है। क्योंकि बेल में एंटी-डायबिटिक गुण होता है। जो मधुमेह और इसके जोखिमों को कम करने में मददगार साबित होता है।

 
बालों के लिए-

वैज्ञानिक मत अनुसार शरीर में आयरन और जिंक की कमी से बाल झड़ने की समस्या शुरू होती है। चूंकि बेल में आयरन और जिंक मौजूद होते हैं। इसलिए इसके सेवन से बालों का गिरना या झड़ना कम हो जाता है।

 
रूसी के लिए-

रूसी की समस्या को कम करने के लिए बेल का सेवन करना, एक अच्छा उपाय है। क्योंकि रूसी की समस्या को कम करने हेतु जिंक को जरूरी तत्व माना जाता है। जोकि बेल में पर्याप्त मात्रा में होता है। इसलिए बेल के सेवन से बालों की रूसी को खत्म किया जा सकता है।

 
सूजन के लिए-

कभी-कभी चोट लगने से शरीर के किसी अंग में सूजन आने लगती है। जिसे बेल के सेवन से रोका जा सकता है। क्योंकि बेल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो सूजन और उसके असर को कम करने का काम करते हैं।

 
पीलिया के लिए-

पीलिया होने का मुख्य कारण लिवर की सूजन होती है। इसलिए पीलिया से बचाव के लिए बेल को अच्छा माना गया है। क्योंकि एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक बेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो लिवर में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 
बवासीर के लिए-

बवासीर की मुख्य वजह कब्ज और लो फाइबर डाइट है। चूंकि बेल को कब्ज का इलाज करने और फाइबर का अच्छा स्रोत माना गया है। इसलिए इसका सेवन बवासीर से होने वाले जोखिमों को कम करने की ताकत रखता है।

 
एनीमिया के लिए-

एनीमिया होने पर शरीर के रक्त में रेड ब्लड सेल्स की कमी होने लगती है। एनीमिया का मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी का होना है। चूंकि बेल में आयरन की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। इसलिए इसको एनीमिया के लिए अच्छा माना जाता है।

 
टीबी रोग के लिए-

एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार बेल में एंटी-माइक्रोबियल क्रिया होती है। जो टीबी रोगी के शरीर में प्रभावी रूप से कार्य करते हुए एम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी रोग के जिम्मेदार बैक्टीरिया) और इसके दुष्प्रभाव को कम करने का काम करती है।

 
बेल का उपयोग-
  • पके हुए बेल के गूदे को सीधे खाया जा सकता है।
  • इसके गूदे का जूस बनाकर, पिया जा सकता है।
  • बेल फल का शरबत बनाकर, पिया जा सकता है।
  • बेल का मुरब्बा बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
 
बेल के नुकसान-
  • चूंकि बेल में शुगर की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन टाइप 2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।
  • चूंकि बेल में फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है। इसलिए किडनी की बीमारी से ग्रसित लोगों को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चूंकि बेल में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।
  • बेल के गूदे का सेवन करते समय इसके बीजों अच्छे से निकाल लेना चाहिए। अन्यथा वह गले में फंस सकते हैं।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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