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कैविटी के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

कैविटी के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

2022-05-24 15:09:17

आजकल बढ़ती बीमारियों के चलते लोग सेहत के प्रति जागरूक तो हो रहे हैं। लेकिन बहुत से लोग ओरल हेल्थ पर उतना ध्यान नहीं देते। जिसके कारण कैविटी जैसी समस्याएं दातों को धीरे-धीरे अपना शिकार बनाती हैं और दातों की स्थिति खराब करने लगती हैं। इसका मुख्य कारण आधुनिक जीवन शैली, गलत खान-पान और दिनचर्या में होने वाला बदलाव आदि शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर कई लोग भोजन करने के बाद कुल्ला करना और रात में सोने से पहले मुंह की अच्छे से सफाई करना भूल जाते हैं। नतीजन उन्हें आगे चलकर मुंह से संबंधित तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें दांतों में कीड़े लगना (कैविटी) भी शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार दातों में कैविटी (सड़न) होने पर तुरंत एंटीबायोटिक दवा खाने की बजाय घरेलू उपचार अपनाने चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार खानपान में सुधार, साफ-सफाई एवं घरेलू नुस्खों से दांतों की सड़न से छुटकारा पाया जा सकता है।  

 

क्या है कैविटी?

मुंह में कई सारे बैक्टीरिया (जीवाणु) मौजूद होते हैं। इनमें से कुछ जीवाणु मुंह को स्वस्थ्य रखने के लिए लाभकारी होते हैं। लेकिन कुछ बैक्टीरिया मौखिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। यह हानिकारक बैक्टीरिया मुंह में अम्ल (एसिड) बनाते हैं और दांतों की कठोर परत (एनामेल) को नष्ट करने लगते हैं। परिणामस्वरूप  दांतों का क्षय (Tooth decay) होने लगता है। जिसके कारण दांतों में छोटे-छोटे छिद्र हो जाते हैं। जिन्हें हम कैविटी कहते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों में उत्पन्न हो सकती है। लेकिन ज्यादातर यह बच्चों में देखने को मिलती है। यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो इसके कारण दर्द, सड़न और न जाने कितनी मौखिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

 

कैविटी या दांतो में कीड़े के प्रकार-

जगहों के आधार पर विभाजन-

जगहों के आधार पर कैविटी को दो भागों में विभाजित किया गया है। जो इस प्रकार हैं-

 
प्राइमरी कैविटी-

प्राइमरी कैविटी को मुख्य रूप से तीन भागों में बाटा गया हैं। जो निम्नलिखित हैं:

 
  • स्मूथ कैविटी- इस प्रकार के कैविटी में कीड़े दातों के चिकनी सतह पर लगते हैं।
  • पिट कैविटी- इस कैविटी को फिशर कैविटी भी कहा जाता है। इस प्रकार की कैविटी में कीड़े पिट और फिशर (वह दांत जिसके गहरे खांचे में दरार एवं छिद्र हो जाय) जगह पर लगते हैं।
  • रूट सरफेस कैविटी- इसमें कीड़े दातों के जड़ों में लगते हैं। इसके अलावा यह कीड़े जड़ों से दातों को खोखला कर देते हैं।
सेकंडरी कैविटी-

सेकेंडरी कैविटी को रिकरंत अर्थात बार-बार होने वाली कैविटी भी कहा जाता है। दातों की भराई करने के बाद भी दातों में कीड़े लगने लगते हैं। इस तरह के कैविटी को सेकेंडरी कैविटी कहते हैं।

 
दिशा के आधार पर विभाजन-
 
  • बैकवर्ड कैविटी- इस तरह की कैविटी में कीड़े भीतरी सतह से बाहरी सतह की ओर लगते हैं। इसमें कीड़े डेंटिल एनामेल जंक्शन से एनामेल तक फैल जाते हैं।
  • फॉरवर्ड कैविटी- इस तरह की कैविटी में कीड़े एनामेल से दातों के जड़ तक फैल जाते हैं।
 
गति के आधार पर विभाजन-
 
  • एक्यूट कैविटी- इस प्रकार के कैविटी में बहुत तेजी से कीड़े दांतो को खराब कर देते हैं।
  • क्रोनिक कैविटी- इसकी प्रकिया बहुत धीमी होती है। जो थोड़े समय बाद रुक भी जाती है।
 
चरण के आधार पर विभाजन-
 
  • रिवर्सेबल- इसमें कीड़े की गतिविधि केवल एनामेल तक होती है।
  • इर्रिवर्सेबले- इसमें एनामेल टूट जाता है और दातों के कीड़े भीतरी सतह तक पहुंच जाते हैं।  
 

क्या होते हैं कैविटी के लक्षण?

शुरूआत में कैविटी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन परेशानी बढ़ने पर कुछ लक्षण नजर आते हैं। आइए चर्चा करते हैं इन्ही लक्षणों के बारे में :

 
  • दांत में हल्का या तेज दर्द होना।
  • खाद्य या पेय पदार्थों से दांतों में ठंडा या गर्म का आभास होना।
  • दांतों में छिद्र या गड्ढे दिखाई देना।
  • दातों में झनझनाहट होना।
  • दांतों की सतह पर काले या भूरे रंग के धब्बों का दिखना।
  • चबाते समय दर्द का अनुभव होना।
  • मुंह, मसूड़ों या चेहरे पर सूजन होना।

कैविटी होने के कारण-

  • मीठे या चिपचिपे खाद्य पदार्थों का दातों पर लंबे समय तक चिपकना।
  • रात को सोते समय कुछ भी खाकर कुल्ला न करना।
  • सही तरीके से मुंह और दांतों की सफाई न करना।
  • दातों में बैक्टीरिया का इन्फेक्शन होना।
  • दातों की जड़ों का कमजोर होना।
  • मुंह में लार का कम बनना।
  • मुंह का सूखापन ।
  • हार्ट बर्न यानी सीने में जलन होना।
  • दातों को पर्याप्त मात्रा में फ्लोराइड न मिलना।
  • बार-बार खाना या पीना आदि।

कैविटी होने पर करें अपने खान-पान और जीवनशैली में बदलाव-

दांत के सड़न होने पर लोगों को अपना खान-पान ऐसा रखना चाहिए-

 
  • मीठे और चिपचिपे पदार्थ का सेवन कम से कम करें।
  • तंबाकू युक्त पदार्थों से दूर रहें।
  • बहुत ज्यादा ठंडा और गरम चीजें न खाएं।
  • कुछ भी खाने के बाद अच्छे तरीके से कुल्ला करें।
  • नियमित रूप से सुबह और सोने से पहले ब्रश से दांतों की सफाई करें।
  • दन्त चिकित्सक से दांतों का समय-समय पर चेकअप कराएं।
  • संभव हो तो अपने बच्चों के दाढ़ के दांतों में सीलेंट (एक सिरेमिक पाउडर, जो दांतों के खांचों में भरा जाता है) लगवाएं। ऐसा करने से खाद्य पदार्थ दांतों पर चिपकता नहीं है।

दांत दर्द के घरेलू उपचार-

दातों की हर समस्या में तुरंत आराम पाने के लिए घरेलू उपचार अपनाना फायदेमंद होता है, जैसे-

 
लौंग-

कैविटी के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए लौंग के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इसमें यूजेनॉल नामक यौगिक पाया जाता है। जो दांत के दर्द को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए रूई के टुकड़े पर दो से तीन बूंद लौंग का तेल लेकर प्रभावित दांत पर लगाएं। ऐसा करने से दांत संबंधी सभी समस्याओं में आराम मिलता हैं। इसके अलावा यूजेनॉल यौगिक का प्रयोग दन्त चिकित्सक जिंक ऑक्साइड के साथ कैविटी को अस्थायी रूप से भरने के लिए भी करते हैं।    

 
लहसुन-

लहसुन में एंटी बैक्टीरियल एजेंट पाए जाते हैं। जो दांतों की सड़न और दर्द के साथ-साथ सेंसिटिव दांतों की समस्या से भी छुटकारा दिलाते हैं। इसके लिए एक लहसुन की कली को पीस लें और थोड़ा सा पानी और नमक डाल लें। इसके बाद इसे प्रभावित जगह पर लगा लें। 10-15 मिनट तक लगा रहने के बाद गुनगुने नमक वाले पानी से कुल्ला कर लें। 

 
नमक का पानी-

नमक पानी के घोल से भी कैविटी का उपचार किया जाता है। इसका नियमित रूप से उपयोग करने पर यह एंटीप्लाक एजेंट की तरह काम करता है। इस प्रकार से नमक पानी का घोल प्लाक को खत्म करके कैविटी से बचाव करता है। इसके लिए एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें। गरारे करते समय थोड़ी देर तक मुंह में पानी रोकने की कोशिश करें।

 
हल्दी-

हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो दांतों को हर समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए आधा चम्मच हल्दी पाउडर में नमक और सरसों का तेल मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसका इस्तेमाल प्रभावित हिस्से पर करें।

 
हींग-

हींग का इस्तेमाल खाने में स्वाद और खुशबू के लिए किया जाता है। लेकिन यह कई तरह के घरेलू उपचार में भी फायदेमंद है। दांतों में सड़न होने पर चुटकी भर हींग को नींबू के रस में मिलाकर इसे रूई से दांत पर लगाने से हानिकारक बैक्टेरिया नष्ट हो जाते हैं। 

 
मुलेठी की जड़-

मुलेठी की जड़ दांत की हर समस्या में बेहद कारगर होती है। क्योंकि इसमें प्रभावशाली एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। जो हानिकारक जीवाणुओं का खात्मा करते हैं। इसके लिए मुलेठी की जड़ से दातुन करके उसके बाद कुल्ला करें।

 
नीम की दातुन करें-

नीम की नर्म दातुन करना दांत संबंधी तमाम परेशनियों को दूर करता है। नीम में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। जो कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं।

 
एलोवेरा जेल-

कैविटी का घरेलू उपचार करने के लिए एलोवेरा जेल भी लाभदायक साबित होता है। एलोवेरा में मौजूद एंटी माइक्रोबियल गुण कैविटी पैदा करने वाले हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। इसके लिए आधा चम्मच एलोवेरा जेल को टूथब्रश पर लगाएं। अब कुछ मिनट इससे दांतों को अच्छे से साफ करें। उसके बाद पानी से कुल्ला कर लें।

 
फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट-

फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट कैविटी को दूर करने में कारगर होता है। क्योंकि इस टूथपेस्ट में मौजूद फ्लोराइड दांत में आसानी से अवशोषित होता है। जिससे दांत मजबूत होते हैं। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि रोजाना फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से ब्रश करने पर दांतों के क्षय को रोका जा सकता है।

 
बेकिंग सोडा लगाएं-

बेकिंग सोडा में भी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। गुनगुने पानी में बेकिंग सोडा डालकर इससे कुल्ला करें। इससे दांतों की सड़न कम होती है। इसके अलावा गीली रुई में थोड़ा सा बेकिंग सोडा छिड़क कर इसे कैविटी वाले दांत पर लगाएं। 

 
टी बैग-

टी बैग का इस्तेमाल दांत के दर्द और सूजन को दूर करने के लिए भी किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीसेप्टीक सूजन और दर्द को दूर करता है। इसके अलावा यह दांत और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं को भी ठीक करता है। 

 

कैविटी होने पर कब जाएं डॉक्टर के पास?

ज्यादातर लोग दांत में किसी भी तरह की परेशानी जैसे सड़न, दर्द होने पर पेनकिलर या एंटीबायोटिक मेडिसिन लेने लगते हैं। जबकि सर्वप्रथम उपरोक्त बताए गए घरेलू उपाय करना चाहिए। यदि इन घरेलू उपायों के बाद भी परेशानी बनी रहे तो नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें। इसके अलावा निम्न अवस्था में डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करना चाहिए।

 
  • यदि दांत का दर्द लगातार बना रहे और घरेलू उपचार करने से आराम न मिल रहा हो।
  • मसूड़ों से खून एवं बदबू आ रही हो।
 

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