क्या है अपामार्ग(चिरचिटा) और इसके फायदे?
2022-05-25 18:14:25
अपामार्ग (चिरचिटा) एक साधारण-सा पौधा है। जो घरों के आस-पास खाली जगहों पर, जंगलों में, झाड़ियों और अन्य स्थानों पर देखने को मिल जाता है। कोई विशेष पहचान न होने के कारण अधिकांश लोग इसे बेकार एवं झाड़ी समझते हैं। लेकिन असल में अपामार्ग एक जड़ी-बूटी है।
जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसलिए पाचनतंत्र विकार, दांतों की समस्या और घाव सहित तमाम तरह के रोगों के उपचार में अपामार्ग का प्रयोग किया जाता है। अपामार्ग को प्राय: चिरचिरा, चिरचिटा, लटजीरा, चिचड़ा नामों से भी जाना जाता है।
क्या है अपामार्ग (चिरचिटा)?
आयुर्वेद के अनुसार अपामार्ग एक औषधीय जड़ी-बूटी है। इसके उगने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी है।अपामार्ग बारिश के मौसम में अंकुरित होता है। सर्दियों में फलता-फूलता है और गर्मियों में पूरी तरह बड़ा हो जाता है। इसी मौसम के अंत में यह पौधा फल सहित सूख भी जाता है। इसके बीज चावल जैसे और फूल हरी गुलाबी कलियों वाले होते हैं। अपामार्ग को एक तरह का कुख्यात पौधा भी कहा जाता है। क्योंकि इसके नुकीले बीज कपड़ों पर चिपक जाते हैं, जिन्हें निकालना मुश्किल होता है। इस रूप में इसके बीज पौधे की सुरक्षा के लिए ढ़ाल का काम करते हैं।
अपामार्ग (चिरचिटा) को कई आयुर्वेदिक दवाओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसके इस्तेमाल से खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित कई अन्य बीमारियों का उपचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त अपामार्ग का उपयोग शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए भी किया जाता है। अपामार्ग दो प्रकार का होता है। पहला- सफेद अपामार्ग और दूसरा- लाल अपामार्ग।
सफेद अपामार्ग- इसकी हरी रंग की डंठल और भूरी व सफेद रंग की पत्तियां होती हैं।
लाल या रक्त अपामार्ग- इसकी लाल रंग की डंठल होती है और लाल रंग की छींटों वाली पत्तियां होती हैं।
चिरचिटा के फायदे;
अपामार्ग (chirchita) में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य संबंधित तमाम दिक्कतों को ठीक करने में मदद करते हैं। अपामार्ग में ट्राइटरपेनोइड सैपोनिन तत्व होते हैं। जिनमें ऑलिओलिक एसिड एग्लीकोन के रूप में मौजूद रहता है। इसके अतिरिक्त चिरचिटा में पेंटेट्रियाकॉन्टेन, एंचेंटाइन, बीटाइन, ट्रिट्रीकॉन्टेन, 6-पेंटेट्रियाकोंटोनोन और हेक्साट्रियाकॉन्टेन भी मौजूद होते हैं। जो शरीर के लिए कई रूपों में फायदेमंद होते हैं। चलिए जानते हैं अपामार्ग से होने वालें इन फायदों के बारे में-
वजन कम करने में मददगार-
नियमित रूप से सुबह और शाम अपामार्ग (chirchita) का काढ़ा पीने से वजन नियंत्रित रहता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से वजन बढ़ता है। इसलिए अपामार्ग बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त यह शरीर में जमा वसा को भी कम करता है। परिणामस्वरूप शरीर का वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
शरीर का रक्त बढ़ाने में कारगर-
चिरचिटा शरीर में रक्त की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है। क्योंकि शरीर में रक्त की कमी होना तमाम बीमारियों का कारण होता है। इसलिए उन तमाम बीमारियों से बचने के लिए अपामार्ग के पेस्ट को आहार में शामिल करना एक अच्छा विकल्प है।
अस्थमा को ठीक करने में सहायक-
अपामार्ग में अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं को ठीक करने वाले गुण होते हैं। दरअसल अपामार्ग वायु मार्ग को खोलकर सांस लेने में होने वाली कठिनाई को कम करता है। इसलिए अपामार्ग के काढ़े का नियमित रूप से सेवन करना अस्थमा वाले मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।
घाव उपचार में लाभदायक-
अपामार्ग (chirchita and its benefits) का पेस्ट हर तरह की चोट और घाव को ठीक करने की ताकत रखता है। इसके अलावा चिरचिटा में मौजूद पोषक तत्व उल्टी और मतली की समस्या को भी दूर करने में सहायता करते हैं।
कान के दर्द में फायदेमंद-
कान के संक्रमण और दर्द को ठीक करने के लिए लटजीरा (चिरचिटा) का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले अपामार्ग की ताजी पत्तियों को साफ पानी में धोएं। अब इन पत्तियों को पीसकर रस निकाल लें। इस रस की कुछ बूंदों को कान में डालने से कान के संक्रमण और दर्द दोनों ठीक होते हैं।
आंखों के लिए उपयोगी-
आंखों की समस्याओं को ठीक करने के लिए लटजीरा (अपामार्ग) का उपयोग किया जाता है। इसके लिए अपामार्ग की ताजा जड़ को अच्छी तरह से साफ करके गुलाब जल के साथ पीसकर रस निकाल लें। अब इस रस का इस्तेमाल आंखों के संक्रमण के लिए करें।
बवासीर में लाभप्रद-
अपामार्ग की पत्तियों का इस्तेमाल बवासीर के इलाज के लिए किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले अपामार्ग की ताजी पत्तियों को साफ पानी में धोएं। अब इन पत्तियों को पीसकर पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट में तिल का तेल मिलाकर प्रभावित क्षेत्र में लगाने से बवासीर के दौरान होने वाला रक्तस्राव और दर्द कम होता है।
दस्त में लाभदायक-
अपामार्ग की सूखी पत्तियों को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को मिश्री या शहद के साथ दिन में दो बार लेने से दस्त में आराम मिलता है। इसके अलावा हर तीन-तीन घंटे बाद इसकी पत्तियों का दो से तीन चम्मच रस पीने से भी दस्त के उपचार में सहायता मिलती है।
दांतों के दर्द में असरदार-
- इस के रस में रूई को डुबाकर दांतों में लगाने से दांतों का दर्द कम होता है।
- इसकी ताजी जड़ से दातून करने से भी दांतों का दर्द ठीक होता है। साथ ही दांतों की सफाई दातों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी और मुंह की बदबू भी दूर होती है।
चिरचिटा के कुछ अन्य फायदे-
- इसके पत्तों से बने काढ़े से कुल्ला और गरारे करने से मुंह और गले के छाले ठीक होते हैं।
- इसके काढ़े को पानी में मिलाकर नहाने से खुजली की समस्या ठीक होती है।
- अपामार्ग (लटजीरा) के पत्तों को नग काली मिर्च और लहसुन के साथ पीसकर गोलियां बना लें। इन गोलियों का सेवन करने से ठंड लगकर चढ़ने वाल बुखार खत्म होता है।
- इसकी ताजी जड़ को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पथरी की समस्या में आराम मिलता है।
- बराबर मात्रा में हल्दी की गांठ और अपामार्ग की जड़ को लेकर बारीक पीस लें। इसे हाथ-पैरों के नाखूनों और सिर पर तिलक की तरह लगाने से चेचक नहीं निकलता। इसके अतिरिक्त चेचक के निकलने पर अपामार्ग (चिरचिरा) की साफ जड़ को पीसकर चेचक के दानों पर लगाने से उनकी जलन कम होती है।
अपामार्ग के नुकसान
- अपामार्ग की ओवरडोज (अधिक मात्रा) से जी मीचलाने और उल्टी आने की समस्या हो सकती है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपामार्ग के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि उनके लिए यह सुरक्षित नहीं माना जाता।
- अपामार्ग (chirchita) की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी पत्तियों और जड़ों के पेस्ट को स्किन पर सीधे न लगाएं। इसे स्किन पर लगाने के लिए पानी या दूध जैसे ठंडे पदार्थ का इस्तेमाल करें।
- 12 साल से कम उम्र के बच्चों को अपामार्ग नहीं देना चाहिए। यदि देना हो तो चिकित्सक के परामर्शानुसार कम मात्रा में ही दें।