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आयुर्वेद में पिप्पली के महत्व एवं फायदे

आयुर्वेद में पिप्पली के महत्व एवं फायदे

2022-05-24 12:27:26

सदियों से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर की विभिन्न समस्याओं के उपचार में किया जा  रहा है। खासकर आयुर्वेदिक उपचार में इनका विशेष महत्व है। उन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक पिप्पली भी है, जो शरीर के लिए बेहद लाभदायक मानी जाती हैं। यह जमीन पर फैलने वाली लता होती है। जिसकी औसतन ऊंचाई 1 से 2 मी.तक होती है। इसके गहरे रंग के चिकने पत्ते 2 से 3 इंच लंबे और 1 से 2 इंच चौड़े, ह्रदय के आकर के होते हैं। पिप्पली के पौधे बारिश के मौसम में फूलों से भर जाते हैं और ठंड के दिनों में इसके पौधों में फल लगते हैं। इसके फल लगभग 1 इंच के शहतूत आकार के होते हैं। इनके फलों को पिप्पली या पीपल और अंग्रेजी में लॉन्ग पेपर (Long Pepper)कहा जाता है। जिसका वानस्पतिक नाम पाइपर लांगम (Piper longum Linn.) है और यह पाइपरेसी (Piperaceae) परिवार से संबंध रखती है। आयुर्वेद में इसकी जड़, फूल, फल एवं गांठ कई औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। जिस कारण यह कई आयुर्वेदिक उपचार में काम आते हैं। इसके चूर्ण का प्रयोग दवा के रूप में होता है। पिप्पली खांसी, सर्दी-जुकाम, बुखार, श्वसन संबंधी रोग, दांतों के दर्द, जोड़ों के दर्द, सिर दर्द जैसी कई समस्याओं में फायदा करती  है।

 

आयुर्वेद में पिप्पली के महत्व-

  पिप्पली स्वाद में कड़वी और गर्म तासीर की होती है। इसके विभिन्न भाग जैसे जड़, फल, पत्ता आदि को स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद में  इसके पौष्टिक और उपचारात्मक गुणों की वजह से बहुत-सी बीमारियों के लिए इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पिप्पली एक ऐसा पौधा है, जिसमें कई तरह के गुण पाए जाते हैं। पिप्पली का उपयोग रोगों से छुटकारा दिलाने और शारीरिक दुख को दूर करने के लिए सदियों से होता आया है। यह मुख्य रूप से सर्दी, जुकाम, बुखार, दस्त, दांत के दर्द, जोड़ों के दर्द  और श्वसन संबंधित समस्याओं के लिए फायदेमंद साबित होता है। इन्हीं गुणों की वजह से पिप्पली को आयुर्वेद में उत्तम दर्जा दिया गया है।

 

पिप्पली के फायदे-
सर्दी-जुकाम,वायरल बुखार से छुटकारा पाने में मददगार-

 पिप्पली का सेवन सर्दी-जुकाम,वायरल बुखार से छुटकारा पाने का एक बेहतर विकल्प है। पिप्पली में आक्सीकरण रोधी गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके लिए पिप्पली, पीपलमूल, काली मिर्च और सोंठ के समभाग चूर्ण को 2 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ लें। ऐसा करने से वायरल इन्फेक्शन और बुखार के लक्षणों को कम करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है।

 

अस्थमा में लाभदायक-

पिप्पली में एंटीअस्थमा प्रभाव होता है। जो श्वसन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को कम करता है। इसके लिए 2 ग्राम पिप्पली को कूटकर 4 कप पानी में उबालें और दो कप पानी रह जाने पर उतार कर छान लें। अब इस काढ़े को  2-3 घंटे के अंतराल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन करने से कुछ ही दिनों में सांस फूलने की समस्या कम हो जाती है।

 

सिर दर्द से राहत-

 पिप्पली सिर दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए प्राकृतिक उपचारक है। इसके लिए पिप्पली की  जड़ को पानी में पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस लेप को माथे पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा पिप्पली और वच चूर्ण की बराबर मात्रा में लेकर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण के 3 ग्राम की मात्रा को प्रतिदिन दूध के साथ लेने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

दांत रोग के लिए फायदेमंद-

पिप्पली का उपयोग दैनिक रूप से दांत दर्द के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद रोगाणुरोधी गुण मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने एवं पनपने से रोकते हैं। पिप्पली मुंह में मौजूद प्लाक को दूर करने और मसूड़ों की सूजन को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसके लिए पिप्पली के चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी एवं सरसों का तेल मिलाकर बनाए गए मिश्रण को दांतों पर लगाएं। ऐसा करने से दातों एवं मसूड़ों के दर्द और सूजन दूर हो  जाती है। ।

 

जोड़ों में दर्द, गठिया के इलाज में-

पिप्पली में एंटी-अर्थरिटिक गुण पाए जाते हैं। जो गठिया से आराम दिलाने में कारगर है। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं। उनके लिए पिप्पली के काढ़े का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है।

 

सूजन के लिए-

पिप्पली एंटीऑक्सीडेंट और खनिजों से भरपूर होती  है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में सहायक है। इसके अलावा पिप्पली में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी सूजन को कम करने एवं रोकने में सहायक होता है।

 

दस्त के इलाज के लिए-

दस्त के समय भी पिप्पली का उपयोग किया जाता है। दरअसल, इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक, पिप्पली के मुख्य घटक पिपराइन में एंटी डायरियल गुण पाया जाता है। जो दस्त के दौराम मल की तीव्रता को नियंत्रित करने का काम करता है। इसके लिए पिप्पली को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को बकरी के दूध के साथ सेवन करने से दस्त में आराम मिलता है। इसके अलावा पेट संबंधी संक्रमण या दस्त के इलाज के लिए  पिप्पली के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना भी लाभप्रद होता है।

 

पेट की बीमारी में फायदेमंद-

यदि किसी को कब्ज की शिकायत हो तो उसके लिए पिप्पली का चूर्ण फायदेमंद है। इसके लिए पिप्पली और छोटी हरड़ को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस मिश्रण को हल्के गर्म पानी के साथ लें। इससे कब्ज भी दूर हो जाएगा। साथ ही ऐसा करने से पेट में दर्द, मरोड़, बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है।

 

लिवर के लिए-

पिप्पली का उपयोग लिवर को स्वस्थ रखने का काम करता है। क्योंकि पिप्पली में हेप्टोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) गुण मौजूद होते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य को बरकरार रखने का काम करते हैं। साथ ही यह लिवर से जुड़े जोखिमों से बचाता है। इस पर किए गए एक शोध के अनुसार पिप्पली में ग्लूटाथिओन (Glutathione) पाया जाता है। जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। वहीं, एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर यानी बिना शराब का सेवन किए लिवर में अधिक फैट जमने की समस्या से पीड़ित मरीजों के लिए ग्लूटाथिओन प्रभावी माना जाता है।

 

वजन कम करने के लिए-

पिप्पली का सेवन वजन को कम करने में लाभदायक होता है। इसके लिए 2 ग्राम पिप्पली के चूर्ण को शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करें। ऐसा करने से मोटापा कम होता है। इसके अलावा पिप्पली के चूर्ण को शहद के साथ प्रतिदिन सुबह सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता  है और ह्रदय संबंधी रोगों में भी लाभ मिलता हैं।

 

पिप्पली के नुकसान-

पिप्पली का सेवन सीमित मात्रा में करना सुरक्षित है। लेकिन इसका अधिक उपयोग करने से कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • हाथ-पैरों में जलन।
  • आंखों में जलन।
  • सिरदर्द, बेचैनी।
  • ह्रदय को नुकसान।
  • गर्भवती महिलाएं इसके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की  सलाह जरुर लें।

Disclaimer

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