सभी घरों में व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए जीरे का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग घरों में मसालें, अचार, काढ़ा, चूर्ण और जीरे के चावल इत्यादि के रूप में करते हैं। अपने गुणों के कारण अधिकांश लोग इसका प्रयोग जीरा पानी के रूप में भी करते हैं। इसके अतिरिक्त जीरा पाचन क्रिया, पेटदर्द और अन्य पेट संबंधि समस्यओं को कम करने का काम भी करता है। इसलिए आयुर्वेद में जीरे को एक उत्तम औषधि माना जाता है।
क्या होता है जीरा?
जीरा के बीजों को अंग्रेजी में क्यूमिन सीड्स (Cumin seeds) कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम (Cuminum cyminum) है। यह एक प्रकार का शाकीय पौधा होता है। जिसमें सफेद या लाल रंग के छोटे फूल लगते हैं। इन्हीं फूलों में जीरे के बीज लगे होते हैं। इसके बीज का रंग हल्के भूरे और देखने में सौंफ की तरह होते हैं। जीरे का पौधा एक से दो मीटर का होता है। इसका उपयोग सुगंधित जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद में जीरे का महत्व-
जीरे की तासीर गर्म होती है। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। जो त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को शांत रखने में मदद करते हैं। जीरे में कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम जैसे कई खनिज (मिनरल्स) तत्व भी पाए जाते हैं। जीरा का सबसे बड़ा फायदा इम्यूनिटी बढ़ाना (Increase Immunity) है। गर्मी के मौसम में जीरे का प्रयोग दही, छाछ, शिकंजी के साथ करने से यह शरीर को ठंडा रखता है। इसके अतिरिक्त जीरा का नियमित सेवन स्वास्थ्य को चुस्त और तंदुरुस्त रखता है।
जीरे के फायदे;
पाचन शक्ति में सहायक-
पाचन तंत्र में खराबी या गड़बड़ी होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। जिससे शरीर तमाम बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। लेकिन जीरे का नियमित सेवन पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए प्रतिदिन व्यायाम से पहले जीरे के पानी का सेवन करें।
रक्त को साफ करने में सहायक-
शरीर में विषाक्त पदार्थों का समावेश होने पर उस क्रिया को खराब खून कहा जाता है। जीरे में विटामिन-सी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो विषैले कण को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके लिए जीरे के पानी का सेवन करें। ऐसा करने से विषैले कण मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिससे रक्त की शुद्धि होती है।
वजन को कम करने में लाभप्रद-
जीरे में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। जो पेट के मोटापे को नियंत्रित रखने का काम करता है। दरअसल जीरा शरीर में फैट को जमने नहीं देता। परिणामस्वरूप मोटापा नहीं बढ़ पाता। इसके लिए रोजाना सुबह व्यायाम से पहले जीरे के पानी का सेवन उत्तम होता है। इसके अलावा जीरे का पानी एसिडिटी को कम करने और शरीर को हाइड्रेट रखने में भी मदद करता है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए-
जीरे में फास्फोरस, पोटैशियम, आयरन, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। जो हृदय स्वास्थ्य को लंबे समय तक अच्छा रखने का काम करते हैं। यह पोषक तत्व शरीर में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा यह रक्त कोशिकाओं के विकास के लिए भी जरूरी होते हैं। इस कारण, जीरे को हृदय के लिए अच्छा माना जाता है।
सर्दी-खांसी में असरदार-
जीरे के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। जीरे में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण खांसी और सर्दी से बचाने और इम्यूनिटी को बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसके लिए जीरा पानी में अदरक डालकर पीने से खांसी और सर्दी से राहत मिलती है। इसके अलावा यह बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ करने का काम भी करता है।
पेट विकारों में पहुंचाए राहत-
पेट में दर्द, सूजन, आफरा, गैस और एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जो पूरे शरीर को प्रभावित करती हैं। इन रोगों से निजात पाने के लिए घरेलू उपाय के रूप में जीरा एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए जीरे का चूर्ण बनाकर, गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट संबंधित विकार दूर होते हैं।
हड्डियों के लिए-
फास्फोरस और कैल्शियम हड्डियों के निर्माण और उनकी सेहत को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। चूंकि जीरे को कैल्शियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए जीरे का सेवन करना हड्डियों के लिए अच्छा होता है।
सूजन के लिए-
जीरा एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होता है। जो सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा जीरे में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी का प्रभाव भी सूजन को कम करने और रोकने में सहायता करता है।
मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रण करने में मददगार-
रक्त में शर्करा का लेवल कम या अधिक होना दोनों ही शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। ऐसे में नियमित रूप से जीरे का सेवन करना चाहिए। क्योकि इसमें कुछ ऐसे एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर में रक्तशर्करा को नियंत्रित रखते हैं। इसके अलावा मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए प्रतिदिन जीरे के पानी का सेवन करना भी लाभप्रद होता है।
गर्भावस्था में फायदेमंद-
मुख्य रूप से जीरा गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होता है। क्योंकि इस समय शरीर के हार्मोन्स में बदलाव होता है और गर्भाशय के कारण पाचन धीमा हो जाता है। जिससे पेट फूलना, आहार नली में गैस बनने जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में काले नमक युक्त जीरे पानी का सेवन करना लाभदायक होता है। क्योंकि इसमें मौजूद सक्रिय एंजाइम पाचन गतिविधि में वृद्धि करते हैं। साथ ही आंत संबंधित समस्याओं को भी दूर करते हैं। इसके अलावा जीरे का पानी मासिक धर्म में होने वाला दर्द और ऐंठन की समस्या से राहत दिलाने में सहायक होता है।
मां का दूध बढ़ाने हेतु-
जीरे में कैल्शियम और आयरन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह दोनों तत्व गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए सर्वोत्तम हैं। क्योंकि यह मां के स्तनों में की मात्रा दूध को बढ़ाता हैं। इसके अलावा माताओं के शिशु जन्म उपरांत खोई हुई ताकत और स्फूर्ति को वापस लाने में भी मदद करता है।
त्वचा विकारों को दूर करने में कारगर-
जीरा त्वचा संबंधी विकार जैसे दाग, खाज, खुजली, धब्बे, झुर्रियां आदि में बेहद लाभदायक होता है। इसमें विटामिन-सी, विटामिन-ई, विटामिन-के, एंटीऑक्सीडेंट आदि गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए जीरे पानी का लेप या पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाने से त्वचा विकार ठीक हो जाते हैं।
बालों के लिए-
जीरे में एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी दोनों गुण मौजूद होते हैं। जो स्कैल्प और बालों को साफ करने का काम करते हैं। इसके लिए जीरे का एसेंशियल ऑयल एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा काले नमक युक्त जीरे पानी से बाल धोने पर बालों की कंडीशनिंग भी होती है।
किन रूपों में होता है जीरे का उपयोग?
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जीरा के बीज और अदरक के चूर्ण को मिलाकर चाय या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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सब्जी बनाने से पहले जीरे का तड़के के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
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दाल में तड़का लगाने के लिए जीरे का प्रयोग किया जाता है।
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जीरे का उपयोग अचार के मसाले का जायका बढ़ाने में किया जाता है।
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जीरे का उपयोग बंगाली मसाला (पंचफोरन) मिश्रण तैयार करने के लिए भी किया जाता है।
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जीरा राइस का स्वाद बढ़ाने के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है।
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इसका इस्तेमाल जीरे का चूर्ण और जीरे पानी के रूप में किया जाता है।
जीरे के नुकसान-
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जीरे का अधिक सेवन करने के पश्चात धूप के संपर्क में आने से त्वचा पर दाग, धब्बे और रैशेज होने लगते हैं।
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अतिसंवेदनशीलता (हाइपर-सेंसिटिविटी) की समस्या वाले व्यक्ति को जीरे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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जीरे की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन, पाचन संबंधी समस्या और हार्ट बर्न का कारण बन सकता है।
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वातहर प्रभाव की वजह से इसका अधिक सेवन डकार का कारण बन सकता है।
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गर्भवती महिलाओं को जीरे के अधिक सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी होने की आशंका बढ़ जाती है।
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किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते समय चिकित्सक के परामर्शानुसार जीरे का सेवन करें।
कहां पाया जाता है जीरा?
जीरे की खेती पूरे भारत में की जाती है। भारत में जीरे का उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार और मध्यप्रदेश में बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है।