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जानें, कालमेघ के आयुर्वेदिक महत्व, फायदे और उपयोग

जानें, कालमेघ के आयुर्वेदिक महत्व, फायदे और उपयोग

2022-05-24 15:03:33

पुरातन काल से औषधीय पौधों का अस्तित्व रहा है। जिसका उपयोग मनुष्य रोग से छुटकारा पाने के लिए करता आया है। जिन पौधों से औषधि मिलती है। उनमें से अधिकतम पौधे जंगली होते हैं। इन्हीं पौधों में से एक कालमेघ भी हैं। जो आमतौर पर घरों के आस-पास, सड़कों के किनारे एवं जंगली-झाड़ियों में पाया जाता है। यह पौधा हरे रंग का और इसकी पत्तियों की बनावट मिर्च के पौधों तरह होती है। इसकी पत्तियों का स्वाद कड़वा होता है। इसलिए इसे बिटर के राजा (King of Bitter) के नाम से जाना जाता है। कालमेघ को कालनाथ, महातिक्त, हरा चिरेता (Green Chiretta) के नाम से भी जानते हैं। जिसका वैज्ञानिक नाम एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा (Andrographis Paniculata) है।

 
कालमेघ का औषधीय महत्व-

कालमेघ एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। कालमेघ स्वाद में जितना कड़वा होता है, उतना ही रोगों से लड़ने में फायदेमंद होता है। आमतौर पर कालमेघ का उपयोग बुखार, मुख्य रूप से डेंगू बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। साथ ही यह फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। कालमेघ में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण कॉमन कोल्ड, साइनसाइटिस और एलर्जी के लक्षणों का कम करने के लिए भी जाने जाते हैं। इसके अलावा कब्‍ज, भूख की कमी, आंतों के कीड़े, पेट की समस्‍या, त्‍वचा रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज कालमेघ का उपयोग किया जाता है। इसे अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही बेहतर उपाए के लिए जाना जाता है। अत: आयुर्वेद इसे में उत्तम औषधि माना गया है।

 
कालमेघ के फायदे-

निम्न बातों से हम जानेंगे कालमेघ के फायदे के बारे में;

 
वायरल बुखार से छुटकारा दिलाने में मददगार-

आयुर्वेद में कालमेघ का उपयोग पुराने से पुराने बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। कालमेघ में ऑक्सीकरण रोधी गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके लिए 3 से 4 ग्राम कालमेघ के चूर्ण को पानी में तबतक उबालें जबतक पानी का लगभग एक चौथाई भाग जल न जाए। उसके बाद इस पानी को पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा कालमेघ में एंटीवायरल गुण भी पाया जाता है। जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी वायरल इन्फेक्शन को रोकता है।

 
डेंगू और चिकनगुनिया के इलाज में कारगर-

कालमेघ को डेंगू और चिकनगुनिया के इलाज के लिए कारगर माना जाता है। डेंगू बुखार होने पर शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगती हैं। ऐसे में कालमेघ की गोली या काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ती हैं। इसके अलावा कालमेघ, सोंठ, छोटी पिप्पली और गुड़ के साथ तुलसी का काढ़ा बनाकर पीना भी डेंगू में लाभप्रद होता है।

 
रक्त को साफ करने में सहायक-

कालमेघ का उपयोग खून को साफ करने में औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो विषैले कण को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके लिए कालमेघ और आंवला के चूर्ण को रात में भिगोकर रख दें। अब सुबह इसके पानी को छानकर सेवन करें। ऐसा करने से विषैले कण मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिससे रक्त की शुद्धि होती है।  

 
त्वचा के लिए फायदेमंद-

कालमेघ में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा संबंधी कई समस्याओं को दूर करने में कारगर होते हैं। यह त्वचा की स्थिति जैसे मुंहासे, एक्जिमा, सामान्य शुष्क त्वचा के इलाज में मदद करते हैं। इसके लिए कालमेघ के पौधों को बारीक पीसकर पेस्ट लें। अब इस पेस्ट को प्रभावित अंगो पर लगाएं। ऐसा करने से यह मुंहासे और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है। साथ ही स्वाभाविक रूप से स्वच्छ, स्पष्ट, चिकनी और चमकदार त्वचा प्रदान करता है। इसके अलावा इसके काढ़े से घावों को धोने से घाव भी जल्दी ठीक होते हैं।

 
कृमि संक्रमण से छुटकारा दिलाने में- 

कालमेघ में एंटीपैरासिटिक गुण होता है। जिससे पेट व आंतों में होने वाले कीड़ों को नष्ट करने में मदद मिलती है। जिससे यह पेट के कीड़ों के लिए अच्छी औषधि है। इसके लिए कालमेघ के काढ़े का सेवन करना फायदेमंद होता है।

 
कब्ज से दिलाएं छुटकारा-

कालमेघ का चूर्ण पेट में मरोड़, कब्ज, दस्त आदि समस्याओं में आराम दिलाने में कारगर साबित होता हैं। इसके लिए कालमेघ, आंवला और मुलेठी के चूर्ण को तबतक उबालें जबतक पानी का लगभग आधा भाग जल न जाए। इसके बाद उस पानी को अच्छे से छानकर दिन में दो बार पिएं। ऐसा करने से कब्ज की शिकायत को दूर किया जा सकता है।

 
डायबिटीज (मधुमेह) को करे कंट्रोल-

कालमेघ में एंटी-डायबेटिक गुण पाए जाते हैं। जो डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायता करता है। इसके लिए कालमेघ पौधे के अर्क का सेवन टाइप 1 डायबिटीज के लिए प्रभावी रूप से काम करता है। इसके अलावा यह अग्नाशयी (पैंक्रियास) बीटा-कोशिकाएं कार्यप्रणाली को बढ़ाती है। साथ ही कम सीरम इंसुलिन सांद्रता को बढ़ाता है, जबकि ऊंचा सीरम ग्लूकोज को घटाता है।

 
अपच, हार्ट बर्न में फायदेमंद-

कालमेघ का स्वाद बहुत कड़वा होता है। आमतौर पर ऐसी मान्यता है कि कड़वी जड़ी-बूटी पाचन क्रिया को उत्तेजित करने के लिए फायदेमंद होती है। साथ ही यह अपच, एसिड रेफल्स, जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। मिशिगन मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार कड़वी जड़ी-बूटियों को पेट एसिड और पाचन एंजाइमों के अलावा लार के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है। यह शरीर की पाचन स्वास्थ्य को बेहतर करती है।

 
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार-

रोग-प्रतिरोधक क्षमता शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने का काम करती हैं। ऐसे में कालमेघ के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। क्योंकि इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाया जाता है। जो प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है।  जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। इसके लिए कालमेघ के काढ़े का कुछ दिन सेवन करना होता है। जिससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है।

 
अनिद्रा को दूर करने में सहायक-

अनिद्रा अर्थात नींद न आना कई कारणों से होती है। जिसमें चिंता, तनाव, अवसाद आदि शामिल है। ऐसे में कालमेघ का सेवन करना अच्छा होता है। कालमेघ के अर्क का सेवन करने से अनिद्रा की परेशानी दूर होती है। क्योंकि कालमेघ एंटी-स्ट्रेस की तरह काम करता है। जो तनाव को दूर करने में मदद करता है। जिससे अच्छी नींद आती है।

 
कालमेघ के उपयोग-
  • कालमेघ चूर्ण का सेवन पानी के साथ किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों के अर्क का सेवन किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों के पेस्ट को घाव पर लगाया जाता है।
  • कालमेघ की पत्तियों को जूस के रूप में भी पिया जाता है।
कालमेघ के नुकसान-
  • अतिसंवेदनशीलता (हाइपर-सेंसिटिविटी) वाले व्यक्तियों को कालमेघ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को कालमेघ के अधिक सेवन से बचना चाहिए।
  • इसका अधिक मात्रा में सेवन एलर्जी उत्पन्न कर सकता है।
  • कालमेघ का अधिक सेवन लो बीपी और लो शुगर का कारण बन सकता है।
  • कालमेघ के अधिक सेवन से भूख में कमी आ सकती है।
  • दूसरी दवाओं के साथ कालमेघ का सेवन इंफेक्शन कर सकता है। इसलिए किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते समय चिकित्सक के परामर्शानुसार ही कालमेघ का सेवन करें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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