Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

जानें, कुटज के आयुर्वेद में महत्व और फायदे

जानें, कुटज के आयुर्वेद में महत्व और फायदे

2022-05-24 12:01:04

कुटज एक औषधीय पौधा है। जिसका वानस्पतिक नाम हौलोरेना ऐन्टिडिसेन्ट्रिका (Holarrhena antidysentrica) है। यह पौधा भारत के समस्त पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। लेकिन अधिकांश रूप से यह हिमालय के क्षेत्रों में देखने को मिलता है। भारत में पुरातनकाल से ही कुटज का उपयोग कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में कुटज को करची, कुरची, कुटजा, कोनेस्स ट्री, दूधी, इंद्र जौ एवं वतसाक के नाम से भी जाना जाता है।

 

कुटज क्या है?

कुटज का पेड़ 10 से 20 फुट ऊंचा और बहुवर्षीय होता है। इस पेड़ पर फूल वर्षा ऋतु में और फल शीतऋतु में लगते हैं। कुटज को रंग के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला श्वेत कुटज और दूसरा कृष्ण कुटज। श्वेत कुटज की छाल और बीज दोनों का स्वाद अत्यंत कड़वी (कटु) और तीक्ष्ण होता है। जबकि कृष्ण कुटज स्वाद रहित होते हैं। इसलिए इसे मधुर कहा जाता है। इसके तने कई शाखाओं से युक्त एवं छाल एक चौथाई इंच मोटी, दानेदार, खुरदरी और भूरे रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां 6 से 12 इंच लंबे और 2 से 5 इंच चौड़े, अंडाकार, नुकीले और चिकने होते हैं। इसकी फूल चमेली के फूलों की तरह सफेद और हल्के सुगंध वाली होती हैं। इसके बीज जौ (यव) की तरह मटमैले, भूरे रंग के होते हैं। साथ ही इस बीज पर रोम पाए जाते हैं। इसीलिए इसे इन्द्रयव भी कहा जाता है। 

 

आयुर्वेद में कुटज के महत्व-

आयुर्वेद के अनुसार कुटज स्वाद में कड़वा और तासीर से गर्म होता है। यह कफ और पित्त के संतुलन को बनाए रखता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग डायरिया, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम(IBS)के इलाज के लिए किया जाता है। इसके फल बुखार, हर्पीज, बवासीर, थकान एवं त्वचा रोगों को दूर करने में मदद करता है। वहीं इसके तने ब्लीडिंग डिसऑर्डर, त्वचा रोग, ह्रदय रोग में फायदेमंद होता हैं। कुटज में एंटी फंगल और एंटी हीलिंग गुण पाए जाते हैं। जो किसी भी तरह के घाव को भरने में सहायक होता है। इसलिए कुटज के पौधे का छाल, बीज,फलों एवं समग्र भागों का इस्तेमाल औषधि एवं मलहम बनाने में किया जाता है। अतः अपने औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से इसे आयुर्वेद में उत्तम दर्जा प्राप्त है।  

 

कुटज के फायदे-
डायरिया और पेचिश में लाभप्रद-

आयुर्वेद में डायरिया जैसी बीमारियों को ठीक करने के लिए कुटज का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार डायरिया होने का मुख्य कारण कफ और वात का असंतुलन होता है। दस्त (तीव्र) में, आंत्रशोथ मल में बलगम और रक्त की उपस्थिति का कारण बनता है। दरअसल कुटज में क्षुधावर्धक और पाचक गुण होते हैं। जो पाचक अग्नि को बढ़ाकर बलगम को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा कुटज कसैले और शीतलन गुणों के कारण आंतों की सूजन को कम करके रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है।इसके लिए 1 चम्मच कुटज के पाउडर को पानी के साथ भोजन के तुरंत बाद लें। ऐसा करने से डायरिया और पेचिश में लाभ मिलता है।

 

पेट में दर्द एवं ऐंठन के लिए-

पेट में दर्द या ऐंठन से राहत पाने के लिए कुटज एक अच्छा उपाय है। क्योंकि इसमें एनाल्जेसिक गुण पाया जाता है। जो पेट के दर्द एवं ऐंठन से छुटकारा दिलाता है। इसके लिए इंद्रजाव (कुटज) के के बीज से बने काढ़े में हींग मिलाकर पिएं। ऐसा कम से कम दिन में 2 से 3 बार करने से पेट दर्द में राहत मिलती है।

 

खूनी बवासीर के इलाज में कारगर-

गलत खान-पान और अनियमित दिनचर्या त्रिदोष (कफ, पित्त और वात)के असंतुलन का कारण बनता है। जिससे भोजन ठीक तरह से पच नहीं पाता। कम पाचक अग्नि के कारण वात की अधिकता कब्ज की वजह बनती है। जिससे मलाशय क्षेत्र की नसों में सूजन पैदा हो जाता है। इस स्थिति में रक्तस्राव होने लगता है। दरअसल कुटज में पाचक और भूख बढ़ाने वाले गुण मौजूद हैं। यह पाचक अग्नि को बढ़ाता है। साथ ही अपने कसैले स्वभाव के कारण यह रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसके लिए कुटज की छाल के चूर्ण को शहद या मिश्री के साथ सेवन करना फायदेमंद है।

 

पीलिया, मलेरिया और डेंगू में लाभप्रद-

कुटज पीलिया, मलेरिया, डेंगू या अन्य कोई अंतर्निहित संक्रमण के लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक उपचारों में से एक है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह खाली पेट ताजा, मुलायम इंद्रयव के पत्तों के रस का सेवन करें। ऐसा करने से बिलीरुबिन का स्तर सामान्य होता है और लिवर की कार्यप्रणाली को उत्तेजित करता है। साथ ही इसमें हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद है। इसके अलावा इसमें एंटी मलेरिया और एंटी डेंगू गुण भी पाया जाता है। यह सभी गुण पीलिया, डेंगू और मलेरिया में सुरक्षात्मक और उपचारात्मक भूमिका के रूप में काम करते हैं।

 

पथरी के इलाज में सहायक-

कुटज के जड़ की चूर्ण का सेवन गुर्दे की पथरी को दूर करने में मददगार होता है। क्योंकि इसमें एंटीयूरोलिथिक गतिविधि पाई जाती है। जो गुर्दे (Kidney) में कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल के संचय को रोकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुर्दे की पथरी के अलावा गुर्दे संबंधित अन्य बीमारियों को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए कुटज के जड़ की चूर्ण को दही के साथ सेवन करना अच्छा माना जाता है।

 

मूत्र संबंधी विकारों में लाभप्रद-

कुटज के जड़ या छाल का उपयोग मूत्र संक्रमण और जलन को दूर करने के लिए पारंपरिक तौर पर किया जाता रहा है। इसके लिए 2 ग्राम जड़ या छाल की चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से पेशाब का उचित नियंत्रण होता है और जलन से राहत मिलती है।

 

मधुमेह (डायबिटीज) में लाभकारी-

मधुमेह के इलाज के लिए कुटज का पौधा काफी प्रभावी साबित होता है। इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक, कुटज में एंटीडायबिटिक गुण पाया जाता है। जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। दरअसल कुटज में करक्यूमिन नामक पदार्थ होता है। जो एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक और हाइपरलिपिडेमिक के गुण को प्रदर्शित करता है। यह कार्बोहाइड्रेट को अवशोषित होने से रोकता है। इसके अलावा कुटज यानी इंद्रयव ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन को कम करता है। जो टाइप 2 मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है।

 

त्वचा के लिए लाभदायक-

त्वचा संबंधी विकारों को ठीक करने के लिए कुटज औषधि की तरह काम करता है। दरअसल कुटज में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा में खुजली, लालपन, एक्जिमा चकते, फफोले एवं अन्य त्वचा से जुड़ी कई समस्‍याओं को दूर करने मदद करते हैं।इसके अलावा कुटज में हील‍िंग गुण होते हैं, जो घावों को भरने में सहायक होते हैं। इसके लिए कुटज का रस, पेस्‍ट, काढ़ा, लेप आद‍ि के रूप में इस्तेमाल करना लाभदायक है। इसलिए कुटज का उपयोग कई क्रीम कंपनी अपनी उत्पाद में प्रयोग करती हैं।

 

कुटज के नुकसान-
  • कुटज का अधिक सेवन उल्टी, मतली और आदि का कारण बन सकती है।
  • यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी दवा का सेवन कर रहा है। ऐसे में इसके सेवन से परहेज करें।
  • गर्भावस्था एवं स्तनपान करने वाली माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: