Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

जानें, सफेद मूसली के आयुर्वेद में महत्व, फायदे एवं उपयोग

जानें, सफेद मूसली के आयुर्वेद में महत्व, फायदे एवं उपयोग

2022-03-17 11:38:00

सफेद मूसली एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। जिसे भारतीय चिकित्सा पद्धति में “सफेद सोना या दिव्य सोना” के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी, एलोपैथिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सा में औषधी के तौर पर  होता है। है। क्योंकि इस पौधों में एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीट्यूमर  जैसे कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह सभी गुण शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी को ठीक करने का काम करते हैं। इसके अलावा सफेद मूसली एक कामोत्तेजक औषधी भी है। साथ ही यह मधुमेह और गठिया की समस्या को दूर करने में भी फायदेमंद  होती है।

 

क्या है सफेद मूसली?

सफेद मूसली एक उष्ण कटिबंधीय जड़ी-बूटी है, जो आमतौर पर प्रायद्वीपीय भारत के गीले जंगलों में पाई जाती है। यहजड़ी-बूटी लिलियासी परिवार से संबंध रखती है। जिसका वानस्पतिक नाम क्लोरोफाइटम बोरीविलियेनम(Chlorophytum Borivilianum) है। आयुर्वेद में मुख्य रूप से दो तरह की मूसली का वर्णन मिलता है। पहला सफेद मूसली और दूसरी काली मूसली। वैसे तो दोनों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में है, लेकिन आयुर्वेदिक दृश्टिकोण से सफेद मूसली काली मूसली की अपेक्षा अधिक फायदेमंद होती है।

 

आयुर्वेद में सफेद मूसली का महत्व

आयुर्वेद में सफेद मूसली का प्रयोग ब्रिहाना थेरेपी (Brihana Therapy) में किया जाता है। सफेद मूसली कामेच्छा बढ़ाकर यौन शक्ति को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करती है। एक अध्ययन में कहा गया है कि सफेद मूसली का उपयोग शीघ्रपतन को रोकने के साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या में सुधार के लिए भी किया जाता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार भी  सफेद मूसली ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाती है। इसके अलावा सफेद मूसली का प्रयोग मधुमेह (Diabetes), मांसपेशियों की कमजोरी (Muscular weakness), ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis), थकान (Fatigue), बॉडी बिल्डिंग (Bodybuilding) आदि बीमारियों के इलाज में बेहद फायदेमंद है।

 

सफेद मूसली के फायदे
यौन स्वास्थ्य

सफेद मूसली का उपयोग अच्छे यौन स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है। दरअसल, सफेद मूसली में उत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जो कामेच्छा को बढ़ाकर इजेकुलेशन (वीर्य स्खलन) को धीमा करते हैं।

 

भूख बढ़ाने में मददगार

सफेद मूसली यकृत (लिवर) और पेट पर सकारात्मक प्रभाव डालकर भूख बढ़ाने का काम करती  है। यह लिवर के कार्यों में सुधार कर उपापचय को उत्तेजित करती  है। सफेद मूसली गैस्ट्रिक डिस्चार्ज को बेहतर बनाकर भूख को बढ़ाती  है।

 

गर्भावस्था में फायदेमंद

गर्भावस्था में सफेद मूसली का सेवन करना लाभकारी होता है। क्योंकि यह कई प्रकार के तत्वों से भरपूर है। जिसे गर्भावस्था के समय मां और शिशु दोनों के लिए जरुरी माना जाता है। दरअसल यह पोषक तत्व भ्रूण के विकास, उसकी रीढ़ व मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। वहीं शिशु में जन्म के दौरान होने वाली विकृतियों की संभावना को भी कम करता है। इसलिए गर्भावस्था में सफेद मूसली का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा होता है।

 

बांझपन और नपुंसकता में लाभ

बांझपन और नपुंसकता जैसी समस्या में सफेद मूसली प्रभावी रूप से औषधि की तरह काम करती है। इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक, सफेद मूसली में एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में कारगर होता है। साथ ही स्पर्म यानी शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बेहतर करता है। इसके लिए सफेद मूसली के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें।

 

लिकोरिया से निजात दिलाने में सहायक

अगर किसी को सफेद पानी आने या लिकोरिया की समस्या है तो ऐसे में सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन बेहद कारगर उपाय है। इसको ठीक करने के लिए 1 से 2 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण को गाय के दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 

मूत्र संबंधित समस्याओं में लाभप्रद

कई बार लोगों को पेशाब करते समय जलन, दर्द या बार-बार पेशाब होने जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता हैं। ऐसे में सफेद मूसली इससे आराम दिलाने में कारगर साबित होती हैं। इसके लिए आधा चम्मच मूसली के  चूर्ण  का  गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करें। ऐसा करने से इन समस्याओं से निजात मिलती हैं।

 

ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने में लाभप्रद

सफेद मूसली का सेवन माताओं के स्तनों का दूध बढ़ाने में लाभप्रद होता है। इसके लिए सफेद मूसली के चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण की 2 से 4 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

 

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए

सफेद मूसली इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) को बढ़ावा देता है। सफेद मूसली में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त सफेद मूसली में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण कई तरह के बैक्टीरिया को दूर कर, शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

 

वजन बढ़ाने में सहायक

ऐसा माना जाता है कि शरीर का औसत से कम वजन अक्सर कमजोरी का कारण बनता है। ऐसे में सफेद मूसली का सेवन वजन को बढ़ाने में कारगर साबित होता है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, इसमें पाए जाने वाला एथेनोलिक अर्क प्रजनन अंगों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के अलावा वजन बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसके लिए सफेद मूसली के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करना अच्छा उपाय माना जाता है।

 

डायबिटीज (मधुमेह) के लिए

सफेद मूसली का इस्तेमाल डायबिटीज के लिए अच्छा होता है। यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, सफेद मूसली के अर्क में एंटी डायबिटिक और एंटीहाइपरग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा सफेद मूसली में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो ब्लड ग्लूकोज और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इसी वजह से सफेद मूसली मधुमेह की समस्या में आराम देने का काम करती  है।

 

तनाव को दूर करने के लिए

सफेद मूसली का प्रयोग तनाव को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा सफेद मूसली में एंटी स्ट्रेस एवं एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता करती है। इसके लिए सफेद मूसली के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से यह तनाव से छुटकारा दिलाने और अच्‍छी नीद लेने में मदद करता है।

 

गठिया एवं जोड़ों के दर्द में फायदेमंद

सफेद मूसली में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। जो गठिया की वजह से होने वाले जोड़ों के दर्द एवं सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। एनसीबीआई  की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार सफेद मूसली में सैपोनिन नामक यौगिक पाया जाता है,जो एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी अर्थरिटिक गुणों को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार सफेद मूसली गठिया एवं जोड़ों के दर्द और सूजन के लिए उपयोगी माना जाता है। 

 

सफेद मूसली का उपयोग
  • सफेद मूसली का  कैप्सूल या टेबलेट के रूप में सेवन किया जाता है।
  • सफेद मूसली के पाउडर को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन किया जाता है।
  • कई लोग इसकी जड़ को पीस कर शहद के साथ मिलाकर सेवन करते हैं।
  • कई जगहों पर महिलाएं गर्भावस्था के समय इसे लड्डू और मिठाई के रूप में सेवन करती हैं।

 

सफेद मूसली का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां
  • सफेद मूसली के चूर्ण का अधिक मात्रा में सेवन न करें।   
  • इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरुर लें।
  • लो ब्लड शुगर से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • सफेद मूसली का अधिक मात्रा में सेवन पेट एवं आतों से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता हैं। जिसमें गैस, एसिडिटी, कब्ज इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आदि शामिल हैं। 
  • सफेद मूसली का उपयोग गर्भावस्था के दौरान सीधे तौर पर न करें। साथ ही इस दौरान चिकित्सक के परामर्शानुसार ही इसका सेवन करें।

 

कहां पाया जाता है सफेद मूसली?

सफेद मूसली मुख्य रूप से पश्चिमी हिमालय, उत्तराखण्ड और पंजाब में लगभग 1600 मीटर की ऊंचाई तक मिलती  है। इसके अलावा इसकी खेती मध्य भारत में भी की जाती है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: