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जानें, विदारीकंद के आयुर्वेद में महत्व, फायदे एवं उपयोग

जानें, विदारीकंद के आयुर्वेद में महत्व, फायदे एवं उपयोग

2022-05-24 12:03:03

विदारीकंद एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका उपयोग रोगों से छुटकारा दिलाने और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए सदियों से किया जाता रहा है। यह मुख्य रूप से स्त्री रोग, यौन संबंधी समस्याएं, शारीरिक कमजोरी और मूत्र संबंधित रोगों में काफी फायदेमंद है। औषधीय गुणों से भरपूर विदारीकंद खाने में मधुर एवं स्वभाव से ठंडी होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और वात, पित्त कम करती है। इसमें  फोलिक एसिड प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त विकारों को दूर करने में मदद करता है। इसलिए इसे आयुर्वेद में उत्तम दर्जे की औषधि माना गया है।

क्या होता है विदारीकंद?

विदारीकंद बेल या झाड़ के रूप में पाई जाने वाला एक बारहमासी औषधीय पौधा है। जिसका वानस्पतिक नाम प्युरॅरिआ ट्युबरोजा (Pueraria tuberosa) है। इसे इंडियन कुडजू के नाम से भी जाना जाता है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है। इसकी एक बेल के नीचे कई अधिक जड़ें लगी होती हैं। विदारीकंद के जड़ में इसके फल लगे होते हैं जो 1 से 2 फुट लंबे और 1 फुट मोटे होते हैं। इसके फल के छिलके हल्के भूरे रंग का और अंदर का गुदा सफेद रंग का होता है । इसके फल स्वाद एवं आकार में यष्टिमधु की तरह होता है। इसलिए इसे स्वादुकन्द भी कहा जाता है। इसके नवीन फल बाजारों में सुराल के नाम से बिकते हैं। इसकी लता घोड़े को अति प्रिय होती है। इसलिए इस जड़ी-बूटी को गज वजिप्रिया के नाम से भी जानते हैं। ज्यादातर यह जड़ी-बूटी नदी, नालों के किनारे एवं हिमालय के निचले पहाड़ों के लगभग 1300 मी ऊंचाई पर देखने को मिलती है।

आयुर्वेद में विदारीकंद के महत्व-

आयुर्वेद में विदारीकंद एक कायाकल्प औषधि है। आयुर्वेद में इस जड़ी-बूटी के कंद का ज्यादातर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा विदारीकंद का उपयोग महिलाओं में प्रजनन टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है, जो महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधी समस्याएं, रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़ सिंड्रोम) और गर्भाशय की कमजोरी का इलाज करता है। 

विदारीकंद की प्रकृति शीतल होने के कारण यह शरीर में जलन, अधिक गर्मी और रक्तस्राव विकारों में लाभकारी है। यह जड़ी-बूटी कामोत्तेजक भी है। इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी को दूर करने, और मां के दूध को बढ़ाने में मदद करती हैं। विदारीकंद के फलों या कंदो का उपयोग सीने में दर्द, गठिया और बुखार के लिए भी किया जाता है।  -

विदारीकंद के फायदे-

मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभप्रद-

विदारीकंद का उपयोग महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों और एंडोमेट्रियम के लिए एक टॉनिक के रूप में कार्य करता है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या मे विदारीकंद के चूर्ण का सेवन करना लाभप्रद होता है। इसके उपयोग से मासिक धर्म नियमित हो जाता है। साथ ही मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करता है। 

स्तनों में दूध बढ़ाने में लाभप्रद-

विदारीकंद चूर्ण का सेवन माताओं के स्तनों का दूध बढ़ाने में फायदेमंद होता है। इसके लिए विदारीकंद चूर्ण का दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त विदारीकंद के जड़ का दूध के साथ पीसकर सेवन करने से स्तनों में दूध अधिक होता है। साथ ही दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।

पौरुष शक्ति के लिए-

जो लोग शारीरिक कमजोरी या सेक्सुअल स्टेमिना की कमी महसूस कर रहे हैं, उनके लिए भी विदारीकंद का सेवन बेहद लाभदायक होता है। इसके लिए विदारीकंद के  चूर्ण को घी में भूनकर दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करें। ऐसा करने से शीघ्रपतन, वीर्य की कमी और धातु दुर्बलता में लाभ मिलता है। इसके अलावा विदारीकंद चूर्ण, घी, और मधु को विदारीकंद स्वरस में मिलाकर सेवन करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही वीर्य की भी वृद्धि होती है।

रक्त की कमी को दूर करने में कारगर-

विदारीकंद शरीर में रक्ताल्पता यानी रक्त की कमी को भी दूर करने की क्षमता रखता है। इसके लिए विदारीकंद के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से शरीर में धीरे-धीरे रक्त निर्माण की प्रक्रिया में सुधार होता है। परिणाम स्वरूप शारीरिक कमजोरी दूर होने लगती है। इसके अतिरिक्त विदारीकंद का शाक बनाकर खाने से रक्त की शुद्धि होती है। जिससे रक्त विकार दूर होते हैं।

कमजोर बच्चों के लिए फायदेमंद-

शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए विदारीकंद एक फायदेमंद औषधि है। यह बच्चों के शरीर की दुर्बलता पर सकरात्मक प्रभाव डालता है। इसके लिए विदारीकंद के एक ग्राम चूर्ण को मुनक्का के साथ रोजाना देने से बच्चों का शरीर मजबूत होता है। इसके अलावा विदारीकंद चूर्ण को 1ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बच्चों की कमजोरी दूर होती है।

मूत्र संबंधित समस्याओं में लाभप्रद-

कई बार लोगों को पेशाब करते समय जलन, दर्द या बार-बार पेशाब होने जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता हैं। ऐसे में विदारीकंद इस समस्या से राहत पहुंचाने का काम करती हैं। इसके लिए विदारीकंद की जड़ के चूर्ण को शहद मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से इन समस्याओं से निजात मिलती हैं। 

गठिया एवं जोड़ों के दर्द में फायदेमंद-

विदारीकंद में कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। जो गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द एवं सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। दरअसल, विदारीकंद में एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी एनाल्जेसिक गुण मौजूद हैं। इस प्रकार विदारीकंद गठिया एवं जोड़ों के दर्द और सूजन के लिए उपयोगी माना जाता है। 

कैंसर रोधी गुण-

आयुर्वेदिक चिकित्सा में विदारीकंद का उपयोग कैंसर के इलाज में किया जाता है। क्योंकि इसमें एंटी कैंसर अर्थात कैंसर से लड़ने वाले पर्याप्त गुण मौजूद हैं। जो कैंसर कोशिकाओं से डी.एन.ए. को बचाते हैं और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करते हैं।

घाव को ठीक करने में सहायक-

विदारीकंद घावों को भरने के लिए बहुत ही लाभकारी औषधि है। क्योंकि इसमें वूंड हीलिंग और संक्रमण को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए विदारीकंद का इस्तेमाल किसी भी तरह की चोट, घाव, ब्लीडिंग और इंफेक्शन को ठीक करने में किया जाता है। इसके लिए विदारीकंद के जड़ के पेस्ट को घाव पर लगाएं। इससे घाव शीघ्र भरता है। साथ ही ऐसा करने से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

विदारीकंद का उपयोग-

●विदारीकंद का कैप्सूल या टेबलेट के रूप में सेवन किया जाता है। 

●विदारीकंद के चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन किया जाता है। 

●विदारीकंद को घी में रोस्टेड (भूनकर) इस्तेमाल किया जाता है। 

●इसकी जड़ से बने काढ़े का उपयोग किया जाता है। 

●विदारीकंद का सेवन ताजे जूस के रूप में कर सकते हैं। 

●इसकी जड़ का पेस्ट बनाकर बाहरी लेप के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

विदारीकंद का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां-

●विदारीकंद के चूर्ण का अधिक मात्रा में सेवन न करें।    

●इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरुर लें। 

●लो ब्लड शुगर से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए। 

●विदारीकंद का अधिक मात्रा में सेवन खुजली या किसी भी प्रकार की एलर्जी जैसी समस्याओं का कारण बन सकता हैं। 

 
 
 

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