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मण्डूकपर्णी क्या है? जानें, इसके स्वास्थ्य लाभ, उपयोग और दुष्प्रभाव

मण्डूकपर्णी क्या है? जानें, इसके स्वास्थ्य लाभ, उपयोग और दुष्प्रभाव

2022-07-18 00:00:00

मण्डूकपर्णी को आम बोलचाल की भाषा में गोटू कोला के नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन सुगंधित बारहमासी जड़ी बूटी है। मंडुकपर्णी की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के दो शब्दों से हुई है। पहला ‘मंडूक’ जिसका शाब्दिक अर्थ मेढक और दूसरा ‘पर्णी' अर्थात पत्तियां होती है। इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है किइसकी पत्तियों का आकार चमड़ी वाले मेंढक के पैरों जैसा दिखता है। मण्डूकपर्णी एक लता होती है जिसकी जड़ें शाखाओं की गांठों पर होती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम सेंटेला एशियाटिका (Centella Asiatica) है।

मण्डूकपर्णी समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में पाया जाता है और पूरे विश्व में इसकी खेती की जाती है। आमतौर पर यह एशियाई क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक फूल वाला पौधा है, जिसे खाने और चिकित्सीय प्रयोजन में प्रयोग किया जाता है।

मण्डूकपर्णी के औषधीय गुण

मण्डूकपर्णी में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कई शारीरिक समस्याओं के इलाज में मदद करते हैं। यह इस प्रकार हैं

  • एडाप्टोजेन (Adaptogen) - शरीर को तनाव मुक्त रखने में मदद करता है।
  • एनाल्जेसिक (Analgesic)- दर्द से राहत दिलाता है।
  • एंजियोजेनिक (Angiogenic)- नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देता है।।
  • एंटी कंवलसेन्ट (Anticonvulsant)- दौरे को रोकने या राहत देने का काम करता है।
  • अवसाद रोधी (Antidepressant)- अवसाद से राहत दिलाता है।
  • सूजन रोधी (Anti-inflammatory)- सूजन को कम करता है।
  • ज्वरनाशक (Antipyretic / Antifebrile)- बुखार को प्रभावी ढंग से ठीक करता है।
  • एंटी रूमेटिक (Antirheumatic)- गठिया के लिए उपयोगी।
  • एंटी स्ट्रेस (Anti-stress)- तनाव दूर करता है।
  • एंटी कैंसर (Anticancer)- ट्यूमर के विकास को रोकता है।
  • एंटी अल्सर (Antiulcer)- अल्सर का इलाज करता है।
  • मूत्रवर्धक (Diuretics)- मूत्र के उत्सर्जन को बढ़ावा देता है।
  • डेपुरेटिव Depurative- शुद्ध करने वाला एजेंट है।
  • इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory)- रोग-प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य प्रणाली में सुधार करता है।
  • शामक (Sedative)- शांति को बढ़ावा एवं नींद को प्रोत्साहित करता है।

आयुर्वेद में मण्डूकपर्णी का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, तंत्रिका तंत्र का प्रबंधन वात द्वारा किया जाता है। वात असंतुलन खराब मानसिक सतर्कता का कारण बनता है। मण्डूकपर्णी अपने मध्य (मस्तिष्क-टॉनिक) गुणों के कारण मानसिक सतर्कता और याददाश्त में सुधार करने में मदद करता है।

मण्डूकपर्णी के फायदे

  • अपच के इलाज में कारगर मण्डूकपर्णी का सेवन करने से अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही इसके दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुणों के कारण भोजन के पाचन को आसान बनाता है। जिससे अपच का इलाज होता है।
  • चिंता कम करने में सहायकमण्डूकपर्णी अपनी गतिविधियों के कारण चिंता को कम करने में मदद करती है। यह उन मध्यस्थों के प्रभाव को कम करती है जो चिंता का कारण बनते हैं। यह व्यवहार परिवर्तन और हार्मोन रिलीज को संतुलित करके न्यूरोट्रांसमीटर के कार्य को भी नियंत्रित करती है।
  • मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभप्रदमधुमेह त्रिदोष विकृति के कारण होता है। इससे शरीर में आम या टॉक्सिन्स का निर्माण बढ़ जाता है। ऐसे में मण्डूकपर्णी दोषों को संतुलित करती है। साथ ही शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। यह पाचक होने के साथ साथ एक अग्नि दीपक या क्षुधावर्धक के रूप में भी कार्य करती है, जो उच्च रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होता है । इस प्रकार, मंडुकपर्णी मधुमेह के उपचार में लाभकारी होती है।
  • मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) के इलाज में सहायकमूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) पित्त दोष में असंतुलन के कारण होता है। मण्डूकपर्णी का सेवन पित्त को संतुलित करता है और मूत्र प्रवाह को बढ़ाता है। इस प्रकार मूत्र का उत्पादन मूत्र पथ में सूजन या इक्कठे हुए टॉक्सिन्स दूर करने मदद करता है।
  • लीवर की समस्या से बचाता हैपित्त दोष में असंतुलन के कारण लीवर की समस्या होती है। जब पित्त कम हो जाता है, तो यकृत के कार्य प्रणाली में बाधा उत्पन्न होने लगता है। ऐसे में मण्डूकपर्णी पित्त दोष को संतुलित करती है। साथ ही उसके कार्यप्रणाली में सुधार करती है। जिससे यकृत की समस्याओं का इलाज होता है।

मण्डूकपर्णी के उपयोग

  • फटी एड़ियों के लिएमण्डूकपर्णी चूर्ण को 7 भाग सिक्त (bee wax)के साथ मिलाकर एड़ियों की दरारों पर लगाएं।
  • एकाग्रता के लिएमण्डूकपर्णी चूर्ण के 1 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से एकाग्रता बढ़ती है।
  • अवसाद के लिएमण्डूकपर्णी चूर्ण को मुक्ता पिष्टी और जटामांसी चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से अवसाद दूर होता है।
  • मानसिक क्षमताओं में सुधार के लिएमण्डूकपर्णी चूर्ण को घी में मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है। यह मस्तिष्क को बढ़ावा देने में मदद करता है जिससे मानसिक क्षमताओं में वृद्धि होती है।
  • चिंता को कम करने के लिएशंखपुष्पी पाउडर के साथ मण्डूकपर्णी पाउडर का सेवन चिंता को कम करने में सहायक होता है।
  • अनिद्रा रोग के लिए3 ग्राम मण्डूकपर्णी चूर्ण को रात में सोते समय दूध के साथ लेने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • घाव भरने मेंमण्डूकपर्णी का बाहरी प्रयोग घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।
  • मण्डूकपर्णी के दुष्प्रभाव

    • इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से सिरदर्द, मतिभ्रम और चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
    • यह संवेदनशील लोगों को खुजली और लाल चकत्तों का कारण भी बन सकता है।
    • यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करता है।
    • गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन न करें।

    यह कहां पाया जाता है?

    मण्डूकपर्णी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे भारत, श्रीलंका, चीन, मेडागास्कर और इंडोनेशिया में पाई जाती है।

    Disclaimer

    The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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