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जानें, हरड़ के औषधीय गुण और उपयोग के बारे में

जानें, हरड़ के औषधीय गुण और उपयोग के बारे में

2022-05-25 17:53:53

 

आमतौर पर हरड़ को हरीतकी (Myrobalan) के नाम से जाना जाता है। इसमें अधिकांश रोगो को दूर करने की क्षमता होती है। हरड़ पाचन तंत्र (Human digestive system) को मजबूत बनाता है और वजन कम करने में भी सहायता करता है। आयुर्वेद में हरड़ के औषधीय गुण बताए गए हैं जिस कारण हरड़ को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।

 

हरड़ क्या है? और यह कहां पाया जाता है?

 

असल में हरीतकी टर्मिनेलिया चेब्यूला (Terminalia chebula) पेड़ के सूखे फलों को कहा जाता है। इसलिए इसका वानस्पतिक नाम भी टर्मिनेलिया चेब्यूला है। हिंदी में इसे हरड़ या हर्रे कहते हैं। आयुर्वेद में इसे प्राणदा, अमृता, कायस्था, विजया, मध्या आदि नामों से जाना जाता है। हरड़ का पेड़ 60 से 80 फुट ऊंचा होता है।

 

मुख्य रूप यह निचले हिमालय क्षेत्रो में रावी तट से बंगाल और असम तक पाया जाता है। इसकी छाल गहरे भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते चमकदार, भाला और अण्डाकार होते हैं। हरड़ के फल शीतकाल में लगते हैं। जिनका भण्डारण जनवरी से अप्रैल के बीच किया जाता हैं। इसके बीज कठोर, पीले और बड़े आकार के होते हैं।

 

आयुर्वेद में हरड़ का महत्व-

 

आयुर्वेद में हरड़ को त्रिदोष (कफ, पित्त ,वात) नाशक माना जाता है। इसकी चटनी का सेवन करने से बुद्धि, बल और आयु में वृद्धि होती है। भोजन के अंत में हरड़ का सेवन करने से वात, कफ व पित्त से उत्पन्न विकार शांत हो जाते हैं। हरड़ को नमक के साथ मिलाकर खाने से कफ (बलगम) का नाश होता है। इसका सेवन खांड के साथ करने से पित्त स्थिर रहता है। हरड़ को घी और गुड़ के साथ खाने से सभी प्रकार की बीमारियां में आराम लगता है। साथ ही इसका प्रयोग सौन्दर्य के लिए भी काफी लाभप्रद होता है।आयुर्वेद में हरड़ के औषधीय गुण वर्णित हैं और इसे उत्तम दर्जे की औषधि माना जाता है।

 

हरड़ के प्रकार –

 

यह दो प्रकार के होती हैं। पहली छोटी हरड़ और दूसरी बड़ी हरड़। बड़ी में कठोर बीज होते हैं और छोटी में कोई बीज नहीं होता। मुख्यतः वे फल जो बीज पैदा होने से पहले (अर्धपक्व) ही तोड़कर सुखा लिए जाते हैं। उन्हें ही छोटी हरड़ की श्रेणी में रखा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार छोटी हरड़ का प्रयोग लाभप्रद होता है। क्योंकि आंतों पर इसका प्रभाव सौम्य होता है।

 

हरड़ के फायदे

 

आयुर्वेद के अनुसार हरड़ के फल, जड़ और छाल तीनों का उपयोग फायदेमंद होता है। क्योंकि इनमें कई प्रकार के मिनरल्स, विटामिन, प्रोटीन, एंटीबैक्टीरियल, एंटीबायोटिक गुण होते हैं। जो कई बिमारियों से उबरने में मदद करते हैं और हरड़ के औषधीय गुण कहे जाते हैं।

 
  • हरड़ का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से कब्ज दूर होती है।
  • पुराना गुड़ व हरड़ का चूर्ण सामान मात्रा में लेने से शरीर की सूजन ठीक होती है।
  • इसका सेवन सेंधा नमक के साथ करने से भोजन जल्दी पचता है।
  • हरड़ आंखों की समस्या के लिए लाभदायक होता है। इसके पानी से आंखों को धोने से नेत्र विकार दूर होते हैं।
  • इसका नियमित इस्तेमाल करने से खुजली जैसी समस्या दूर होती है।
  • इसका प्रयोग मुंह के छालो में फायदेमंद होता है। इसके लिए हरड़ को पानी में घिसकर छालों पर लगाएं।
  • हरड़ के साथ फिटकरी मिलाकर कुल्ला करने से गला साफ होता है। साथ ही आवाज भी सुरीली बनती है।
  • अजीर्ण (बदहज़मी) होने पर इसका प्रयोग लाभदायक है। इसके लिए हरड़, पिप्पली और सेंधा नमक का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लेने से बदहज़मी की समस्या कम होती है।
 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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