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पूर्वोत्तानासन करने की विधि और लाभ

पूर्वोत्तानासन करने की विधि और लाभ

2022-06-14 00:00:00

योग न सिर्फ शरीर को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करता है, बल्कि शरीर को पूरे दिन ऊर्जा से भरपूर रखता है। इसलिए अपने दिनचर्या में योग को शामिल करना बहुत जरुरी है। इसके अलावा योगासन शरीर को कई तरह के समस्याओं से बचाने का काम भी करता हैं। वैसे तो योग शास्त्र में विभिन्न प्रकार के योगासन का उल्लेख मिलता हैं। लेकिन उन्हीं में से एक पूर्वोत्तानासन भी है, जिसके निरंतर अभ्यास से कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से बात करते हैं पूर्वोत्तानासन क्या है और इसे कैसे किया जाता है। साथ ही अपने दैनिक जीवन में फॉलो करने से क्या-क्या लाभ मिलते हैं।

पूर्वोत्तानासन क्या है?

पूर्वोत्तानासन की उत्पति संस्कृत भाषा के पूर्व और उत्तान शब्द से ल‍िया गया है। जिसका शाब्दिक अर्थ पूर्व दिशा की ओर खींचना होता है । इस योगासन में पूर्व का मतलब दिशा से नहीं अपितु शरीर के अगले हिस्सों से है। सीधे सादे शब्दों में कहा जाए तो पूर्वोत्तानासन में शरीर के अगले हिस्सों में खिंचाव करना पड़ता है। दरअसल, पूर्वोत्तानासन में शरीर के पहले यानी ऊपरी हिस्से को हथेलियों के सहारे ऊपर की ओर उठाया जाता है। इसलिए इस आसन को अंग्रेजी में अपवर्ड प्लैंक पोज (Upward Plank Pose) के नाम से जाना जाता है।

पूर्वोत्तानासन करने के लाभ-

  • यह आसन हाथों, कलाइयों और पैरों के मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

  • यह छाती, टखनों और कंधों में खिंचाव उत्पन्न करता है।

  • यह श्वसन प्रक्रिया में सुधार करता है।

  • यह आसन तनाव को कम करके दिमाग को शांति प्रदान करता है।

  • यह आसन थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करने का काम करता है।

  • इसके निरंतर अभ्यास से पीठ के निचले हिस्सों और कमर को मजबूती मिलती है। 

  • यह पेट के एक्स्ट्रा फैट को कम करने और पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार है।

  • इसके योगाभ्यास से स्त्री रोग संबंधी विकार ठीक होते हैं।

पूर्वोत्तानासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम खुले वातावरण या साफ जगह का चुनाव करें।

  • अब चयनित जगह पर चटाई या दरी बिछाकर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।

  • इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा करें। इस दौरान हाथों को थोड़ा पीछे रखें।

  • ध्यान रखें इस अवस्था में हथेलियां जमीन को छुए और उंगलियां अंदर की ओर हो।

  • अब शरीर को हाथों की मदद से ऊपर की ओर उठाएं।

  • जब शरीर पूरी तरह से ऊपर उठ जाए तो अपने सिर को ऊपर की ओर उठाएं। ताकि आप पीछे देख सकें। इस दौरान शरीर का संपूर्ण भार हाथों और एड़ियों पर होगा।

  • अब अपने दृष्टि को नाक पर केंद्रित करें।

  • इस स्थिति में पैर और हाथ सीधी रहें और एड़ियां सीधीजुड़ीं हों।

  • इस अवस्था में 1-2 मिनट या क्षमतानुसार बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।

  • पुनः सांस छोड़ते हुए अपने मूल अवस्था में आ जाएं।

  • बेहतर परिणाम के लिए इस योग को 10 से 15 मिनट तक करें।

पूर्वोत्तानासन करते समय बरतें यह सावधानियां-

  • इस योगासन के अभ्यास के दौरान शरीर पर अपनी क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।

  • योग हमेशा खाली पेट ही करें।

  • पहली बार योग का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें। क्योंकि गलत तरीके से किया गया योग शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

  • कलाई या हाथ में चोट लगने पर इसका अभ्यास न करें।

  • गर्दन में चोट या दर्द होने पर इस आसान को करने से बचें।

  • बैक सर्जरी वाले लोग पूर्वोत्तानासन करने से बचें।

  • गर्भवती महिलाएं पूर्वोत्तानासन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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