वज्रासन करने की विधि और फायदे
2022-07-01 16:59:27
शरीर को स्वस्थ्य, दुरुस्त और रोगमुक्त बनाने के लिए योग को अपने दैनिक दिनचर्या में शामिल करना बहुत जरुरी माना जाता है। शायद इसी कारण आजकल पूरे विश्व के लोग योग को अपनाने लगे हैं। इतना ही नहीं योग हमारे शरीर का अभिन्न अंग माना जाता हैं, जिसके नियमित अभ्यास से एक या दो नहीं बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। इन्हीं आसनो में से एक वज्रासन भी है। योगशास्त्र के अनुसार वज्रासन मुद्रा में बैठना शरीर के लिए हितकारी होता है। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं वज्रासन करने की सही विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में।
क्या होता है वज्रासन?
वज्रासन घुटनों को मोड़कर पैरों के बल बैठकर करने वाला योग हैं। इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द वज्र से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ आकाश से गिरने वाली बिजली है। वहीं इस को अंग्रेजी में डायमंड पोज़ (Diamond Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस मुद्रा में बैठकर प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति भी किया जा सकता है। यह पाचन तंत्र को दुरुस्त करने एवं शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए एक महत्वपूर्ण और सरल आसान है।
वज्रासन करने का तरीका
- सर्वप्रथम खुले वातावरण में चटाई या जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
- इस दौरान दोनों पैरो के अंगूठों को एक दूसरे से मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें।
- अब अपने नितंबों को पैरो के तलवों पर इस प्रकार टिकाएं कि तलवे नितंबों के बाहरी हिस्सों को छुएं।
- अपने हाथों को घुटनों पर रखें।
- इसके अभ्यास के दौरान पीठ और सिर को सीधा रखें। ध्यान रखें रीढ़ की हड्डी को ज्यादा पीछे की ओर न मोड़ें।
- साथ ही अपने दोनों घुटनों को आपस में मिलाकर रखें।
- अब आंखों को बंद करे और सांस सामान्य रूप से अंदर लें।
- इस स्थिति में करीब 5-10 मिनट या अपनी क्षमतानुसार बैठें।
- यदि इसके अभ्यास के दौरान घुटनों में दर्द हो तो 1-2 मिनट में उठ जाएं। शरीर पर दबाव न बनाएं। रोजाना इस योग का समय धीरे-धीरे बढ़ाते रहें।
वज्रासन करने के फायदे
- यह आसन पाचन तंत्र को सुधारने का काम करता है। साथ ही यह कब्ज, एसिडिटी एवं अन्य पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।
- यह आसन हाथ, पैर, कुल्हें, घुटने और रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है।
- यह तनाव और अवसाद को कम करके मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है।
- यह हर्निया से बचाव और बवासीर से राहत दिलाने में मदद करता है।
- वज्रासन के नियमित अभ्यास से मधुमेह नियंत्रित रहता है।
- यह आसन श्रोणि मांसपेशियों (पेल्विक मसल्स) में रक्त के प्रवाह को ठीक करके मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। जिससे मूत्र रोग, बवासीर, शीघ्रपतन जैसी समस्याओं में आराम मिलता हैं।
- यह कटिस्नायुशूल अर्थात साइटिका में बेहद प्रभावी होता है।
- प्रतिदिन इसके अभ्यास से महिलाओं के पीरियड के दौरान होने वाले दर्द, ऐंठन से निजात मिलती है। साथ ही इससे प्रसव पीड़ा भी कम होती है।
वज्रासन करते समय बरतें यह सावधानियां
- किसी भी तरह का योगाभ्यास के दौरान अपनी शरीर पर अधिक जोर न बनाएं।
- घुटनों में किसी भी तरह के चोट या दर्द होने पर इसका अभ्यास न करें।
- निम्न रक्तचाप से ग्रसित व्यक्ति वज्रासन न करें।
- जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या खासकर निम्न कशेरुकाएं पर, उन्हें इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- हर्निया, आतों के अल्सर एवं अन्य शारीरिक समस्याओं से पीड़ित लोगों को वज्रासन किसी योग गुरु के देखरेख में ही करें।