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नीम के पौष्टिक तत्व, औषधीय गुण और लाभ

नीम के पौष्टिक तत्व, औषधीय गुण और लाभ

2022-03-17 12:36:11

लगभग हर कोई व्यक्ति आज नीम से परिचित है। नीम जितना पर्यावरण के लिए उत्तम होता है। उतना ही सेहत के लिए भी अच्छा होता है। नीम का स्वाद कड़वा होता है। और अपने इसी कड़वेपन के कारण नीम के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। कई वर्षों से लोग नीम का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि और घरेलू उपाय के तौर पर करते आ रहे हैं। शरीर की तमाम छोटी-बड़ी परेशानियों में नीम के पत्तों से लेकर इसकी छाल तक का इस्तेमाल किया जाता है। नीम के इन्हीं गुणों के कारण इसे धरती का कल्प वृक्ष भी बोला जाता है। जिसका उपयोग घाव, चर्म रोग जैसे कई रोगों के लिए किया जाता है। नीम के पत्तों से बना काढ़ा घावों को धोने में काम आता है। वहीं, इसके पत्तों के गाढ़े लेप में कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने की क्षमता होती है। इसके अलावा नीम का तेल टीबी या क्षय रोग आदि को नाश करने वाले गुणों से युक्त होता है।

 
क्या है नीम?

नीम एक औषधीय पेड़ है। जिसके लगभग सभी भागों का उपयोग सेहत के लिए किया जाता है। नीम का वानस्पतिक नाम अजादिरछा इंडिका (Azadirachta Indica) है। जो महोगनी परिवार से ताल्लुक रखता है। आमतौर पर इसके पेड़ का जीवनकाल 150-200 होता है। आयुर्वेद में नीम को अहम दर्जा प्राप्त है। क्योंकि यह शरीर की त्वचा संबंधी समस्याओं से लेकर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों तक के लिए उपचार युक्त पेड़ साबित होता है।

नीम के पौष्टिक तत्व-
  • कैल्शियम
  • प्रोटीन
  • वसा
  • विटामिन सी
  • कार्बोहाइड्रेट
  • पोटेशियम
  • फाइबर
  • फास्फोरस
  • अमीनो एसिड
  • नाइट्रोजन
  • टैनिक एसिड
नीम के औषधीय गुण- 

आयुर्वेद में नीम के पेड़ को औषधीय गुण की खान माना गया है। इसी लिए इसका उपयोग सदियों से होता आया है। नीम में एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों के प्रभाव को कम करने वाला), एंटी बैक्टीरियल (बैक्टीरिया से लड़ने वाला), एंटीवायरल (वायरल संक्रमण से बचाव) और एंटी फंगल (फंगस से लड़ने वाला) गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा नीम सांप के जहर के असर तक को कम करने की क्षमता रखता है।

 
नीम के फायदे-
एंटीबैक्टीरियल गुण के लिए-

बरसात के दिनों में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में नीम का इस्तेमाल करना अच्छा होता है। क्योंकि नीम से संबंधित एक रिसर्च के अनुसार, इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो पैथोजेनिक बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण के लिए एक प्रभावी एंटीबैक्टीरियल एजेंट साबित होते हैं।

 
अल्सर के लिए-

आयुर्वेद के अनुसार नीम छाल का अर्क एक औषधि की भांति कार्य करता है। जो गैस्ट्रिक हाइपरएसिडिटी और अल्सर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। एनसीबीआई द्वारा किए गए शोध के अनुसार नीम में एंटीअल्सर गुण पाए जाते हैं। जो अल्सर से बचाव में अहम भूमिका निभाते हैं।

 
ओरल हेल्थ के लिए-

नीम का अर्क माउथ क्लीनर प्रोडक्ट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। जो दांतों में प्लाक को बढ़ाने वाले स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन (Streptococcus Mutans) जैसे बैक्टीरिया को पनपने से रोकने का काम करते हैं। इसके अलावा नीम एवं इसकी पत्तियों का उपयोग मसूड़े की सूजन, ब्लीडिंग, दांतों की सड़न की समस्या आदि को ठीक करने के लिए अच्छा रहता है। इसीलिए आज भी कई लोग दांतों की सफाई के लिए नीम की दातून का इस्तेमाल करते हैं।

 
पेट के स्वास्थ्य के लिए-

एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, नीम शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक जीवाणुओं को बाहर निकालने में मदद करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी अल्सर और गैस्ट्रिक जैसी समस्याओं के लिए नीम का इस्तेमाल सालों से होता आया है। इसके अलावा नीम पाचन तंत्र में सुधार करने और पेट को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

 
कुष्ठ रोग के लिए-

एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, नीम बीज का तेल कुष्ठ रोग के उपचार के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा आयुर्वेद में नीम की पत्तियों को भी कुष्ठ रोग के इलाज के लिए अच्छा बताया गया है।

 
मुंहासों के लिए-

नीम मुंहासों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद करता है। क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो कील-मुंहासों को चेहरे और त्वचा से दूर रखने का काम करते हैं। इसके लिए नीम का पेस्ट या फेस पैक बनाकर उपयोग में लाएं।

 
घाव और रैशेज के लिए-

नीम और इसके तेल का उपयोग घावों के लिए सालों से होता आ रहा है। दरअसल, नीम में वूंड हिलिंग (wound healing) के गुण पाए जाते हैं। जो घावों को जल्दी भरने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा नीम तेल का उपयोग घाव के साथ रैशेज की परेशानी को कम करने को लिए भी किया जाता है। इसलिए किसी प्रकार के घाव या कटने-छिलने पर नीम का लेप इस्तेमाल करना एक अच्छा उपाय है।

 
जूं के लिए-
नीम और इसके तेल को जुओं के खिलाफ एक कारगर विकल्प माना जाता है। इसके लिए नीम के तेल को शैम्पू में मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
 
रूसी के लिए-

नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। जो रूसी (डैंड्रफ) का कारण बनने वाले फंगस को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके अलावा नीम स्कैल्प (खोपड़ी) को साफ रखने का काम भी करता है। इसके लिए नीम का पैक या तेल का उपयोग करना अच्छा होता है।

 
मलेरिया के लिए-

आयुर्वेद में नीम के पत्तों को मलेरिया और इसके लक्षणों को कम करने के लिए अच्छा माना गया है। क्योंकि नीम की पत्तियों में एंटीमलेरियल गुण (Antimalarial Properties) पाए जाते हैं। जो मलेरिया के लिए दवा के रूप में काम करते हैं।

 
रक्तचाप के लिए-

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, नीम के मेथनॉल-अर्क में मौजूद पॉलीफेनोल में एंटी हाइपरटेंसिव गुण यानी उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने वाले गुण मौजूद होते हैं। इसलिए उच्च रक्तचाप की समस्या को कम या नियंत्रित करने के लिए नीम का इस्तेमाल करना लाभकारी सिद्ध होता है। लेकिन जो व्यक्ति पहले से ही बीपी की दवा का सेवन कर रहा है। उसे नीम का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।

 
सांस संबंधी समस्या के लिए-

नीम से संबंधित एक रिसर्च के अनुसार, नीम के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो पल्मोनरी इन्फ्लेमेशन (जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाला रोगों का एक समूह) के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा नीम का एंटी-एलर्जिक गुण अस्थमा की समस्या के लिए भी उपयोगी सिद्ध होता है।

 
डायबिटीज के लिए-

एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक नीम में एंटी-हाइपरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है। जो हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर कम होने की प्रक्रिया) प्रभाव प्रदर्शित करता है। जिससे शरीर का शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

 
लिवर के लिए-

नीम को लिवर के लिए लाभकारी माना जाता है। क्योंकि इसमें एजेडिराक्टिन-ए (azadirachtin-A) कंपाउंड हेप्टोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) यानी लिवर को सुरक्षा देने वाले गुण मौजूद होते हैं। जो लिवर को कैंसर और अन्य क्षति से बचाने का काम करते हैं।

 
कैंसर के लिए-

एनसीबीआई के अनुसार, नीम के बीज, पत्ते, फूल और फलों का अर्क शरीर को कई तरह की कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने और उसके खिलाफ एंटी कैंसर, एंटीट्यूमर और कीमोप्रिवेंटिव के रूप में कार्य करता है। मुख्यतौर पर सर्वाइकल कैंसर, स्तनों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, पेट के कैंसर आदि के लिए नीम का उपयोग अच्छा होता है।

 
नीम के नुकसान-
  • चूंकि नीम के अर्क में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता होती है। इसलिए जो लोग लो ब्लड शुगर की समस्या से ग्रस्त हैं। उन्हें नीम के सेवन से परहेज रखना चाहिए।
  • कई बार बच्चों के लिए नीम तेल का सेवन उल्टी, अधिक नींद और सांस संबंधी परेशानियों का कारण बन सकता है। इसलिए बच्चों को इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
  • कई बार नीम के तेल का टॉक्सिक प्रभाव डायरिया और मतली का कारण भी बन सकता है।
  • संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को नीम के इस्तेमाल पहले पैच टेस्ट जरूर करना चाहिए। क्योंकि उन्हें इससे एलर्जी हो सकती है।

Disclaimer

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