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जैतून का तेल

जैतून का तेल

2022-03-17 14:41:26

हर घर में सामान्य रूप से ओलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। जैतून का तेल सेहत के लिए अच्छा होने के साथ कई औषधीय गुणों से भी युक्त है। पहले लोग इस तेल का उपयोग भोजन बनाने में करते थे। लेकिन इसके अन्य गुणों के बारे में पता लगने के बाद आजकल इसका उपयोग हेल्थ केयर प्रोडक्ट, बालों के लिए, स्किन केयर और कई अन्य चीजों के लिए हो रहा है।

 
क्या है जैतून का तेल ?

जैतून एक प्रकार का औषधीय पेड़ है। जिसका वानस्पतिक नाम ओलिया यूरोपा है। लोग इसके फलों और बीजों से तेल, फलों के पानी से अर्क और पत्तियों का उपयोग दवा बनाने के लिए करते हैं। जैतून का तेल जैतून नामक पौधे के फलों और बीजों से भाप आसवन (Steam distillation) प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। जैतून के तेल को अंग्रेजी में ओलिव ऑयल कहा जाता है।

 
आयुर्वेद में जैतून के तेल का महत्व
 

औषधीय गुणों से भरपूर होने के वजह से आयुर्वेद में इस तेल को उत्तम दर्जे का माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। इसमें ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ उच्च मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए जैतून के तेल का कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसमें भोजन पकाने, शरीर की मालिश करने के लिए बॉडी ऑयल के रूप में, बालों को स्वस्थ रखने के लिए हेयर ऑयल के रूप में, सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए सीधे त्वचा पर लगाना शामिल है। 

 
जैतून के तेल का उपयोग
 
  • जैतून के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने के रूप में किया जाता है।
  • इसका प्रयोग त्वचा, बाल या शरीर पर मालिश के रूप में किया जाता है।
  • जैतून तेल को सलाद के ऊपर छिड़कर खाया जाता है।
  • इसका सेवन ब्रेड पर लगाकर भी किया जा सकता है।
  • जैतून के तेल को हेयर पैक और फेस पैक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैतून तेल के प्रकार
एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल –
 

एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल बनाने के लिए ताजे फलों का प्रयोग किया जाता है। जैतून के फलों को पहली बार दबाकर जो तेल निकाला जाता है, उसे एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल कहते हैं। इस प्रक्रिया से जैतून के फलों को तोड़ने के एक दिन के अंदर ही उनका तेल निकाल लिया जाता है। यह सबसे शुद्ध तेल होता है। इस प्रकार के तेल को बनाने में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस तकनीक में कोल्ड प्रेसिंग के जरिए तेल को निकाला जाता है। जिसमें तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इस तेल में एसिडिटी लेवल (अम्लता का स्तर) सबसे कम होता है, जिसकी वजह से स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामलों में इसे सबसे उत्तम क़्वालिटी का तेल माना जाता है।

 
वर्जिन ओलिव ऑयल-
 

वर्जिन जैतून का तेल भी पहली बार प्रेसिंग करके तैयार किया जाता है। लेकिन इस तरह के तेल को निकालने के लिए उतने कड़े मानकों का अनुसरण नहीं किया जाता। स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामले में यह एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ा कम अच्छा होता है। इस ऑयल में एसिडिटी की मात्रा एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ी अधिक हो सकती है।

 
परिष्कृत जैतून का तेल –

बजारों में इस तरह के ऑयल को प्योर, लाइट और क्लासिक जैसे नामों से बेचा जाता है। पहली बार प्रेसिंग करने के बाद जो फल बच जाते हैं, उन्हें गर्म करके या रासायनिक पदार्थो की सहायता से उनमें से तेल को पूरी तरह से निकाल लिया जाता है। जिसे रिफाइंड ओलिव ऑयल कहते हैं। परिष्कृत जैतून के तेल में अम्लीयता और फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। इसका स्वाद और खुशबू भी ज्यादा अच्छी नहीं होती। साथ ही इसमें पोषक तत्व और एंटी ऑक्सीडेंट्स भी कम होते हैं। इसका स्वाद, खुशबू और रंग अच्छा बनाने के लिए इसमें एक्स्ट्रा वर्जिन या वर्जिन जैतून तेल मिलाया जाता है।

 
पॉमस ओलिव ऑयल –
 

यह ओलिव ऑयल सबसे निम्न स्तर का होता है। एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल बनाने की प्रक्रिया में जो अवशेष बच जाता है, उससे इस तेल को तैयार किया जाता है। जैतून के बीज, छिलके और गुदा से अधिक तापमान पर हेक्सेन नाम के विलायक की सहायता से तेल को अलग किया जाता है।

 
जैतून तेल के फायदे
सूजन के लिए फायदेमंद-
 

ऑलिव ऑयल में सूजन को कम करने के गुण मौजूद होते हैं। इसमें ओलियो कैंथोल होता है, जो एक एंटीइंफ्लेमेटरी दवा की तरह काम करता है। जो मुख्य रुप से शरीर में सूजन पैदा करने वाले एंजाइम को रोकने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त यह कैंसर, अल्जाइमर, ह्रदय रोग, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। 

 
वजन को कम करने में सहायक-
 

ऑलिव ऑयल में उपस्थित मोनो सैचुरेटेड फैट, पेट की चर्बी और वजन को कम करने में कारगर साबित होता है। यदि सही मात्रा में इसका उपयोग किया जाए तो वजन आसानी से कम होता है। मोटापे से बचने के लिए रोजाना एक से दो चम्मच ऑलिव ऑयल का प्रत्येक सुबह सेवन करना चाहिए। 

 
बालों के लिए लाभप्रद-
 

ओलिव ऑयल में फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद सभी तत्व, सूखे और क्षतिग्रस्त बालों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

 
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-
 

इसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट उचित मात्रा में होता है। जो गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बनने में मदद करता है। साथ ही इसमें पॉलीफेनॉल पाए जाने के कारण यह बैड कोलेस्ट्रॉल को (LDL) कम करता है। जैतून के तेल के प्रयोग करने से इंसान का दिल मजबूत होता है और दौरा पड़ने की संभावना में कमी आती है। 

 
कैंसर के उपचार में सहायक-
 

ओलिव ऑयल में मौजूद पॉलीफाइनल, एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स की वजह से होने वाले ऑक्सिडेटिव क्षति (oxidative damage) को बहुत कम कर देते हैं। जिससे शरीर में सूजन को कम करने के साथ ही कैंसर के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए शुद्ध जैतून के तेल को एक से दो चम्मच प्रतिदिन इस्तेमाल करें। 

 
चेहरे के लिए फायदेमंद-

त्वचा की नमी के लिए ऑलिव ऑयल को एक बेहतर विकल्प माना जाता है। क्योंकि इसमें विटामिन-ए, विटामिन-ई और फैटी एसिड पाया जाता है। जिससे शरीर की त्वचा में झुर्रियों का बनना कम होता है। साथ ही यह चेहरे पर पड़ने वाली लाइंस को भी रोकता है। 

 
उच्च रक्तचाप में मददगार-
 

ऑलिव ऑयल की मदद से उच्च रक्तचाप (Hypertension) को नियंत्रित किय जाता है। जैतून का तेल खाने में इस्तेमाल करने से शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। जिससे रक्तचाप की समस्या को दूर होती है। 

 
हड्डियों को मजबूत बनाने में-
 

जैतून के तेल में बना भोजन खाने से या इसके तेल से मालिश करने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं। इस तेल में ओएसटोकलसिन की मात्रा ज्यादा होती है। जो हड्डी को बनाने वाला कोशिकाओं (cells) को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है।  

 
दिमाग के लिए फायदेमंद –

दिमाग की सबसे सामान्य बीमारी अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) की रोकथाम के लिए ओलिव ऑयल बेहद उपयोगी है। इस बीमारी में दिमाग की सेल्स में beta amyloid plaques का निर्माण होने लगता है। लेकिन जैतून के तेल का प्रयोग ब्रेन सेल्स के इन plaques को निकालने का काम करता है। इसके अतिरिक्त जैतून के तेल में पाया जाने वाला phenolic नाम का घटक अल्जाइमर और पागलपन (Dementia) जैसी दिमाग से जुडी बिमारियों की रोकथाम करता है। ओलिव ऑयल तनाव को भी दूर करने का काम करता है।

 
मधुमेह के उपचार में सहायक- 
 

ऑलिव ऑयल का नियमित प्रयोग मधुमेह की समस्या से बचाता है। एक रिसर्च के अनुसार जिस भोजन में मोनो (mono) और पोलिसटुरटेड (polyunsaturated fats) की मात्रा अधिक हो, वैसा भोजन शरीर को मधुमेह की बीमारी से बचाता है। ओलिव ऑयल में यह फैट अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके कारण ऑलिव ऑयल मधुमेह से शरीर की रक्षा करता है। ओलिव ऑयल शरीर में शर्करा को नियंत्रित करता है और इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है। जिससे टाइप-2 डायबिटीज को रोकने में मदद मिलती है।

 
जैतून तेल के नुकसान और सावधानियां
  • ओलिव के मुरब्बा का सेवन गर्म पानी के साथ न करें। ऐसा करने से दस्त लगने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • जैतून का अचार बनाकर खाने से पेट में मरोड़ या कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है।
  • ओलिव का अधिक सेवन करने पर सिर में दर्द हो सकता है।
  • जैतून के तेल का अधिक इस्तेमाल करने से चेहरे में ब्लैकहेड्स पैदा हो सकते हैं। 
  • ओलिव ऑयल का अधिक इस्तेमाल करने से रक्तचाप में कमी आ सकती है। 
  • जैतून के तेल की उच्च वसा की मात्रा, पाचन विकार का कारण बन सकती है। साथ ही यह दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को पैदा कर सकती है। 
  • ओलिव ऑयल ऑयली स्किन औऱ स्मूद त्वचा के साथ जुड़ने पर जलन, चकत्ते और लालिमा का कारण बन सकता है।

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