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इस दिवाली कोरोना से बचने के लिए लोगों को ध्यान रखनी होंगी ये बातें

इस दिवाली कोरोना से बचने के लिए लोगों को ध्यान रखनी होंगी ये बातें

2022-05-24 18:55:28

 

इस बार की दिवाली हर बार की दिवाली से थोड़ा अलग होगी। जिसके दो सबसे बड़े कारण हैं-“कोरोना और वायु प्रदूषण”। जिससे आज सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं। वैसे तो इस साल सभी त्योहार को कुछ अलग ढंग से माना गया है, ताकि कोरोना से बचा जा सके। पर इस दिवाली न सिर्फ लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना जरूरी है बल्कि बाहर से आने वाली मिठाइयों से भी दूरी बनाने की जरूरत है। क्योंकि अक्सर बड़े लोगों को उम्र बढ़ने के साथ कई बीमारियां लगना शुरू हो जाती हैं। मधुमेह और बीपी इन बीमारियों में से सबसे आम बीमारियां हैं।

 

आधुनिक रहन-सहन के कारण लगातार बढ़ता प्रदूषण अब लोगों की सेहत को खराब कर रहा है। इस प्रदूषित हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन को प्रभावित करने वाले खतरनाक कण हैं। जो महानगरों में रहने वाले लोगों को कई तरह की बिमारियां दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों का मानना है कि महानगरों में रहने वाले लोगों के फेफड़ों में सबसे ज्यादा संक्रमण होने की संभावना रहती है। क्योंकि प्रदूषण के कारण फेफड़ों के अंदर वायु प्रवाह कम हो जाता है। जिस कारण फेफड़ों के अंदर मकस बढ़ जाता है। जो फेफड़ों को बैक्टीरिया और वायरस को फिल्टर करने से रोकता है। ये वायु प्रदूषण आने वाले समय में फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बन सकता है। इसलिए दिवाली के इस मौके पर हमें अपना और अपनों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

 

त्योहारों के समय डायबिटिक लोग बरतें सावधानी-

 

जो लोग बीपी या डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं उनके लिए दिवाली का ये समय थोड़ा घातक साबित हो सकता है। क्योंकि कोरोना वायरस इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को बड़ी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। अक्सर लोग त्योहारों पर बाहर की चीजें खाना अधिक पसंद करते हैं। इसलिए इन लोगों को अपने खानपान के साथ थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। ताकि ब्लड शुगर को बढ़ने से रोका जा सके।

 
कोरोना काल में त्योहार मनाते वक्त रहे सतर्क-
 

आने वाला सप्ताह दिवाली और भाई दूज जैसे त्योहारों का है। इसलिए इस कोरोना काल में थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि बाहर कोरोना के साथ तेजी से बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण भी आपका इंतज़ार कर रहा है। इसलिए जितना संभव हो सके घर पर ही रहें और यदि बाहर जाना हो तो हमेशा सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें और मुंह पर मास्क जरूर लगाएं।

 
आखिर क्यों बढ़ता है त्योहारों के समय ब्लड शुगर-
 

एक मीडिया रिसर्च के अनुसार कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के चीफ डायटिशन “पवित्रा एन राज” बताते हैं, कि दिवाली के समय लोग मिठाई, पकवान और शराब का अधिक सेवन कर लेते हैं। वहीं घर की महिलाएं दिवाली की तैयारियों को पूरा करते करते थककर स्ट्रेस में आ जाती हैं और समय पर भोजन नहीं ले पातीं। इस वजह से इन लोगों में हाइपोग्लाइसीमिया और कमजोरी के चलते ब्लड शुगर बढ़ जाता है।

 
दिवाली या अन्य त्योहारों के समय कैसे करें डायबिटीज से बचाव?
 
  • समय समय पर अपना ब्लड शुगर चेक करते रहें। क्योंकि त्योहारों के समय हम लोग रोजाना से हटकर थोड़ा अलग खाना पसंद करते हैं। इस वजह से ब्लड शुगर बढ़ने के  चांस अधिक होते हैं।
  • अनहेल्दी खाने से दूरी बनाए रखें।
  • ब्रेड- पकौड़ा जैसी चीजों को अपनी डाइट का हिस्सा न बनाएं।
  • केवल घर पर बनी मिठाइयों का सेवन करें। और इसमें चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करें।
  • एंजॉयमेंट के चक्कर में दवा लेना न भूलें।
  • इनके अतिरिक्त इन त्योहारों को खुशी के साथ मनाने के लिए हेल्दी नट्स जैसे अखरोट, काजू, बादाम आदि को अपने एंजॉयमेंट में शामिल करें।
  • दिवाली पर इन घरेलू उपायों को अपनाकर बचा जा सकता है प्रदूषण से;
 
तिल के तेल का प्रयोग करें-
 

लगभग 15 मिनट तक मुंह में एक चम्मच तिल का तेल डालकर कुछ समय बाद उसे उगल दें। ऐसा करके आप हानिकारक बैक्टीरिया को साफ कर सकते हैं। साथ ही मुंह के बाहर कई तरह की एलर्जी से लड़ने के लिए मौजूद श्लेष्म स्तर को भी मजबूत कर सकते हैं।

 
अभ्यंग तेल से मालिश करें-
 

अभ्यंग तेल से मालिश करने से हमारे त्वचा के अंदर मौजूद उन विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाया जा सकता है, जो त्वचा में चले जाते हैं। हमारे शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाने में अभ्यंग तेल रामबाण साबित होता है। अभ्यंग का तेल आपके शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है और आपको हमेशा ऊर्जावान रखने का काम करता है। आप ऑयल मसाज के लिए तिल के तेल या फिर किसी अन्य आयुर्वेदिक तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

 
धूपन का प्रयोग करें-
 

आप जड़ी-बूटियों को जलाकर उसका धुआं भी ले सकते हैं। इसके लिए आप गूगल, लोबान, शालाकी जैसी जड़ी-बूटीयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जड़ी-बूटियों को जलाकर इसके धुएं को सांस में लेने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में धूपन कहा जाता है। इससे न केवल हवा शुद्ध होती है, बल्कि यह एक प्रभावी कीटाणुरोधक के रूप में भी काम करता है। गूगल और शालाकी जैसी जड़ी-बूटियां को कमरे में जलाकर रखने से आप अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं से भी दूर हो सकते हैं।

 
स्वेदना-
 

शरीर से पसीना बहाने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में स्वेदना कहा जाता है। सर्वांग (पूरा शरीर) को स्वेदना के माध्यम से जिसमें दशमूल जड़ी-बूटी (दस पौधों की जड़ें) का उपयोग किया जाता है। यह हमारे शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में मदद करता है। इसके अलावा आप फेशियल स्टीम का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप गर्म पानी में नीलगिरी ऑयल, तुलसी का तेल, चाय के पेड़ का तेल और कैरम के बीज को मिलाकर चेहरे पर भाप ले सकते हैं। 

 
नीम के पानी का प्रयोग करें-
 

नीम के पानी से त्वचा और बालों को धोकर त्वचा और श्लेष्म झिल्ली में फसे प्रदूषण को साफ किया जाता है।

 
लगाएं हरे पेड़-पौधे-
 

आयुर्वेद कहता है कि इस मौसम में हरे पेड़-पौधे सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसलिए हमें एलोवेरा, तुलसी, नीम, बांस, पीस लिली, अंग्रेजी आइवी, क्राइसेंथेमम, मनी-प्लांट जैसे पौधे अपने घरों में जरूर लगाने चाहिए। ये पौधे हवा को साफ करने में मदद करते हैं। इसके अलावा नीम और तुलसी जैसे पौधे कई बीमारियों में उपयोगी होते हैं।

 
डाइट का विशेष ध्यान रखे-
 

हमेशा ताजा पके हुए भोजन का सेवन करने की कोशिश करें। और अपने आहार (डाइट) में अदरक और कैरम के बीज को भी शामिल करें। श्वसन और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए तुलसी, पिप्पली, ट्रिफाला और घी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

 

इन बेसिक बातों को ध्यान में रखा जाए तो हम इस प्रदूषित कोरोना काल में भी खुशी-खुशी दिवाली और उसके साथ आने वाले त्योहारों को अच्छे से मना सकते हैं।

 

Disclaimer

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