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वीरभद्रासन करने की प्रक्रिया और फायदे

वीरभद्रासन करने की प्रक्रिया और फायदे

2022-07-06 16:25:28

योग शास्त्र के अनुसार वीरभद्रासन स्थिति मुद्रा में किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसन हैं। इसे योद्धा के आसन के नाम से जाना जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। साथ ही वीरभद्रासन के योगाभ्यास से शरीर को अच्छा स्ट्रेच भी मिलता है। आइए इस लेख के माध्यम से वीरभद्रासन को करने की प्रक्रिया, फायदे और सावधानियों को विस्तारपूर्वक जानते हैं।

वीरभद्रासन क्या है?

वीरभद्रासन योगा का एक प्रकार है, जिसका नाम पौराणिक कथाओं में उल्लेखित भगवान शिव के अवतार वीरभद्र के नाम पर रखा गया है। वीरभद्रासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। पहला "वीर" जिसका शाब्दिक अर्थ योद्धा, दूसरा भद्र का मतलब मित्र वहीं तीसरे आसन का मतलब मुद्रा होता है। उपरोक्त आधार पर इसका अर्थ युद्ध या हिंसा निकालना कतई गलत होगा बल्कि वास्तव में वीरभद्रासन नाम रखने का उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति को आध्यात्मिक योद्धा बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसलिए अंग्रेजी में इस आसन को वारियर पोज़ (Warrior Pose) भी कहा जाता है। इस आसन से कंधे, पैरों और टखनों में खिंचाव के साथ-साथ लचीलापन भी आता है।

वीरभद्रासन के प्रकार

वीरभद्रासन के कई प्रकार होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से यह आसन तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • वीरभद्रासन 1
  • वीरभद्रासन 2
  • वीरभद्रासन 3

वीरभद्रासन करने का तरीका

  • सर्वप्रथम ताड़ासन मुद्रा में खड़े हो जाएं।
  • अब सांस को अंदर लें और अपने पैरों के बीच 3 से 4 फीट की दूरी बनाएं।
  • इसके बाद अपने बाएं पैर को 45 से 60 डिग्री अंदर की ओर और दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर की ओर मोड़ें। ध्यान दें पैर की दोनों एड़ियां संरेखित हो।
  • अब सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्सों को दाहिने ओर 90 डिग्री पर घुमाने की कोशिश करें। इस दौरान शरीर को उतना ही घुमाएं, जितना घूम सके, किसी भी तरह का दबाव न डालें।
  • इसके बाद अपने हाथों को उठाकर शरीर की सीध में लाएं।
  • तत्पश्चात अपने हथेलियों को सटाकर छत की ओर उंगलियों को पॉइंट करें।
  • अब बाई एड़ी को जमीन पर टिकाकर रखें और दाहिने घुटने को इसप्रकार मोड़ें कि घुटना सीधा टखने के ऊपर आ जाए।
  • अपने सिर को उठाकर उंगलियों की तरफ देखें।
  • इस स्थिति में 5 बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें।
  • पुनः अपने मूल अवस्था में आ जाएं। ध्यान रखें आसन से बाहर निकलने के लिए सिर नीचे की ओर करें। उसके बाद अपने दाहिने जांघ को उठाएं, हाथ नीचे कर लें और शरीर को सीधा कर लें।

वीरभद्रासन करने के फायदे

वीरभद्रासन करने के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। लेकिन इस आसन से होने वाले कुछ प्रमुख फायदे निम्न हैं:

  • यह आसन बाहों, कंधों, पैरों और पीठ के निचले हिस्से में स्ट्रेच उत्पन्न करके उन्हें मजबूत बनाता है।
  • इस योगाभ्यास से जांघों, पिंडलियों और टखनों के मांसपेशियां मजबूत होती है।
  • इसका रोजाना प्रैक्टिस शरीर के संतुलन को बनाए रखता है।
  • यह आसन कंधे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) में बेहद कारगर साबित होता है।
  • यह सहनशक्ति को बढ़ाने में मददगार है।
  • यह कंधों और कमर में होने वाले तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करता है।
  • यह आसन एकाग्रता में सुधार करता है। साथ ही मस्तिष्क को स्वस्थ्य बनाए रखता है।
  • इस आसन को करने से तनाव कम होता है।

वीरभद्रासन करते समय बरतें यह सावधानियां

  • पहली बार वीरभद्रासन का अभ्यास दीवार के समीप करें, ताकि जरुरत पड़ने पर स्वयं को सहारा मिल सकें।
  • किसी भी तरह के योगाभ्यास के दौरान शरीर पर शारीरिक क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।
  • उच्च रक्तचाप वाले लोगों को इस आसन से परहेज करना चाहिए।
  • यदि किसी को गर्दन या कंधों से जुड़ीं समस्या है तो उन्हें इस आसन के अभ्यास के दौरान सिर को सीधा और हाथों को समांतर रखना चाहिए।
  • हृदय रोग के रोगियों को इसके अभ्यास से बचें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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