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सनाय और इसके फायदे

सनाय और इसके फायदे

2022-03-17 14:49:10

आधुनिकता के इस दौर में भी आयुर्वेद का महत्व बहुत ज्यादा है। आज भी कई ऐसे पौधे हैं, जिनके फूल-पत्तों एवं जड़ का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए किया जाता है। सनाय के पत्ते भी इसी श्रेणी में आते हैं। यह पत्ते कई दुर्लभ औषधीय गुणों से समृद्ध हैं। सनाय स्वास्थ के लिए बहुत उपयोगी है। यह रेचक (Purgative), रोग विषाणु रोधक (Antimicrobial) और शरीर की अशुद्धियों को बाहर निकालने वाली औषधि है।

 

कुछ इलाकों में सनाय को “स्वर्णमुखी” कहते हैं तो कुछ जगह पर सनाय को “सोनामुखी” या “सुनामुखी” भी कहा जाता है। सनाय पेट की पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने वाली मुख्य औषधि है। इसके सेवन से कब्ज दूर होता है और बुखार कम हो जाता है। साथ ही यह गले की खिच-खिच (खराश) को भी दूर करती है। स्वर्णमुखी को अधिकतम चाय के रूप में प्रयोग किया जाता है।

 

सनाय का औषधीय उपयोग और लाभ-

 

आयुर्वेद के अनुसार सनाय का स्वाद कषैला और स्वभाव गर्म होता है। यह बलगम तथा मल को दस्त के साथ बाहर निकालने का काम करता है। यह मस्तक को निर्मल करता है। यह श्वास, कास, खुजली, गठिया, हाथ-पैरों में झनझनाहट व शूल (पीड़ा) में लाभदायक होता है। सनाय का सेवन गुलकंद के साथ करने से सर्दी कम लगती है। सनाय का सेवन शहद के साथ करने से शरीर की शक्ति बढ़ती है। सनाय का सेवन घी के साथ करने से हर दर्द कम होता है।

 

सनाय का सेवन चीनी के साथ करने से सुस्ती व छाती का दर्द ठीक होता है। सनाय का सेवन मिश्री के साथ करने से शरीर में चुस्ती आती है। सनाय का सेवन पानी के साथ करने से शरीर निरोग्य होता है। सनाय का सेवन गाय के दूध के साथ करने से शरीर में नया रक्त बनता है। सनाय को चोपचीनी (Chopchini) के साथ खाने से आंखों की रोशनी का विकास होता है। सनाय का सेवन छुहारे के साथ करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है। सनाय का सेवन इमली के रस के साथ करने से छाती के दर्द में आराम होता है। सनाय को अनार के शरबत के साथ खाने से पेट साफ होता है। सनाय को गर्म पानी के साथ खाने से कान, नाक व सिर के रोग ठीक होते हैं।

 

क्या हैं सनाय के पत्तों के फायदे?

 

सनाय के पत्तों में बहुत से ऐसे आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं, जिससे शरीर को कई प्रकार का लाभ मिलता है। इसलिए किसी बीमार व्यक्ति के लिए इसके पत्तों को उपयोग करना उसको जल्दी ठीक होने में मदद करता है। आइए, जानते हैं सनाय के पत्तों से होने वाले फायदों के बारे में-

 

कब्ज से राहत दिलाने में मददगार-

 

सनाय के पत्ते या इससे बनी चाय का सेवन करने से कब्ज की समस्या कम होती है। सनाय में स्टीमुलेंट लैक्सटिव गुण पाए जाते हैं, जो पेट को साफ करने वाली दवा की तरह काम करते हैं। इसके उपयोग से आंतों की गतिविधि को बढ़ावा मिलता है, जिसके कारण कब्ज की समस्या होने की आशंका कम रहती है।

 

बालों के लिए फायदेमंद-

 

सनाय के पत्तों के फायदों में बालों की समस्याओं से छुटकारा पाना भी शामिल है। सनाय के पत्तों को उपयोग करने से बाल जड़ों से मजबूत होते हैं। साथ ही यह बालों को कंडीशनिंग करने और झड़ने से रोकने में भी मदद करता है। सनाय के पत्ते को पीसकर एसेंशियल ऑयल के साथ मिलकर सिर में लगाने के कुछ घंटों बाद बालों को पानी से धोने से उनमें चमक आती है।

 

वजन कम करने के में लाभदायक-

 

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की साइट पर पब्लिश एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि कई प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए सनाय के पत्तों का घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। सनाय के पत्तों से बनाई गई हर्बल टी का सेवन करने से वजन कम होता है। इसके लिए सनाय के पत्तों में पाया जाने वाला लैक्सेटिव गुण फायदेमंद होता है।

 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के इलाज में सहायक-

 

वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, सनाय के पत्तों को आंतों की बीमारी के लिए उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि इसमें लैक्सटिव गुण पाए जाते हैं, जिन्हें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्या के लिए रामबाण इलाज माना जाता है। दरअसल, यह गुण आंतों में जमा गंदगी व विषैले पदार्थों को साफ करने का काम करता है। परिणाम स्वरूप आंतों की बीमारी जल्दी ठीक होती है।

 

पेट के कीड़े मारने में कारगर-

 

सनाय के स्टीमुलेंट लैक्सटिव और रेचक गुण पेट और आंतों के कीड़ों के उपचार में लाभदायक होते हैं। इसलिए पेट में कीड़े होने पर सनाय का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

कहां पाया जाता है सनाय का पौधा?

 

सनाय का वानस्पतिक नाम सेना अलेक्सन्ड्रिना (Senna alexandrina Mill & Cassia angustifolia) है। सनाय का मूल उद्गत (उद्भूत) स्थान दक्षिण अरब है। भारत में इसकी खेती तमिलनाडू में होती है। राजस्थान में सिरोही जिलों की शुष्क जलवायु को इस फसल के लिए उपयुक्त माना गया है। सनाय एक वर्षीय शाकीय पौधा है। जिसकी ऊंचाई 60-100 सेमी. के लगभग होती है। इसकी खेती मुख्यत: पत्तियों व फलियों के लिए की जाती है। इसमें एक एल्केलाइड सेनोसाइड होता है, जिसकी मात्रा फलियों में 3 से 5 प्रतिशत और पत्तियों में 2.5 से 4 प्रतिशत तक होती है।

 
 
 

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