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क्या हैं च्यवनप्राश खाने के लाभ? जानें

क्या हैं च्यवनप्राश खाने के लाभ? जानें

2022-05-24 16:58:50

शायद हर बच्चे ने च्यवनप्राश खाया होगा और सिर्फ बच्चे ही क्यों कई बुजुर्ग आज भी इसका सेवन प्रतिदिन करते हैं। क्योंकि च्यवनप्राश एक ऐसी चीज है जो हर व्यक्ति, बच्चे और बुजुर्ग को तमाम तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। कोरोनाकाल के समय भी अपनी सेहत और शरीर को मजबूत रखने के लिए कई लोगों ने च्यवनप्राश को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाया है। क्योंकि च्यवनप्राश शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। दरअसल च्वयनप्राश तमाम जड़ी-बूटियों से बनने वाला एक आयुर्वेदिक उत्पाद है। जो शरीर को सर्दी-जुकाम से बचाने और इम्यूनिटी को मजबूत बनाने का काम करता है।

 
क्या होता है च्यवनप्राश?

च्यवनप्राश विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और अन्य सामग्री से तैयार किया गया एक प्रकार का जैम है। जो दिखने में काला या भूरे रंग का और स्वाद में मीठा, हल्का खट्टा और चरपरा (मसालेदार सा) होता है। आमतौर पर च्यवनप्राश का सेवन सर्दियों में अधिक किया जाता है। क्योंकि यह बॉडी को गर्म रखने और सर्दी-जुकाम से बचाने का काम करता है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि च्यवनप्राश को खाने के फायदे अन्य मौसम में नहीं हैं।

दरअसल च्वयनप्राश में कई आयुर्वेदिक औषधियां शामिल होती हैं। जो शरीर को तरह-तरह के लाभ पहुंचाती हैं। यही कारण है कि आजकल दादी-नानी के साथ-साथ डॉक्टर्स भी लोगों को बीमार होने पर च्यवनप्राश खाने की सलाह देते हैं। च्यवनप्राश का नियमित सेवन करना महिला और पुरुष दोनों के लिए बेहद लाभप्रद है।

 
च्यवनप्राश में मौजूद सामग्रियां-

च्यवनप्राश बनाने में कई औषधीय गुणों से युक्त जड़ी-बूटियों और विभिन्न पौधों के अर्क का प्रयोग होता है। हर कंपनी अपने ब्रांड का च्यवनप्राश बनाने के लिए तरह-तरह की सामग्रियों का इस्तेमाल करती हैं। जिनमें से कुछ सामान्य सामग्रियां हैं- आंवला, हल्दी, अश्वगंधा, लौंग, नीम, पिप्पली, बेल, सफेद चंदन पाउडर, तुलसी, सौंफ, दालचीनी, इलायची, केसर, अर्जुन, ब्राह्मी, शहद, घी आदि। इन सभी जड़ी-बूटियों में इम्यूनिटी बढ़ाने और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं।  

 
च्यवनप्राश के फायदे;
एंटी-इंफ्लेमेटरी के तौर पर-

च्यवनप्राश सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। क्योंकि इसको को एंटी-इंफ्लामेटरी माना जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जिस च्यवनप्राश को बनाने में तिल का तेल, लौंग और अगुरु का इस्तेमाल किया जाता है। उसमें निश्चित तौर पर एंटी-इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। जो इंफ्लामेशन (सूजन) को कम कर सकती हैं। इसके अलावा नागकेसर, अश्वगंधा और आंवला जैसी सामग्रियों में भी एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इसलिए माना जाता है कि च्यवनप्राश सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) के कार्य सुधार में भी सहायता कर सकता है।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

च्यवनप्राश को कार्डियो टॉनिक माना जाता है। एनसीबीआई की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक च्यवनप्राश का नियमित सेवन दिल को मजबूत रखता और मांसपेशियों तक स्वस्थ रक्त प्रवाह को सुनिश्चित करके दिल की धड़कन को भी ठीक रखता है। इसलिए दिल संबंधी बीमारियों में च्यवनप्राश का सेवन करना लाभदायक होता है।

 
पाचन और चयापचय के लिए-

च्यवनप्राश का सेवन पाचन शक्ति में सुधार लाता है। क्योंकि च्यवनप्राश में मौजूद तेजपत्ता, दालचीनी, नागकेसर जैसी जड़ी-बूटियां चयापचय को सुधार कर गैस्ट्राइटिस (पेट की परत में सूजन व जलन) की समस्या, पेट की ऐंठन और दर्द के साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन में सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। जिससे खाना अच्छे से पचता है और मल त्याग भी बेहतर तरीके से होता है। 

 
सर्दी-खांसी के लिए-

बदलते मौसम में सर्दी-खांसी का होना बहुत आम होता है। लेकिन च्यवनप्राश का नियमित सेवन करके इस समस्या से बचा जा सकता है। क्योंकि च्यवनप्राश में मौजूद शहद सर्दी-खांसी को ठीक करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायता करता है। इसके अलावा च्यवनप्राश में मौजूद आंवला और अन्य जड़ी-बूटियों में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है। जो शरीर को तमाम तरह के वायरस और बैक्टीरिया संबंधी संक्रमण से बचाने में मदद करता है। इसलिए सर्दी-खांसी के प्रभाव को कम करने के लिए च्यवनप्राश का सेवन करना अच्छा विकल्प है।

 
रक्त साफ करने के लिए-

च्यवनप्राश का नियमित सेवन शरीर के रक्त को साफ करने का काम करता है। क्योंकि कई ब्रांड के च्यवनप्राशों में पाटला, तुलसी, हल्दी जैसे नेचुरल इंग्रेडिएंट्स मौजूद होते हैं। जो रक्त से विषैले तत्वों को निकालकर उसे प्यूरीफायर करने का काम करते हैं।

 
याददाश्त तेज के लिए-

च्यवनप्राश का लगातार सेवन करने से दिमाग तेज और याददाश्त अच्छी होती है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक कई च्यवनप्राशों में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। जो खोती याददाश्त को बढ़ाने में मदद करते हैं। क्योंकि च्यवनप्राश मस्तिष्क के सेल्स को पोषण देकर उसे तेज बनाने का काम करता है।

 
इम्यूनिटी के लिए-

इम्यूनिटी को मजबूत करना च्यवनप्राश का मुख्य कार्य है। जिससे शरीर जल्दी बीमार नहीं होता और इंफेक्शन व बैक्टीरिया से लगातार लड़ता रहता है। दरअसल च्यवनप्राश में मौजूद आंवला शरीर में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी इफेक्ट दिखाता है। जो जरूरत के हिसाब से शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा च्यवनप्राश बनाने में प्रयोग में आने वाला गाय का देशी घी और शहद में भी इम्यूनिटी को मजबूत करने वाले गुण पाए जाते हैं।

 
श्वसन संबंधी परेशानियों के लिए-

श्वसन से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए च्यवनप्राश का सेवन करना एक बढ़िया उपाय है। क्योंकि च्यवनप्राश में मौजूद पिप्पली शरीर को श्वसन संक्रमण से बचाने का काम करती है। बस इसके लिए च्यवनप्राश को हल्के गुनगुने पानी के साथ खाने की सलाह दी जाती है और दूध-दही से परहेज करने को कहा जाता है। क्योंकि सर्दी-खांसी के समय दूध-दही शरीर में बलगम (कफ) बनाने का काम करते हैं।

 
हड्डियों को मजबूत करने के लिए-

च्यवनप्राश का नियमित सेवन करने से कैल्शियम के बेहतर अवशोषण और प्रोटीन के संश्लेषण (सिंथेसिस) में सहायता मिलती है। जिससे दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं। इसलिए च्यवनप्राश का सेवन दूध के साथ करना अच्छा होता है। इससे च्यवनप्राश दूध में मौजूद कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में मदद करता है।

 
कोलेस्ट्रॉल के लिए-

च्यवनप्राश कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। यह शरीर में हाइपोलिपिडेमिक की भांति कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में मौजूद एक प्रकार का फैट) के स्तर को कम करता है। एनसीबीआई की शोध रिपोर्ट के अनुसार च्यवनप्राश बॉडी में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एलडीएल (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) में कमी और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) में वृद्धि करने में मदद करता है। इसलिए च्यवनप्राश के फायदों में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण को भी रखा गया है।

 
च्यवनप्राश के नुकसान एवं सावधानियां-
  • च्यवनप्राश तासीर से गर्म होता है। इसलिए मुंह में छाले होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधी परेशानी से पीड़ित लोगों को च्यवनप्राश का सेवन दूध के साथ नहीं करना चाहिए।
  • ज्यादातर च्यवनप्राशों में आंवला होता है। जिसे रात के समय खाने से दांतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए रात में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और डायबिटीज के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन डॉक्टर परामर्श के बाद करना चाहिए।
  • च्यवनप्राश बनाने में चीनी का प्रयोग किया जाता है। इसलिए मधुमेह से पीड़ित लोगों को इसका सेवन चिकित्सा परामर्शानुसार करना चाहिए।

Disclaimer

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