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क्या होता है एनल फिशर? जानें, इसके कारण और घरेलू उपचारों को

क्या होता है एनल फिशर? जानें, इसके कारण और घरेलू उपचारों को

2022-03-17 12:39:45

गुदा या गुदा नलिका में जब किसी प्रकार का कट या दरार बन जाती है, तो उसे फिशर या एनल फिशर (Anal fissures) कहा जाता है। ऐसा अक्सर तब होता है, जब मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े आकार का मल आताहै। जिसकी वजह से मल त्याग करते समयदर्द होता है और कई बार मल के साथ में खून भी आ जाता है। फिशर के दौरान रोगी को अपने गुदा के अंत में मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होती है। फिशर छोटे बच्चों में काफी सामान्य स्थिति होती है।लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। फिशर की ज्यादातर समस्याएं सामान्य उपचारों से ठीक हो जाती हैं, जैसे खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा ज्यादा लेना और सिट्ज बाथ (Sitz bath) लेना आदि। फिशर की गंभीर अवस्थाओं में रोगी को मेडिकल मदद की आवश्यकता पड़ सकती है और कभी-कभी सर्जरी करवाने की आवश्यकता भी पड़ जाती है।

 

एनल फिशर के प्रकार-

फिशर के सामान्य तौर पर दो प्रकार होते हैं-

 
तीव्र (Acute)-

त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को एक्यूट फिशर कहा जाता है।

 
दीर्घकालिक (Chronic)-

जबत्वचा की सतह पर हुए छेद या दरार ठीक न हो पाए, तो समय के साथ-साथ वह क्रॉनिक फिशर की ओर विकसित होने लगता है।

 

एनल फिशर के लक्षण-

  • मल त्याग के दौरान दर्द हानो। जो कभी-कभी गंभीर हो जाता है।
  • मल त्याग करने के बाद दर्द होना।जो कई घंटों तक रह सकता है।
  • मल त्याग के बाद मल पर गहरा लाल रंग दिखाई देना।
  • गुदा के आसपास खुजली या जलन होना।
  • गुदा के चारों ओर की त्वचा में दरारे दिखाई देना।
  • गुदा फिशर के पास त्वचा पर गांठ का दिखाई देना।

एनल फिशर के कारण-

गुदा व गुदा नलिका की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। ज्यादातर मामलों में यह उन लोगों को होता है।जिनको कब्ज की समस्या होती है। विशेष रूप से जब कठोर औरबड़े आकार का मल गुदा के अंदर से गुजरता है।तो वह गुदा औरगुदा नलिका की परतों को नुकसान देता है।

 

फिशर के अन्य संभावित कारण-

  • लगातार डायरिया (दस्त) रहना।
  • इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD), जैसे क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस।
  • लंबे समय तक कब्ज रहना।
  • कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (STI), जैसे कि सिफिलिस या हर्पीस, जो गुदा व गुदा नलिका को संक्रमित कर नुकसान पहुंचाते हैं।
  • एनल स्फिंक्टर की मांसपेशियां का असामान्य रूप से टाइट होना।
  • कई शिशुओं को उनके जीवन के पहले साल में एनल फिशर हो जाता है।
  • वृद्ध लोगों में रक्त संचार धीमा हो जाता है।जिससे उनके गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह में कमी आ जाती है। जिस कारण से उनमें आंशिक रूप से फिशर की समस्या विकसित हो सकती है।
  • गर्भावस्था और प्रसव।
  • फाइबरयुक्त आहार का सेवन कम करना।
  • गुदा में खरोंच लगना।
  • गुदा और मलाशय में सूजन होना।
  • मलाशय में कैंसर।
  • मलत्याग करने के बाद गुदा को कठोरता या अत्याधिक दबाव के साथ पौंछना।

एनल फिशर से बचाव-

  • एक संतुलित आहार खाएं।जिसमें अच्छी मात्रा में फाइबर, फल और सब्जियां शामिल होती हैं।
  • पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करते रहें।
  • शराब व कैफीनयुक्त पदार्थों (चाय और कॉफी) का सेवन करें।
  • जब शौचालय जाने की इच्छा महसूस हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि आंतों को खाली न करना बाद में कब्ज का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आंतों में जमा होने वाला मल कठोर बन जाता है।जो गुदा के अंदर से गुजरने के दौरान दर्द औरगुदा में दरार (खरोंच) पैदा करता है।
  • टॉयलेट में अधिक देर तक न बैठें और न ही अधिक जोर लगाएं। ऐसा करने से गुदा नलिका में दबाव बढ़ता है। अगर आपको कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। जो फिशर होने के जोखिम को बढ़ाती हैतो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।

एनल फिशर का परीक्षण-

एंडोस्कोपी-

गुदा, गुदा नलिका और निचले मलाशय की जांच करना।

 
सिग्मोइडोस्कोपी-

बड़ी आंत के निचले हिस्से की जांच करना।

 
बायोप्सी-

परीक्षण करने के लिए गुदा के ऊतक का सैंपल निकालना।

 
कोलनोस्कोपी-

कॉलन (बृहदान्त्र) की जांच करना।

 

एनल फिशर के घरेलू उपचार-

 
फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें-

उच्च मात्रा में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे- गेहूं का चोकर, बीन्स, मटर, कद्दू के बीज, सोया बीन्स, मल को बहुत कठोर या बहुत तरल बनने से रोकते हैं। इस प्रकार फाइबर युक्त भोजन का सेवन, एनल फिशर को रोकने के लिए प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है।

 
सिट्ज बाथ (हॉट बाथ)-

एनल फिशर के कारण होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए हॉट बाथ लेना फायदेमंद होता है। इससे गुदा क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को सुचारू करने में मदद मिलती है। जिससे मामूली दरारों और ऊतक के विभाजन को ठीक करने में सहायता मिलती है। यह एनल फिशर के कारण होने वाले दर्द, सूजन और खुजली को भी कम करने में मदद करता है। इसे करने के लिए, एक बड़े बाथटब को गर्म पानी से भरें। फिर इसमें लैवेंडर एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं। अब टब में लगभग 15 से 20 मिनट तक बैठें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करें।

 
जैतून का तेल-

जैतून का तेल, एक समृद्ध प्राकृतिक रेचक है। जोमल त्याग को आसान बनाने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह मल को आसानी से पारित होने में मदद करता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए एक कटोरी में जैतून का तेल, शहद और मोम को समान मात्रा में मिलाएं। इसे माइक्रोवेव में तब तक गर्म करें जब तक मोम पूरी तरह से पिघल न जाए। फिर इसे इसे ठंडा होने के उपरान्त प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।

 
एलोवेरा-

एलोवेरा में दर्द निवारक गुण होते हैं। जो एनल फिशर के लक्षणों को कम करते हैं। यह क्षतिग्रस्त त्वचा के ऊतकों की रिपेयर में भी मदद करते हैं। इनका उपयोग करने के लिएएलोवेरा के पौधे के एक पत्ते को लें और इसे काटकर जेल को बाहर निकालें। फिर इस जेल को प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

 
जंक फूड से दूर रहें-

जंक फूड्स से अपच होता है। जो एनल फिशर की स्थिति को खराब करता है। ऐसे में जंक फूड का सेवन न करें।

 
उच्च पानी युक्त फल का सेवन करें-

उच्च पानी युक्त खाद्य पदार्थ, शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं। यह मल त्याग को भी बढ़ावा देते हैं और पाचन प्रक्रिया में सुधार करते हैं। जिसके परिणामस्वरूप मल के पारित होने के दौरान कम तनाव होता है।

 

कब जाएं डॉक्टर के पास-

  • मल त्याग के दौरान दर्द होने पर।
  • मल त्याग करने के बाद मल में खून दिखाई देने पर।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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