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बद्धकोणासन क्या है? जानें, इसके विधि और स्वास्थ्य लाभ

बद्धकोणासन क्या है? जानें, इसके विधि और स्वास्थ्य लाभ

2022-06-03 12:54:15

बद्धकोणासन बैठ कर करने वाला एक योग है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला बद्ध जिसका शाब्दिक अर्थ बंधा हुआ और दूसरा कोण जिसका मतलब कोना और अंग्रेजी में इसे एंगल (Angle) कहा जाता है। यह आसन तितली मुद्रा से मिलता है। लेकिन इन दोनों आसनों में काफी अंतर है। तितली आसन में दोनों पैर को मोड़कर ऊपर-नीचे हिलाना होता है जबकि बद्धकोणासन में ऐसा नहीं होता है। इस मुद्रा में शरीर को संतुलित करके दोनों पैर को हिप्स से सटाकर मन को एकाग्रचित करके बैठना होता है। ज्यादातर आपने जूता गांठने वाले मोचियों को इसी मुद्रा में बैठकर काम करते देखा होगा। इसीलिए इस आसन को अंग्रेजी में कॉबलर पोज़ (Cobbler Pose) भी कहा जाता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से कई शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं।

बद्धकोणासन करने के विधि-

●       सर्वप्रथम पैर को सीधा करके योग मैट पर बैठ जाएं। अथवा दंडासन मुद्रा से शुरू करें।

●       उसके बाद अपने घुटनों को मोड़कर अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाएं। ध्यान रहे पैरो के दोनों तलवे एक दूसरे को स्पर्श करने चाहिए।

●       अब अपनी एड़ी को जितना हो सके पेट के नीचे और पास लाएं।

संस्करण 1

●       अब हाथों से घुटनों को नीचे की ओर दबाएं ताकि घुटना जमीन को छुएं।

●       ध्यान दें अपने घुटनों पर शारीरिक क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।

●       यदि शुरुआत में घुटना जमीन को न छुएं। इस स्थिति में धैर्य बनाए रखें, निरंतर अभ्यास से घुटने जमीन को छूने लगेंगें। इससे शरीर की लचीलापन बढ़ जाती है।

संस्करण 2

●       जब घुटने जमीन को छूने लगे तो ही यह संस्करण करें।

●       अब अपने दोनों हथेलियों से पैरों को पकड़ें।

●       उसके बाद कूल्हे के जोड़ों से आगे की ओर झुकें।

●       तब तक झुकने की कोशिश करें जब तक सिर जमीन को स्पर्श न करें। जबरदस्ती न करें, ऐसा होने में कुछ हफ्ते या महीने लग सकते हैं।

●       ऐसा कम से कम 30 या 60 सेकंड तक अभ्यास जारी रखें।

●       पुनः अपने मूल अवस्था में आ जाएं।

बद्धकोणासन के स्वास्थ्य लाभ-

बद्धकोणासन के नियमित योगाभ्यास से शरीर को कुछ अदभुत फायदे होते हैं। आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में जो निम्नलिखित हैं:

●       यह मुद्रा पूरे शरीर की रक्त संचार में सुधार करने का काम करता है।

●       इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी, जांघ और कुल्हें को मजबूती मिलती हैं।

●       घुटनों, भीतरी जांघों एवं मेरुदंड में खिंचाव उत्पन्न करके उसे लचीला बनाता है।

●       यह आसन तनाव और थकान को कम करता है।

●       यह मूत्राशय, गुर्दे, प्रोस्टेट ग्रंथि और पेट के अंगों मे सुधार करता है।

●       मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।

●       इसके नियमित अभ्यास से दमा, बांझपन एवं अन्य असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।

बद्धकोणासन करते समय बरतें यह सावधानियां-

●       यदि घुटनों में तीव्र दर्द हो या चोट लगी हो, तो वह इस मुद्रा को न करें।

●       जिन लोगों को कमर में तीव्र दर्द या साइटिका की परेशानी है, उन्हें बद्धकोणासन करने से बचना चाहिए।

मासिक धर्म के दौरान इस योगाभ्यास से बचें। 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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