क्या होता है भृंगराज, जानें इसके फायदे और उपयोग
2022-05-24 16:59:33
भृंगराज को हर्बल और आयुर्वेदिक चिकित्सा में “बालों का राजा” कहा जाता है। क्योंकि यह लगभग हर हेयर केयर प्रोडक्ट में इंग्रेडियंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए आयुर्वेद में इसे केशराज भी कहते हैं। वैसे तो भृंगराज को परंपरागत रूप से बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा भृंगराज एक बढ़िया जड़ी-बूटी है। जिसकी मदद से अनेक रोगों का उपचार किया जाता है। बुखार, उल्टी, डायबिटीज, आंखों की बीमारी, मुंह के रोग, घाव के उपचार, पेट संबंधित समस्याएं, खुजली आदि बीमारियों में इसके उपयोग से कई लाभ मिलते हैं। इसके अलावा इसका प्रयोग कीड़े-मकोड़े के काटने और सर्प दंश को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
क्या होता है भृंगराज?
भृंगराज एस्टेरेसी (Asteraceae) कुल से संबंधित एक पौधा है। जिसे फॉल्स डेजी (False Daisy) के नाम से भी जाना जाता है। भृंगराज की जड़, तना, पत्तियां और फूल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहिस्टामिनिक (एलर्जी को दूर करने वाला), हेपटोप्रोटेक्टीवे (लिवर को स्वस्थ रखना) और एक्सपेक्टोरेंट (कफ और श्वास की बीमारी को दूर करना) जैसे कई औषधीय गुण होते हैं।
भृंगराज के फायदे-
भृंगराज के एक नहीं अनेक फायदे हैं। जिन्हें हम बालों के आधार पर, स्वास्थ्य के आधार पर, त्वचा के आधार पर देख और समझ सकते हैं। आइए बात करते हैं इन्हीं फायदों के बारे में;
बाल हेतु भृंगराज के फायदे
झड़ते बालों को कम करना-
बालों की हर समस्या में भृंगराज लाभदायक होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों को स्वस्थ्य बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। इसके अलावा भृंगराज का तेल स्कैल्प (खोपड़ी) में आसानी से अवशोषित होकर रक्त संचार में सुधार और बालों के विकास में मदद करता है। इससे झड़ते और गिरते बालों का इलाज़ करने में आसानी होती है। भृंगराज के इस्तेमाल से बाल घने एवं मजबूत बनते हैं।
बालों की वृद्धि-
आयुर्वेद के अनुसार यह जड़ी बूटी स्कैल्प (खोपड़ी) में रक्त के संचार में सुधार करती है। जिससे बालों की जड़ों में भरपूर पोषक तत्व पहुंच जाते हैं। परिणामस्वरूप बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं और बालों के विकास में सकारात्मक बढ़ोतरी होती है। इसके अतिरिक्त इस पौधे के सत्व भी बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं।
रूसी से आजादी के लिए-
भृंगराज स्किन की नमी को लंबे समय तक बनाए रखने का काम करता है। इसके इसी गुण के चलते इसका इस्तेमाल मॉइस्चराइजिंग उत्पादों में किया जाता है। भृंगराज में मेंथॉल, सिलेनियम और जिंक आदि मौजूद होते हैं। जो स्कैल्प पर एंटीफ्लैक गुणों (खोपड़ी पर पपड़ी बनने से रोकना) के रूप में काम करते हैं। इसके अलावा भृंगराज बालों में ठंडक का अहसास कराता है और रूसी से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसलिए भृंगराज को लगभग हर हेयर केयर प्रोडक्ट में इस्तेमाल किया जाता है।
समय से पहले सफेद बाल होना-
भृंगराज बालों की प्राकृतिक रंग को बनाए रखने और असमय सफेद हो रहे बालों को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके लिए भृंगराज तेल को आंवले के तेल में मिलाकर नियमित रूप से बालों की मसाज करें। ऐसा करने से बालों का प्राकृतिक भूरा और काला रंग लंबे समय तक बना रहता है। परिणामस्वरूप बालों का समय से पहले सफेद होना कम हो जाता है।
त्वचा हेतु भृंगराज के फायदे-
त्वचा के लिए फायदेमंद-
भृंगराज त्वचा के लिए अच्छा होता है। यह त्वचा की सेहत का ध्यान रखने का काम करता है। इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेंटरी, एंटी बैक्टीरियल गुण त्वचा को संक्रमण और अन्य परेशानियों से बचाने काम करते हैं। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाला विटामिन ई भी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसलिए भृंगराज तेल को किसी अन्य कैरियर तेल में मिलाकर त्वचा पर लगाने से फाइन लाइन, मुंहासे, झुर्रियां और एजिंग की समस्या दूर होती है।
घाव के उपचार और कीड़े-मकोड़े के काटने पर-
भृंगराज के पत्तों को तेल में पकाकर कटने, छिलने, चोट और अन्य घावों पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होते हैं। इसके अलावा किसी कीड़े-मकोड़े के काटने पर भृंगराज की पत्तियों का पेस्ट लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।
विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मददगार-
भृंगराज शरीर के विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है। त्वचा से प्रदूषण के विषाक्त पदार्थ और गंदगी को हटाने के लिए भृंगराज तेल की मालिश करना एक अच्छा उपाय है। यह तेल डिटॉक्सिफायर और त्वचा क्लींजर के रूप में काम करता है।
सेहत हेतु भृंगराज के फायदे-
बुखार के लिए फायदेमंद -
भृंगराज में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो बुखार को दूर करने में कारगर होते हैं। इसके लिए भृंगराज की जड़, पत्तों और उसके डंठल का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। ऐसा करने से बुखार का ताप कम होने लगता है।
सर्दी, खांसी (कफ) की रोकथाम हेतु-
भृंगराज के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। जो खांसी की वजह बनने वाले कीटाणुओं को खत्म करने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा भृंगराज अन्य हानिकारक कीटाणुओं को पैदा होने से भी रोकता है। इस प्रकार भृंगराज के अर्क का सेवन करने से खांसी और अन्य वायरल संक्रमण बीमारियों से राहत मिलती है।
बंद नाक और गले की बीमारी के लिए-
भृंगराज बंद नाक को खोलकर सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को दूर करता है। यह लंग्स (फेंफडों) में ऑक्सीजन लेने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है। इस तेल के इस्तेमाल से श्वसन तंत्र की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। भृंगराज से बने काढ़े से गरारे करने से जीभ की सूजन और दांतों से होने वाला रक्तस्राव कम होता है। वहीं भृंगराज के पत्तें को पीसकर गले पर लगाने से गले की सूजन जैसे कंठ रोगों में आराम मिलता है।
चिंता, अवसाद, तनाव से राहत -
भृंगराज का चूर्ण और पत्तियां चिंता, थकान, तनाव आदि की वजह से होने वाले सिरदर्द को कम करने में मदद करती है। क्योंकि भृंगराज में ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के हार्मोनल संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। परिणामस्वरूप चिंता, तनाव, थकान, सिरदर्द आदि में आराम मिलता है। इसके लिए भृंगराज के पत्तों को तेल में अच्छे से पकाकर, छानकर ठंडा कर लें। अब इसे सिर पर लगाएं। ऐसा करने से सिर संबंधी विकारों में लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भृंगराज के प्रयोग से पारम्परिक दवाओं के दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकता है।
पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद-
भृंगराज पाचन स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है। इसका सेवन आंत संबंधित क्रियाओं को बेहतर करता है। यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (पेट दर्द, कब्ज, डायरिया आदि) को ठीक करता है। इसलिए भृंगराज का नियमित सेवन करने से पाचन शक्ति को बढ़ावा मिलता है।
प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगर-
आयुर्वेद में भृंगराज का उपयोग औषधीय गुणों की वजह से एनर्जी बूस्टर के रूप में किया जाता है। इसके सेवन से शरीर की इम्यूनिटी में सुधार होता है। यह शरीर में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के रूप में काम करता है। इसमें पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होने के कारण यह बॉडी को ऑक्सीकरण से भी बचाता है। इसके अलावा भृंगराज का उपयोग शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
पेचिश और बवासीर के इलाज के लिए-
भृंगराज के पौधे में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। जोकि शरीर के किसी भी अंग पर आई सूजन को कम करने में मदद करता है। भृंगराज के चूर्ण का सेवन करने से पेचिश (Dysentery) की समस्या में आराम लगता है। इसके अलावा इसकी जड़ के चूर्ण को दूध के साथ लेने से बवासीर में भी लाभ होता है।
लिवर की समस्या में फायदेमंद-
भृंगराज की पत्तियों और जड़ से निकले अर्क का इस्तेमाल लिवर संबधी विकार को ठीक करने के लिए किया जाता है। दरअसल भृंगराज में मौजूद वेडेलोलैक्टोन (wedelolactone), इरसोलिक (ursolic) और ओलिनोलिक एसिड (oleanolic acid) जैसे गुण लिवर संबंधी विकारों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए भृंगराज को लिवर संबंधी परेशानी के लिए अच्छा माना है।
भृंगराज को किस रूप में उपयोग कर सकते हैं?
- भृंगराज के अर्क को नारियल तेल में मिलाकर सिर की मसाज के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- स्नान करने से पहले भृंगराज तेल की कुछ बूंदें शैम्पू में मिलाकर बालों में लगा सकते हैं।
- भृंगराज की पत्तियों के लेप (पेस्ट) को सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- भृंगराज तेल को जोड़ों के दर्द एवं सिर दर्द में इस्तेमाल किया जाता है।
- इसकी पत्तियों को अजवाइन के साथ सेवन करने से पित्ताशय की समस्या दूर होती है।
- इसकी पत्तियों को पानी में उबाल कर काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
भृंगराज के नुकसान-
- जो व्यक्ति लो शुगर से पीड़ित है। उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद गुण रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम कर देते हैं।
- भृंगराज की तासीर ठंडी होती है। इसलिए सर्दी-जुकाम होने पर इसके तेल से सिर की मालिश न करें।
- भृंगराज का अधिक सेवन से दस्त, पेट में ऐंठन और मतली जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- कब्ज की समस्या से पीड़ित लोगों को भृंगराज का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद एंटीस्पास्मोडिक (antispasmodic) मल को चिकना होने से रोकता है। जिससे कब्ज की समस्या और गंभीर हो सकती है।
- गर्भवती महिला और गर्भवती होने के बारे में सोच रहीं महिलाओं को भृंगराज का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए।