बर्ड फ्लू क्या है? जानें, इसके लक्षण, कारण और इलाज
2022-07-21 00:00:00
इंसानों की तरह पक्षी भी फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। आमतौर पर यह बीमारी एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस (H5N1) के कारण होता है। इसी वजह से बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस (Avian Influenza Virus) के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक वायरल संक्रमण है, जो पक्षियों को संक्रमित करने के साथ-साथ मनुष्यों और अन्य जानवरों को भी संक्रमित करता है। मनुष्यों में फैलने वाले बर्ड फ्लू संक्रमण का सबसे आम प्रकार H5N1 होता है।
H5N1, बर्ड फ्लू का एक उपप्रकार है,जिसका मृत्यु दर उच्च है। आमतौर पर यह संक्रमण मुर्गी, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेज़ी से फैलता है। इसके अलावा बर्ड फ्लू इंफेक्शन जंगली पक्षियों को प्रभावित करता है। यह संक्रमण इतना खतरनाक साबित होता है कि इससे मनुष्यों एवं पक्षियों की मौत भी हो सकती है।
बर्ड फ्लू कैसे फैलता है?
जंगली पक्षी अपनी आंतों में संक्रमण ले जाते हैं। हालांकि, आमतौर पर वह संक्रमित नहीं होते हैं। बर्ड फ्लू पक्षियों में स्वाभाविक रूप से होने वाली एक बीमारी है। यह बीमारी संक्रमित पक्षियों से असंक्रमित पक्षियों में प्रसारित होती है। यह वायरस पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाले पानी के संपर्क में आने से फैलता है । जिससे संवेदनशील पक्षी संक्रमित हो जाते हैं। वहीं, मनुष्य इन संवेदनशील पक्षियों के निकट संपर्क में आने पर संक्रमित हो जाते हैं। मनुष्यों में बर्ड फ्लू के अधिकांश मामले संक्रमित मुर्गे या दूषित सतहों के निकट संपर्क का परिणाम होते हैं।
बर्ड फ्लू के लक्षण
मनुष्य आसानी से बर्ड फ्लू से संक्रमित नहीं होते हैं। ज्यादातर दुर्लभ मामलों में, यह मनुष्यों को प्रभावित करता है। आमतौर इसके लक्षण सामान्य फ्लू की तरह ही दिखाई देते हैं। लेकिन हर समय उल्टी का अहसास होना या सांस लेने में समस्या होना इसका आम लक्षण माना जाता हैं। इसके अतिरिक्त कई अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- लगातार खांसी आना।
- छाती में तेज़ दर्द होना।
- सर्दी लगना।
- ठंडा पसीना।
- सिरदर्द।
- भूख में कमी।
- गले में खराश।
- सोते समय कठिनाई का सामना करना।
- 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक बुखार।
- मसूड़ों से रक्त आना।
- दस्त।
- मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक दर्द होना।
- अधिक थकान महसूस करना।
- आवाज बैठना।
- बलगम में रक्त आना।
- आंख में कंजंक्टिवाइटिस (बहुत दुर्लभ लक्षण) आदि।
- फेफड़ों का संक्रमण होना।
बर्ड फ्लू के ज्यादातर लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम के समान ही होते हैं, स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट भी बर्ड फ्लू का संकेत हो सकती है। ।इसलिए, आपको स्वयं की चिकित्सा खुद करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें। साथ ही उनके परामर्शनुसार समय पर इसकी जांच करवाएं। जिससे पता लगाया जा सके कि बर्ड फ्लू है या नहीं।
बर्ड फ्लू के कारण
बर्ड फ्लू प्राकृतिक रूप से जंगली जलपक्षी (जंगली बत्तख) नामक पक्षी में होता है और मुर्गी, टर्की, बत्तख और गीस़ जैसे पक्षियों में फैल जाता है। यह रोग संक्रमित पक्षी की बूंदों या स्राव के संपर्क में आने से फैलता है।
बाहरी बाजार, जहां अंडे और पक्षी भीड़-भाड़ वाली और गंदगी भरी परिस्थितियों में बेचे जाते हैं। वह संक्रमण का केंद्र माना गया हैं और व्यापक रूप से यह बीमारी फैलाने का कारण बनते हैं। इसके अलावा संक्रमित कुक्कुट( मुर्गे ) का कच्चा मांस या संक्रमित पक्षियों के अंडे के सेवन से भी बर्ड फ्लू हो जाता है।
बर्ड फ्लू के जोखिम कारक
- दूषित जगहों पर जाना या उनका सीधा संपर्क एक प्रमुख जोखिम कारक है।
- पोल्ट्री फॉर्म पर जाने या उसमें काम करने वाले व्यक्ति को इस फ्लू से ग्रसित होने की आशंका अधिक होती है।
- संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने पर।
- बीमार पक्षियों का इलाज या देखभाल करने पर।
- कच्चे या अधपके मुर्गे के मांस या अंडे का सेवन करने पर।
- संक्रमित पक्षियों के बिना धुले अंडे को छूने पर।
- बीमार पक्षियों के संक्रमण से संक्रमित पानी को छूने या उससे स्नान करने पर।
- ऐसे वातावरण में सांस लेने सेजहां संक्रमित पक्षी बेचे जाते हो।
बर्ड फ्लू की रोकथाम और उपचार
बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) की रोकथाम के लिए सबसे महत्वपूर्ण फ्लू टीकाकरण है। इसके अलावा कुछ खान-पान में बदलाव एवं सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता हैं। आइए चर्चा करते हैं इन सावधानियों के बारे में
- अपने हाथों को नियमित रूप से गर्म पानी या साबुन से धोएं।
- संक्रमित या मरे हुए पक्षियों से बिल्कुल दूर रहें।
- बर्ड फ्लू के संक्रमण के दौरान मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
- मांस को खरीदते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- खांसते वक्त मुंह को रुमाल या टिश्यू से ढकें।
- संक्रमण से बचने के लिए सर्दी-जुकाम से ग्रसित होने पर लोगों से दूर रहें।
- बर्ड फ्लू के मरीज पूरी तरह से आराम करें।
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
- उचित और पोषण युक्त भोजन करें।
बर्ड फ्लू के घरेलू उपचार
- हल्दीहल्दी अपने एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों के लिए जानी जाती है। जो इम्यूनोप्रोटेक्टिव एजेंटों को उत्तेजित करने का भी काम करती है। जिससे बर्ड फ्लू के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी हल्दी का चूर्ण मिलाकर इसका सेवन करें ।
- अदरकअदरक में मौजूद जिंजरोल और जिंजरोन नामक यौगिक संक्रमण से छुटकारा दिलाने का काम करते हैं। साथ ही रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं। जिससे रोगजनकों से लड़ने में मदद मिलती है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह अदरक की चाय पिएं। इसके अलावा अदरक युक्त चाय में शहद या नींबू मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है।
- एस्ट्रैगलसएस्ट्रैगलस एक रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। यह इंटरफेरॉन उत्पादन को बढ़ाकर अस्थि मज्जा का समर्थन करता है। इस प्रकार यह जड़ी-बूटी रोगजनकों से लड़ने में मदद करती है। जिससे बर्ड फ्लू के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके लिए चाय या सूप में एस्ट्रैगैलस की जड़ का पाउडर मिलाकर सेवन करें।
- लहसुनलहसुन अपने एंटीवायरल और एंटीबायोटिक गुणों के लिए जाना जाता है। यह सभी गुण बर्ड फ्लू के लक्षणों को प्रभावी ढंग से ठीक करते हैं। इसके अलावा लहसुन प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी के साथ लहसुन की एक कली का सेवन रोज़ सुबह खली पेट करें।
- ग्रीन टीग्रीन टी में पाए जाने वाले कैटेचिन, फेनोलिक यौगिक, अपने शक्तिशाली एंटी-इन्फ्लुएंजा गुणों के लिए जाने जाते हैं। यह सभी यौगिक बर्ड फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
- भाप लें दरअसल बर्ड फ्लू के सबसे आम लक्षणों में गले में अधिक मात्रा में बलगम फसा रहना एवं सांस की समस्या को माना जाता है। भाप लेने से श्वास नली की सफाई होती है एवं फसा हुआ बलग़म भी ढीला होकर हट जाता है, जिससे साँस लेने में राहत मिलती है और श्वास समस्याओं में कुछ आराम लगता है। इसके लिए पानी को उबालें। फिर अपने सिर को तौलिए से ढक लें और उबलते हुए पानी की भांप को श्वास के साथ अंदर खीचें और बाहर छोड़ें ।पानी में चाहे तो तुलसी के पत्ते और लौंग भी डाल सकते हैं। श्वास लेने में ज़्यादा अवरोध होने पर, इस प्रक्रिया को दिन में ३-४ बार भी कर सकते हैं
डॉक्टर के पास कब जाएं?
यदि कोई व्यक्ति पोल्ट्री में कार्यरत हो या बर्ड फ्लू महामारी वाले किसी अन्य जगहों पर गया हो। इस दौरान 10 दिनों के अंदर फ्लू के लक्षण देखने को मिलते हैं, तो इस स्थिति में अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें।