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क्या है सहजन (मोरिंगा)? जानें, इसके आयुर्वेद में महत्व एवं फायदे

क्या है सहजन (मोरिंगा)? जानें, इसके आयुर्वेद में महत्व एवं फायदे

2022-03-17 11:33:43

सहजन एक तरह की मौसमी फली है, जो मोरिंगेसी (Moringaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका आम इस्तेमाल सब्जी के तौर पर किया जाता है। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक (Drumstick) या मोरिंगा (Moringa) कहते  है। जिसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है। सहजन का पेड़ तेजी से बढ़ता है इसके फलियों के अलावा इसके फूल एवं पत्तियों का भी इस्तेमाल खाने में किया जाता है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो समग्र स्वास्थ्य पर प्रभावशाली असर डालता है। इसलिए आयुर्वेद में भी सहजन को उत्तम दर्जे की औषधि माना जाता है।

आयुर्वेद में सहजन का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार सहजन एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और ऊतक-सुरक्षात्मक गुणों से भरपूर है। यह विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड का एक उत्कृष्ट स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और विटामिन ई, कैल्शियम, पोटैशियम और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह सभी गुण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, वजन को कम करने, जोड़ों के दर्द एवं गठिया के इलाज में फायदेमंद हैं। यह शरीर के तीनों दोष अर्थात वात (वायु रोग), पित्त और कफ (बलगम) के संतुलन को बनाए रखने तथा इसके प्रकोप से होने वाली सभी तरह की बीमारियों को रोकने की क्षमता रखता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व त्वचा की सभी समस्याओं को ठीक करते हैं। यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर पाचन शक्ति में सुधार करता है। इसके अतिरिक्त सहजन हृदय चाप, रक्त चाप, कोलेस्ट्रॉल आदि को भी स्थिर रखने में मदद करता है।

सहजन के फायदे

वजन कम करने में सहायक सहजन की फली या पत्तियों का सेवन बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्योंकि सहजन में क्लोरोजेनिक एसिड मौजूद होता है,जो एंटी-ओबेसिटी गुण को प्रदर्शित करता है। यह शरीर में लिवर ग्लुकोनियोजेनेसिस और इंसुलिन रिलीज की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो प्रत्यक्ष रूप से मोटापे के इलाज के लिए एक प्रभावी विकल्प है।

कैंसर के लिए फायदेमंद

सहजन में मौजूद औषधीय गुण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों  को रोकने या उससे बचाने का काम करता है। दरअसल, सहजन की छाल एवं पत्तियों में एंटी कैंसर और एंटी ट्यूमर गुण होते हैं। इसके अलावा सहजन की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) एवं पॉलीफ्लोनोइड्स (Polyflavonoids) गुण मौजूद हैं, जो एंटीकैंसर, एंटीऑक्सीडेंट के गुणों को प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार यह सभी तत्व कैंसर को रोकने में सहायक होते हैं।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक

सहजन में मौजूद विटामिन-सी और इसके अन्य गुण तरह-तरह के रोगजनक सूक्ष्मजीवों और बीमारियों के विकास को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें मुख्य रूप से इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट पाया जाता है। जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात इम्यूनिटी को बेहतर करने में सहायता करता है।

एनर्जी लेवल सुधारने में सहायक

सहजन में लिपिड फैट उच्च मात्रा में होता है। जो शरीर में जाकर एनर्जी बढ़ाने का काम करता है। लिपिड को ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसके अलावा सहजन में फैट में घुलने वाले विटामिन्स और बायोएक्टिव जैसे फैटी एसिड मौजूद होते हैं। जो शरीर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस प्रकार सहजन बॉडी में एनर्जी लेवल को बढ़ाने में सहायता करता है।

मधुमेह के लिए

सहजन के फूल, पत्ते, छाल और फलियों में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए अपने आहार में नियमित रूप से सहजन की फलियों की सब्जी या इससे बने टेबलेट का सेवन करना मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।

ब्लड प्रेशर के लिए कारगर

सहजन के प्रयोग से ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है। दरअसल मोरिंगा के ताजे पत्तियों और फलियों में फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा को कम कर, उच्च रक्तचाप की दर को कम करने का काम करते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार

सहजन में बीटा-साइटोस्टेरॉल मौजूद होता है। जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करने वाले रासायनिक प्रक्रिया को धीमा करके एंटी इंफ्लेमेटरी की तरह कार्य करता है। इसके अतिरिक्त सहजन में कैंप फेरोल भी होता है। जो चयापचय और कोशिकाओं के कार्य को बेहतर बनाने का काम करता है। इस प्रकार से सहजन का सेवन शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल अर्थात एलडीएल (LDL) लेवल को कम करने में मदद करता है।

हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में सहायक

सहजन यानी मोरिंगा हड्डियों के स्वस्थ्य रखने एवं उसे मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है। दरअसल, मोरिंगा में कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन एवं प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के विकास के लिए बेहद जरुरी होता है। इस आधार पर माना जाता है  कि मोरिंगा का सेवन हड्डियों को पोषण और मजबूती प्रदान करने के लिए लाभप्रद है।

जोड़ों के दर्द के लिए

सहजन में एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं, जो जोड़ों के दर्द एवं सूजन से राहत दिलाने का काम करते हैं । वहीं इसमें एंटी अर्थरिटिक और एंटी ऑस्टियोपोरोटिक गुण भी मौजूद है। इसमें पाए जाने वाला यह गुण हड्डी की बीमारी के जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं।

लिवर के लिए फायदेमंद

गलत खान-पान और जीवन शैली का सीधा असर लिवर पर पड़ता है। ऐसे में समय रहते अपने खान-पान एवं दिनचर्या में बदलाव जरुरी है। इसके लिए अपनी डाइट में अन्य आहारों के साथ सहजन की फली या इसकी पत्तियों को शामिल करना लिवर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। दरअसल, इसमें क्वारसेटिन (Quercetin) नामक फ्लैवनॉल मौजूद हैं, जो हेपटोप्रोटेक्टिव की तरह काम करते हैं। यह लिवर को किसी भी प्रकार के क्षति से बचाता है। इसलिए अपने आहार में सहजन के फूल, पत्ते और कलियों को जरुर शामिल करें।

मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए

सहजन का सेवन मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह अल्जाइमर (भूलने की बीमारी), पार्किसम (सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ा विकार) को दूर करने के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही यह याददाश्त को तेज करने या सुधारने में भी सहायक होते हैं।

एनीमिया के लिए

सहजन की छाल या इसकी पत्तियां का सेवन एनीमिया यानी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से बचाव के लिए किया जाता है। क्योंकि इसकी पत्तियों में एथनोलिक एक्सट्रेक्ट गुण पाए जाते हैं। जिसमें एंटी एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। इसके निरंतर सेवन से हिमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी मदद मिलती है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

सहजन में ओलिक एसिड पाया जाता है। जो क्लींजिंग एजेंट के रूप में ड्राई स्किन को मॉइस्चराइज करने में मदद करता है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-ई और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जो बेजान और रूखी त्वचा को मुलायम बनाते हैं। इसके अतिरिक्त सहजन में एंटीपीलेप्टिक, एंटीहाइपरटेन्सिव और एंटीफंगल जैसे गुण भी पाए जाते हैं। जो त्वचा की पूर्ण देखभाल करते हैं। इसप्रकार से सहजन या इसकी पत्तियों के सेवन से त्वचा को स्वस्थ्य बनाया जाता है।

एंटी-एजिंग के लिए

सहजन की फली या इसकी पत्तियां में विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा होती  है। जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाने और त्वचा के कोलेजन निर्माण में सुधार करके दमकती त्वचा (ग्लोइंग स्किन) देने का काम करता है।

सहजन का उपयोग

  • सहजन या इसकी पत्तियों को सब्जी बनाकर खाया जाता है।
  • सहजन को काटकर उसका उपयोग सूप के रूप में किया जाता है।
  • सहजन की फलियों या पत्तियों का टेबलेट या कैप्सूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों या फूलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर सेवन कर सकते हैं।

सहजन के नुकसान

  • महिलाओं को पीरियड के दौरान इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि यह पित्त को बढ़ाता है।
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर के दौरान इसके सेवन से बचें।
  • यह जलन में वृद्धि का कारण बन सकता है। इसलिए इसका सेवन गैस्ट्राइटिस, एसिडिटी की समस्या होने पर न करें।
  • सहजन के पत्ते उच्च रक्तचाप को कम करने का काम करते हैं। । इसलिए निम्न रक्त चाप से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • इसके सेवन से मधुमेह में राहत मिलती है। इसलिए इसका अधिक सेवन जरुरत से ज्यादा ग्लूकोज के स्तर में कमी  का कारण भी बन सकता है। सहजन के फली को गर्भावस्था के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इसकी छाल, पत्ते एवं फूलों का सेवन इस दौरान न करें करे या डॉक्टर के परामर्शानुसार ही सेवन करें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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