Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF. 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

बवासीर क्या है? जानें, इसके प्रकार, कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

बवासीर क्या है? जानें, इसके प्रकार, कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-05-24 12:32:19

जीवन में भागदौड़ और गलत लाइफ स्टाइल की वजह से अक्सर हम और आप लोग अपनी सेहत और खान-पान की चीजों पर ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण शरीर में कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है। उन्ही बीमारियों में से एक बवासीर भी है। बवासीर एक ऐसी बीमारी है जो बेहद तकलीफदेह होती है। इस स्थिति में मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से और गुदा (Anus) के अंदर सूजन आ जाती है। जिसके कारण गुदा के अंदर या मलाशय के शुरूआती हिस्सों पर मस्सें बनने लगते हैं। यह मस्से कभी अंदर रहते है, तो कभी बाहर आ जाते हैं। अमूमन 60 से 70 प्रतिशत लोगों को अपने उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या से जरुर गुजरना पड़ता है। समय रहते इसका इलाज न कराने पर तकलीफ काफी बढ़ सकती है। 

बवासीर क्या है?

बवासीर एक तरह की सूजन है, जो गुदा और निचले हिस्से (मलाशय) में होती है। गुर्दे और निचले मलाशय के भीतर अंदर की ओर छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं (नसों) का नेटवर्क होता है। कभी-कभी यह नसें अधिक चौड़ी हो जाती हैं और इनमें सामान्य से अधिक रक्त भर जाता हैं। तब यह नसें और ऊपर की ऊतकें (Tissues) बवासीर नामक सूजन को उत्पन्न करती हैं। बवासीर कुछ लोगों में बहुत आम और कुछ लोगों में अधिक रक्तस्राव विकसित करता हैं। शौचालय जाने पर रक्तस्राव होना इसका सबसे आम लक्षण है। लेकिन बड़ा बवासीर शौचालय जाने पर श्लेष्म का रिसाव (Mucus leakage), दर्द, जलन और खुजली उत्पन्न कर सकता है। बवासीर को मेडिकल भाषा में हेमोर्रोइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है।

 

बवासीर के प्रकार

बवासीर दो प्रकार के होते हैं। पहला आतंरिक बवासीर और दूसरा बाहरी बवासीर। चलिए विस्तार पूर्वक जानते हैं इनके प्रकारों के बारे में-

आंतरिक बवासीर (Internal Hemorrhoids)

आंतरिक बवासीर का सबसे आम पहचान मल त्याग के दौरान खून का बहना है। इसलिए इसे खूनी बवसीर के नाम से भी जानते है। यह समस्या मलाशय (Rectum) के शुरुआत में और गुदा (Anus) के अंदर होता है। इसमें गुदा के अंदर मस्से हो जाते हैं। जब यहां ऊतक (मस्से) बड़े हो जाते हैं, तो यह बाहर निकल सकते हैं, जिसे प्रोलैप्स (Prolapse) कहा जाता है। इसमें मल त्याग करते समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है या पिचकारी के रूप में आने लगता है। मल त्यागने के बाद मस्से अपने आप अन्दर चले जाते हैं। लेकिन गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इसलिए बिना नज़रअंदाज किए इस तरह के बवासीर का तुरंत इलाज कराना चाहिए। 

बाहरी बवासीर(External Hemorrhoids)

बवासीर का यह प्रकार गुदा के बाहर होती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता और यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित जगहों पर खुजली एवं जलन होती है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में बादी बवासीर के नाम से भी जानते है। शुरुआती अवस्था में यह अधिक तकलीफ नहीं देते। लेकिन गलत खान-पान और कब्ज रहने की वजह से यह मस्से फूल जाते हैं। साथ ही इन मस्सों में रक्त का थक्का बन जाता है और सूजन हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। इस तरह के बवासीर में मल त्याग करने के बाद प्रभावित हिस्सों को साफ करने में भी कठिनाई होती है।

 

बवासीर होने के लक्षण

  • मलाशय से रक्त निकलना।
  • मल का सख्त और मोटा होना।
  • मल त्याग करते समय कठिनाई महसूस करना।
  • मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना।
  • शौच करते समय असहनीय दर्द होना।
  • गुदा के आस-पास खुजली, लालीपन, जलन और सूजन रहना।
  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
  • लंबे समय तक शौचालय में बैठना।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना लेकिन शौच करते समय मल न निकलना।
  • गुदा के आस-पास एक या उससे अधिक कठोर गांठ का बनना। 

 

बवासीर होने के कारण और जोखिम कारक-

आयुर्वेद में बवासीर को अर्श के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बवासीर वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग के नाम से भी जानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, उसे शुष्क अर्श कहते हैं। इस तरह के बवासीर मे रक्त स्राव नहीं होता लेकिन इसमें अधिक पीड़ा होती है। इसके विपरीत जिस अर्श में रक्त एवं पित्त की प्रधानता होती है, उसे आर्द्र अर्श कहा जाता है। इस तरह के बवासीर में रक्तस्राव होता है। इसके अलावा बवासीर होने के पीछे कुछ अन्य कारण भी होते हैं। 

  • कब्ज।
  • गर्भावस्था।
  • आनुवंशिकी और बढ़ती उम्र होने पर।
  • लंबे समय तक बैठे रहने पर खासकर शौचालय में।
  • गुदा या मलाशय के ऊतकों का कमजोर होने पर।
  • कई घंटो तक खड़े होकर काम करने पर।
  • फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करने पर। 
  • सही समय पर भोजन न करने पर।
  • ज्यादा तेल एवं मिर्च मसाले का सेवन करने पर।
  • शारीरिक श्रम की कमी होने पर।
  • हेल्थ सप्लीमेंट्स दवाओं का अधिक सेवन करने पर।
  • तनाव, अवसाद या चिंता करने पर।
  • मोटापा आदि।

बवासीर होने पर निम्न बातों पर ध्यान दें-

  • ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
  • अधिक फाइबर युक्त आहार जैसे फलियां और साबूत अनाज का सेवन करें।
  • तले-भूने और जंक फ़ूड का सेवन न करें।
  • भोजन को चबाकर खाएं।
  • भोजन करते समय पानी न पिएं।
  • प्रतिदिन करीब 4 से 5 लीटर पानी जरूर पिएं।
  • प्रतिदिन स्नान करें और गुदा क्षेत्र को ठीक से साफ करें।
  • चाय, काफी, धूम्रपान आदि का सेवन करने से बचें।
  • मल त्यागते समय अधिक जोर न लगाएं।
  • शराब के सेवन से दूरी बनाएं।
  • नियमित रूप से सुबह टहलें और व्यायाम करें।

बवासीर के घरेलू उपचार-

 

एलोवेरा

एलोवेरा बवासीर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभकारी होता हैं। यह आतंरिक और बाहरी दोनों प्रकार के बवासीर के लिए फायदेमंद है। इसके लिए एलोवेरा जेल को गुदा के मस्सों पर लगाएं। इससे जलन और खुजली दोनों शांत होता है। ऐसा कुछ दिनों तक करने से बवासीर ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा एलोवेरा के गुदों को प्रतिदिन नियमित रूप से खाएं। ऐसा करने से पेट में कब्ज नहीं बनता और मल त्यागने में आसानी होती है।

सेब का सिरका

बवासीर होने पर सेब का सिरका एक अन्य प्रभावशाली उपचार है। सेब का सिरका अपने कषाय गुणों की वजह से रक्तवाहिनियों को सिकुड़ने में सहायक होता है। आतंरिक बवासीर से पीड़ित व्यक्तियों को एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब के सिरके को डालकर दिन में दो बार पिएं। इसके अलावा बाहरी बवासीर के लिए सेब के सिरके में रुई भिगोकर कुछ समय तक गुदा के मस्सों पर रखें। ऐसा करने से जलन और खुजली से राहत मिलती है।

टी ट्री ऑयल

टी ट्री ऑयल के लाभकारी गुण बवासीर के लिए बेहद कारगर होते हैं। यह सूजन के लक्षणों को कम करते हैं। इस तेल में मौजूद एंटी इंफ्लेमेंटरी यौगिक सूजन के अलावा दर्द को भी कम करते हैं और एंटीऑक्सीडेंट खुजली, जलन को ठीक करने में कारगर साबित होते हैं। इसके लिए टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदो को कैरियर ऑयल में मिलाकर मस्सों पर लगाएं।

लहसुन हैं लाभप्रद

लहसुन एंटी बायोटिक गुण से समृद्ध होता है। जो बवासीर के लक्षणों को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा लहसुन में एलिसिन नामक यौगिक पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लामेंटरी और एंटी माइक्रोबियल गुणों को प्रदर्शित करता है। यह सभी गुण सूजन एवं दर्द को भी कम करते है। इसके लिए कुछ कच्चे लहसुन की कलियों को लेकर पानी में उबालकर कुछ देर तक ठंडा होने के लिए रख दें। अब इस पानी में कॉटन भिगोकर प्रभावित स्थानों पर लगाएं। ऐसा करने से मस्से सिकुड़ जाते हैं। इसके अलावा आतंरिक बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को कच्चे लहसुन के कुछ कलियों को छीलकर कुचल लें। अब इसे मलाशय के अंदर रखकर रात भर के लिए छोड़ दें। ऐसा करने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

 

बवासीर के अन्य घरेलू उपचार-

  • जैतून के तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण मौजूद हैं। यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। इसके लिए जैतून के तेल को बाहरी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
  • बादाम के तेल में रुई को डुबोकर मस्सों पर लगाने से सूजन और जलन से राहत मिलती है।
  • नारियल की जटाओं को जलाकर राख बना लें। अब इस रख को ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं। ऐसा करने से आतंरिक बवासीर में फायदा पहुंचाता है।
  • अंजीर भी बवासीर के लिए अच्छा उपाय है। इसके लिए तीन अंजीर को एक गिलास पानी में भिगों दें। अब इसका सेवन सुबह खाली पेट करे साथ में इस पानी को भी पिएं। ऐसा करने से बवासीर में आराम मिलता है।
  • आतंरिक बवासीर में जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण की 1-2 ग्राम मात्रा को नियमित रूप से दिन में 2-3 बार मट्ठे के साथ लें। इससे बवासीर में लाभ मिलता है।
  • नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करने से बवासीर में फायदा पहुंचता है।
  • छाछ बवासीर रोग में अमृत का काम करता है। इसके लिए एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर एवं एक चम्मच काला नमक मिलाकर प्रतिदिन दोपहर को भोजन के साथ सेवन करें। यह बवासीर से आराम पाने का सबसे कारगर उपाय है।
  • बवासीर में राहत पाने के लिए केला का सेवन अच्छा माना जाता है। इसके लिए पके केला को उबालकर दिन में दो बार सेवन करें।
  • मूली के रस का सेवन भी बवासीर के लक्षणों को कम करता है।
  • बाथ टब में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठे रहने से बवासीर के दर्द और जलन से आराम मिलता है।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: