क्या है सेप्टिक अर्थराइटिस कैसे करे उपचार?
2022-05-24 11:59:08
आजकल बदलते परिवेश और दिनचर्या में हो रहे बदलाव के कारण ज्यादातर लोग गठिया (अर्थराइटिस) के शिकार हो रहे हैं। इन्हीं में से एक सेप्टिक अर्थराइटिस भी है। यह संक्रमण की तरह ही शरीर के एक हिस्सों से दूसरे अंगों में फैलता है। ज्यादातर सेप्टिक अर्थराइटिस की समस्या उन लोगों में देखने को मिलती है। जिनको पहले से कभी चोट लगी हो, सर्जरी कराई हो या इंजेक्शन लगवाया हो। क्योंकि इन सभी के जरिए संक्रमण रक्त के माध्यम से शरीर के जोड़ों में फैलता हैं। इसलिए इसे संक्रामक गठिया भी कहा जाता है।
क्या होता है सेप्टिक अर्थराइटिस?
सेप्टिक गठिया जोड़ों में होने वाला संक्रमण है। यह संक्रमण (infection) मुख्य रूप से चोट या रक्त के माध्यम से जोड़ों तक पंहुचता है। जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन और लालिमा आदि समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। जो शरीर के विभिन्न जोड़ों को प्रभावित करती है। यह स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए काफी तकलीफदेह होती है। क्योंकि इस दौरान उसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। लेकिन यदि इसका इलाज समय रहते शुरू कर लिया जाए तो कोई भी व्यक्ति इससे निजात पा सकता है। यह समस्या सभी उम्र के लोगों को हो सकती है। बच्चों में सेप्टिक अर्थराइटिस होने की मुख्य वजह प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना होता है। आकड़ों के अनुसार भारत में लगभग हर 1500 लोगों में से 1 नवजात शिशु सेप्टिक अर्थराइटिस की समस्या से ग्रस्त होता है।
क्या हैं सेप्टिक अर्थराइटिस के लक्षण?
सेप्टिक गठिया के लक्षण भी अन्य गठिया के लक्षणों की तरह ही होते हैं। जोड़ों में दर्द, जकड़न, सूजन और चलने-फिरने में तकलीफ आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। साथ ही सेप्टिक अर्थराइटिस के दौरान जोड़ों की त्वचा लाल पड़ जाती है। आमतौर पर इससे पीड़ित व्यक्ति का केवल एक जोड़ ही प्रभावित होता है। लेकिन गंभीर मामलों में शर्रेर के विभिन्न जोड़ों (घुटने, कूल्हों आदि) में परेशानी हो सकती हैं। जिससे जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगते हैं। परिणामसरूप संक्रमण की वजह से शरीर रिएक्टिव अर्थराइटिस भी हो सकता है। इसके अलावा अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं, जो निम्नलिखित हैं :
बच्चों और नवजातों में नजर आने वाले लक्षण-
- प्रभावित जोड़ों को हिलाने (मूवमेंट) करने पर रोना।
- शरीर के अंगों को मूवमेंट करने पर कठिनाई महसूस करना।
- बुखार आना।
- चिड़चिड़ापन होना।
- बेचैनी होना।
- वयस्कों में लक्षण-
- संक्रमित जोडों को हिलाने में कठिनाई या असमर्थता महसूस करना।
- चलने-फिरने में तकलीफ होना।
- बुखार आना।
- ठंड लगना या कपकपी आना।
- थकान या कमजोरी महसूस करना।
- त्वचा में रैशेज आना।
- अपच होना।
सेप्टिक अर्थराइटिस के कारण?
सेप्टिक अर्थराइटिस होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया यानी जीवाणु के कारण होने वाला संक्रमण होता हैं। जब स्टैफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी या निसेरिया गोनोरिया, स्ट्रेप्टोकोच्ची और हिमोफिलस इंफ्लुएंजा नामक जीव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह संक्रमण शरीर पर लगे किसी प्रकार का चोट, इंजेक्शन सर्जरी एवं रक्त के जरिए होता है। इसके अलावा सेप्टिक अर्थराइटिस फंगल या वायरल इंफेक्शन से भी हो सकता है। इसलिए जोड़ों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने एवं संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस रोग का उपचार तुरंत करना चाहिए।
सेप्टिक अर्थराइटिस होने के जोखिम कारक-
सेप्टिक अर्थराइटिस होने के पीछे कुछ जोखिम कारक निम्नलिखित हैं;
पहले से जोड़ों में समस्या-
सेप्टिक अर्थराइटिस बीमारी होने की संभावना उन लोगों में अधिक रहती है, जिनको पहले से गठिया,ऑस्टियोआर्थराइटिस, ल्यूपस आदि की समस्या हो। इसके अलावा घुटनों पर कभी चोट लगी हो। इसलिए किसी भी व्यक्ति को घुटने की चोट को नजरअंदाज न करते हुए उसकी जांच तुरंत करानी चाहिए।
पहले से संधिशोथ की दवा ले रहे हों-
जो लोग संधिशोथ को ठीक करने के लिए पहले से इसकी दवाई ले रहे हैं। उन लोगों को सेप्टिक अर्थराइटिस जैसी कई गंभीर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं। क्योंकि इन दवाईयों के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं।
त्वचा का नाजुक होना-
जिन लोगों की त्वचा नाजुक होती हैं। जिससे त्वचा जल्दी फट जाती है। ऐसे लोगों में बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक रहती है। एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा की स्थितियों से सेप्टिक आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली-
सेप्टिक आर्थराइटिस होने की वजह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) का कमजोर होना भी है। इसलिए लोगों को नियमित रूप से व्यायाम और पौष्टिक आहार का सेवन करनी चाहिए। जिससे उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।
कैसे करें सेप्टिक अर्थराइटिस की रोकथाम?
- कुछ सावधानियों को बरतकर सेप्टिक अर्थराइटिस की रोकथाम किया जा सकता हैं;
- सभी लोगों को अपने वजन को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे उन्हें किसी तरह गंभीर बीमारी न हो।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- पर्याप्त आराम करे और प्रभावित अंगों को बाहरी दबाव एवं अन्य किसी नुकसान से बचाएं।
- लोगों को पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। जिसमें कैल्शियम, प्रोटीन भरपूर मात्रा में हो, जैसे अंकुरित चना, सोयाबीन, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, इत्यादि का इस्तेमाल करना चाहिए।
- सभी लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। क्योंकि शरीर में जितना कैल्शियम, प्रोटीन या अन्य पदार्थ आवश्यकता होती है। उतनी ही उसमें पानी का होना भी जरूरी होता है।
- अपने स्वास्थ की नियमति रूप से जांच कराएं। जिससे पता चलता है कि हम पूरी तरह से सेहतमंद हैं।