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योग

योग

2022-07-26 17:35:17

यदि आपको लगता है कि योग का मतलब केवल शरीर को अतरंग तरीके से मोड़ना होता हैं तो यह कहना कतई गलत होगा। क्योंकि योग सिर्फ आसनों तक सीमित नहीं होता अपितु इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम मन, श्वांस एवं शरीर के विभिन्न अंगो में सामंजस्य बनाना सीखते हैं। अर्थात आम बोलचाल की भाषा में कहा जाए तो यह व्यक्ति के मन, शरीर और श्वांस की देखभाल करता है।

क्या है योग?

योग व्यक्ति को सही तरह से जीने का विज्ञान अर्थात साधन है। यह व्यक्ति के जीवन से जुड़ीं तमाम पहलुओं जैसे भौतिक, आध्यात्मिक, मानसिक एवं भावनात्मक एवं अन्य सभी तथ्यों पर काम करता है। यह संस्कृत भाषा के युज शब्द से निकला है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "जुड़ना" यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन। इसमें इतनी शक्ति होती है कि इससे व्यक्ति अमरत्व की प्राप्ति भी कर सकता है।

योग विज्ञान के अलावा एक कला भी है। यह शरीर और मन की एकता का प्रतीक है। यह विचार, संयम, सद्भाव स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाता है। योग मुख्य रूप से प्राणायाम या ऊर्जा-नियंत्रण के माध्यम से शरीर में ऊर्जा प्रसार का काम करता है। यह हमें बताता हैं कि किस प्रकार सांस-नियंत्रण के माध्यम से मन और जागरूकता के उच्च स्थान को प्राप्त किया जा सकता है।

  • योग के प्रकारयोग मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
  • राज योगयह सभी योगों का राजा कहलाता हैं। क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार का योगों का अंश मिलता है। इस योग के आठ अंग है। जिसके कारण महर्षि पतंजलि ने इसका नाम अष्टांग योग रखा था । इस योग का सबसे महत्वपूर्ण अंग ध्यान होता है। यह 8 अंग निम्नलिखित है
  • यम (शपथ लेना) ।
  • नियम (आचरण का नियम)।
  • आसन।
  • प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)।
  • प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)।
  • धारण (एकाग्रता)।
  • ध्यान (मेडिटेशन)।
  • समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)।
  • कर्म योगकर्म योग का दूसरा प्रकार है। इस योग से कोई भी व्यक्ति नहीं बच सकता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला कर्म जिसका शाब्दिक अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति के शरीर द्वारा की जाने वाली क्रियाएं जैसे बोलना, चलना, पढ़ना या किसी कार्यरत जगह पर शारीरिक या मानसिक रूप से परिश्रम करना होता है। वहीं योग का मतलब समत्व अर्थात हानि-लाभ, जय-पराजय, सफलता-असफलता और सुख-दुःख जैसी परिस्थितियों में घबराना नहीं बल्कि समान भाव से रहना होता है। इस आधार पर हम कह सकते है हमें सुख-दुःख, हानि-लाभ, सफलता-असफलता से विचलित हुए बिना उत्साह और धैर्य के साथ कार्य करना चाहिए। यही कर्मयोग को परिभाषित करता है।
  • भक्ति योगभक्ति योग भक्ति के मार्ग के बारे में बताता है। इस योग से आशय है कि अपने इष्टदेव पर विश्वास करके भजन, कीर्तन आदि करने से है। इस मार्ग के माध्यम से व्यक्ति आतंरिक रूप से ईश्वर के करीब पहुंचाता है। अतः यह मार्ग उन तीनों मार्गो में से एक हैं, जिससे व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है।
  • ज्ञान योगज्ञान के माध्यम से सर्वोच्च अवस्था की प्राप्ति के मार्ग को ज्ञान योग कहा जाता है। इस तरह का योग काफी कठिन और प्रत्यक्ष माना जाता है। इसमें व्यक्ति को गहन विचार या अध्ययन करना होता है। साथ ही यह उन लोगों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक होते हैं।

योग के लाभ

शारीरिक और मानसिक उपचार योग के ज्ञात लाभों में से एक हैं। यह व्यक्ति विशेष की उदासीनता, तनाव, मस्तिष्क संबंधी विकारों को समाप्त करता है। यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर करके भीतर से शुद्धता का संचार करता है। यह भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने के लिए साधन है। यह अस्थमा, रक्तचाप, मधुमेह, पाचन एवं हृदय संबंधी समस्याओं के इलाज में मददगार है। इसके अलावा योग कई लाइलाज बिमारियों से निजात दिलाने में भी कारगर साबित होता है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के मुताबिक, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में संतुलन बनाए रखता है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है।

योग के नियम

योग करते समय कुछ नियमों का पालन जरुरी होता हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • सर्वप्रथम योग का अभ्यास गुरु के निर्देशन में ही शुरू करनी चाहिए।
  • योग का सही समय सूर्योदय या सूर्यास्त होता है।
  • स्नान करने के बाद ही योग करें।
  • योग हमेशा खाली पेट करनी चाहिए।
  • सूती या आरामदायक कपड़े पहनें।
  • योग करते समय तन और मन दोनों स्वच्छ होना चाहिए। li>
  • योग का अभ्यास शांत वातावरण और साफ-सुथरा स्थान पर करें।
  • धैर्य और दृढ़ता से योगाभ्यास करें।।
  • धैर्य बनाए रखें, क्योंकि योग के लाभ महसूस होने में कुछ समय लगता है।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से योग करते रहें।
  • योग करने के 30 मिनट तक कुछ न खाएं और 1 घंटे तक न करें।
  • आसन अभ्यास करने के बाद प्राणायाम करनी चाहिए। li>
  • यदि किसी तरह का तकलीफ हो तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें और चिकित्सक से सलाह लें।
  • योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन जरूर करें।

योगाभ्यास करते समय बरतें यह सावधानियां

  • महिलाओं को पीरियड्स के दौरान योगाभ्यास करने से बचना चाहिए।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाएं गुरु के देखरेख में योगाभ्यास करें।
  • छोटे बच्चों को अधिक मुश्किल वाला आसन न कराएं।
  • नियमित रूप से उचित एवं पौष्टिक भोजन करें।
  • धूम्रपान से परहेज करें।
  • शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ-साथ नींद भी जरुरी होता है। इसलिए प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद लें।
  • योग की मुदाएं

    वैसे तो योगासन की मुद्राएं कई होती हैं। लेकिन आइए बात करते हैं योग की कुछ प्रचलित मुद्राएं के बारे में जो निम्नलिखित हैं।

    स्थायी योग

  • कोणासन प्रथम एवं द्वितीय
  • कतिचक्रासन
  • हस्तपादासन
  • अर्ध चक्रासन
  • त्रिकोणासन
  • वीरभद्रासन
  • परसारिता पादहस्तासनं या वीरभद्रासन
  • वृक्षासन
  • पश्चिम नमस्कारासन
  • गरुड़ासन
  • उत्कटासन
  • बैठकर करने वाले योग

  • जनु शिरसाना
  • पश्चिमोत्तानासन
  • पूर्वोत्तानासन
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन
  • बद्धकोणासन
  • पद्मासन
  • मार्जरीआसन या (बिल्ली मुद्रा)
  • राजकपोतासन
  • बालासन
  • चक्की चलनासन
  • वज्रासन
  • गोमुखासन
  • पेट की ओर लेटकर योगा या आसन

  • वसिष्ठासना
  • अधोमुखश्वानासन
  • मकरासन
  • धनुरासन
  • भुजंगासन
  • सालम्बसर्वाङ्गासन
  • विपरीता शलभासन
  • राजकपोतासन
  • शलभासन
  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन
  • पीठ के बल लेटकर योग

  • नौकासन
  • सेतु बंधासन
  • मत्स्यासन
  • पवनमुक्तासन
  • सर्वांगसन
  • हलासन
  • नटराजासन
  • विष्णुअसना
  • शवासन
  • शीर्षासन
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