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फैटी लिवर के लक्षण, कारण और निदान

फैटी लिवर के लक्षण, कारण और निदान

2022-03-17 13:03:23

गलत लाइफ स्टाइल और असंतुलित आहार की वजह से कई गंभीर बीमारियां जन्म लेती हैं। उन्ही गंभीर बीमारियों में से एक है फैटी लिवर की समस्या। यह यकृत (लिवर) संबंधित रोग है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है व्यक्ति के लिवर में अधिक मात्रा में फैट का जमा होना। आमतौर पर शरीर में सामान्य मात्रा में फैट का होना सामान्य बात है। लेकिन जब इसकी मात्रा अधिक होने लगती तो फैटी लिवर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। परिणामस्वरूप सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

चूंकि लिवर शरीर का दूसरा प्रमुख अंग है, जो केवल कशेरुकी प्राणियों में पाया जाता है। लिवर शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। इसके अलावा लिवर का कार्य विभिन्न चयापचयों को डिटॉक्सिफाई करना, प्रोटीन को संश्लेषित करना, शरीर को संक्रमण से बचाना, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना, फैट को कम करना और पाचन के लिए आवश्यक जैव रासायनिक बनाने में अहम भूमिका निभाना है। लिवर को हिंदी में यकृत, जिगर या कलेजा जैसे नामों से जाना जाता है।

 
क्या होते हैं फैटी लिवर के लक्षण?

फैटी लिवर के कई लक्षण होते हैं। जो शुरुआत होने के संकेत देते हैं, उनमें से मुख्य इस प्रकार हैं-

 
  • पेट के ऊपरी हिस्सों में असहनीय दर्द का होना।
  • पेट में सूजन का महसूस होना।
  • वजन में तेजी से गिरावट या कमी होना।
  • त्वचा एवं आंखों का पीला पड़ना।
  • अधिक कमजोरी या थकान महसूस करना।
  • भोजन न पचना या एसिडिटी होना।
  • भ्रम का अनुभव होना।
  • हथेलियों का लाल पड़ना।
फैटी लिवर होने के कारण-

ऐसे कई कारण हैं, जिनसे लोग फैटी लिवर से ग्रसित हो सकते हैं। आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में-

 
  • वजन का अधिक होना।
  • अधिक शराब का सेवन करना।
  • रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना।
  • मधुमेह या डायबिटीज का होना।
  • फैटी फूड और मसालेदार भोजन का सेवन करना।
  • उच्च रक्तचाप का होना।
  • पीने के पानी में क्लोरीन की अधिक मात्रा होना।
  • वायरल हेपाटाइटिस से ग्रसित होना।
  • आनुवंशिकता ।
  • एस्पिरिन, स्टेरॉयड, ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लंबे समय तक सेवन करना।
फैटी लिवर के प्रकार-

फैटी लिवर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

 
1- एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज-

यह फैटी लिवर का प्रकार है, जो शराब का अधिक सेवन करने वाले लोगों में होता है। अल्कोहल का अधिक सेवन यकृत में फैट जमा होने का एक कारण है। जिससे लिवर में सूजन आती है और लिवर क्षतिग्रस्त होता है।

 
2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज-

नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर भी लिवर में सूजन का कारण है। इसका मुख्य कारण अधिक वसायुक्त भोजन एवं अनुचित जीवन शैली है। जिसके परिणामस्वरूप मोटापे, डायबिटीज एवं उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं।

 
फैटी लिवर के चरण-

फैटी लिवर के के मुख्यतः चार चरण होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

 
स्टीटोसिस (Steatosis)-

यह बीमारी का शुरूआती चरण होता हैं। जिसे सिम्पल फैटी लिवर (Simple Fatty Liver) के नाम से भी जाना जाता है। इस चरण में लिवर में वसा का जमना शुरू हो जाता है लेकिन किसी भी प्रकार का सूजन नहीं होती। इस दौरान किसी भी तरह के फैटी लिवर के लक्षण नहीं दिखते हैं। इसकी पहचान केवल मेडिकल टेस्टों के द्वारा ही की जा सकती है। इस प्रकार की बीमारी उचित आहार के सेवन से ठीक हो जाती है।

 
स्टीटोहेपेटाइटिस (Steatohepatitis)-

स्टीटोहेपेटाइटिस एक गंभीर चरण है, जो नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज श्रेणी में आता है। जिसे नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपटाइटिस (Non- Alcoholic steatohepatitis) के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिवर के आस-पास सूजन हो जाती है और व्यक्ति को मेडिकल सहायता की आवश्यकता होती है।

 
फाइब्रोसिस (Fibrosis)-

जब लिवर के आस-पास रक्त वाहिकाओं में घाव वाले ऊतक बनने लगते हैं। इस अवस्था में लिवर सामान्य रूप से कार्य नहीं करता है, तो उस स्थिति को फाइब्रोसिस (fibrosis) के नाम से जाना जाता है।

 
सिरोसिस (cirrhosis)-

यह फैटी लिवर का सबसे घातक चरण होता है। जिसमें लिवर सिकुड़ने लगता है। इस अवस्था तक पहुंचने के उपरांत व्यक्ति को केवल लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है।

 
फैटी लिवर के समय बरतें यह सावधानियां-
  • ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
  • अधिक फाइबर युक्त आहार जैसे फलियां और साबुत अनाज का सेवन करें।
  • भोजन में लहसुन प्याज आदि तीव्र गंध वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करें। क्योंकि यह फैट जमा होने से रोकते हैं।
  • ग्रीन टी का सेवन करें।
  • तले-भुने एवं जंक फूड के सेवन से बचें।
  • अधिक नमक, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स और सफेद चीनी के इस्तेमाल से बचें।
  • अल्कोहल या शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
  • पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, टिण्डा, तोरई, गाजर, चुकंदर, मूली आदि का सेवन करें।
  • राजमा, सफेद चना, काली दाल इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
  • मक्खन, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई आदि का सेवन बिल्कुल भी न करें।
  • नियमित रूप से सुबह टहलें और प्राणायाम करें।
फैटी लिवर के घरेलू इलाज-
सूखे आंवले का चूर्ण-

आंवला एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी से भरपूर होता है। जो लिवर की कार्यप्रणाली को ठीक करने में सहायक होता है। दरअसल आंवले के सेवन से लिवर से हानिकारक विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसलिए रोजाना सूखे आंवले का चूर्ण या 2-3 कच्चे आंवले का सेवन जरूर करें। ऐसा करने से फैटी लिवर में फायदा होता है।

 
हल्दी है फायदेमंद-

हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो लिवर संबंधित बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा हल्दी लिपिड को संतुलित और इंसुलिन की प्रक्रिया में सुधार करने में भी कारगर साबित होती है। इसके लिए एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पीने से लिवर संबंधी सभी विकारों में राहत मिलती है।

 
सेब का सिरका-

सेब के सिरके को फैटी लिवर के लिए एक सटीक उपाय माना जाता है। क्योंकि इसमें एसिटिक एसिड मौजूद होते हैं। जो उपापचय (Metabolism) की क्रिया को बढ़ावा देते हैं। साथ ही शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट को गलाने का काम करते हैं। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले एंटीटॉक्सिन गुण लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

 
फैटी लिवर में नींबू पानी-

नींबू में सिट्रिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो एक प्रकार से एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार नींबू में पाए जाने वाला सिट्रिक एसिड इस बीमारी के दौरान होने वाली ऑक्सीडेशन प्रक्रिया को रोकने का काम करता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर सेवन करें।

 
करेले का जूस है फायदेमंद-

विशेषज्ञों के अनुसार फैटी लिवर जैसी समस्याओं में करेले का जूस अच्छा माना जाता है। क्योंकि करेले में इंफ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने के गुण पाए जाते हैं। साथ ही इसमें लिपिड को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए करेले जूस का उपयोग फैटी लिवर के इलाज के लिए जाना जाता है।

 
नारियल का पानी-

फैटी लिवर की समस्या में नारियल का पानी पीना अच्छा विकल्प है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और हेपाटो प्रोटेक्टिव गतिविधि होती है। जो फैटी लिवर की समस्या में आराम पहुंचाती है।

 
एलोवेरा जूस-

एलोवेरा में हाइपोग्लाइसेमिक (इंसुलिन कम करने) और एंटीओबेसिटी (मोटापा कम करने) वाले गुण मौजूद होते हैं। इसलिए यह फैटी लिवर जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार होते हैं। इसके लिए अपने डेली रूटीन में एलोवेरा जूस पीना बेहद फायदेमंद होता है। 

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