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Bael- Uses, Benefits and Side effects

Posted 20 December, 2021

Bael- Uses, Benefits and Side effects

Bael is a common fruit and its trees have been considered sacred in Hinduism. This fruit can be eaten raw and also consumed in the form of juice. It has several health benefits and provides a cooling effect to the body. The bael is also known as golden apple, bitter orange, stone apple or wood apple. Many nutrients are found in bael which help in curing diseases like obesity, diabetes and cancer. Hence, it is used in many Ayurvedic medicines.

 
What is a Bael?

Bael is a nutritious, aromatic, sweet and a fruit with fibrous pulp. The outer cover is very rigid and round. Till raw, this fruit remains covered with a hard layer of green color and turns yellow when ripened. While its outer layer remains hard.

 

Bael's scientific name is Aegle Marmelos. It is a unique gift provided by mother nature because every part of its tree is used for medicinal and Ayurvedic medicine.

 
Benefits of bael
For gastric ulcer-

Eating bael is a good option to cure gastric ulcer because bael has natural antioxidant properties which help in healing gastric ulcer.

 
For cholera-

Cholera is considered to be the main cause of diarrhea which is a bacterial infection. Bael is considered to be good at defending this because it has anti-diarrheal activity which effectively reduces the risk of cholera.

 
For Headache-

Bael contains a good amount of vitamin-C which works to reduce neurogenic inflammation in migraine (a condition of headache) patients. Therefore, eating bael is considered good for headaches.

 
For vomiting-

In case of vomiting, decoction (Kadha) made from bael root should be taken because the decoction of bael root has antibiotic action which proves helpful in the treatment of nausea and vomiting.

 
For eyes-

Consuming bael is beneficial to keep eyes healthy for a long time because a good amount of Vitamin-A is found in the bael which helps to improve eyesight.

 
For cardiovascular health-

Bael acts as a cardioprotective agent and works to protect the heart from all diseases. Therefore, pulp of bael fruit must be consumed for good heart health.

 
For diabetes-

It is good to drink bael juice during diabetes because bael has anti-diabetic properties which proves helpful in reducing diabetes and risks associated with it.

 
For hair-

According to scientific opinion, the problem of hair loss starts due to lack of iron and zinc in the body. Since iron and zinc are present abundantly in the bael, its use can help reduce the hair fall.

 
For dandruff-

To reduce the problem of dandruff, eating bael is a good remedy because it contains zinc which is considered an essential element to reduce the problem of dandruff. Therefore, the use of bael can eliminate hair dandruff.

 
For inflammation-

Sometimes, swelling starts in any part of the body due to injury which can be prevented with the use of bael because bael has anti-inflammatory properties which work to reduce inflammation and its effect.

 
For jaundice-

Liver inflammation is the main cause of jaundice. Therefore, bael is considered good for prevention of jaundice because according to a scientific research bael has anti-inflammatory properties which help reduce inflammation in the liver.

 
For hemorrhoids-

Constipation and low fiber diet are the main causes of hemorrhoids. Since bael has been known to treat constipation and is a good source of fiber, its intake has the power to reduce the risk of hemorrhoids.

 
For anemia-

In anemia, there is a deficiency of red blood cells in the blood of the body. The main cause of anemia is lack of iron in the body. Since there is a sufficient amount of iron in the bael. Therefore, it is considered good for consumption in anemia.

 
For TB disease-

According to medical research bael has anti-microbial action which works effectively in the body of a TB patient by reducing M. tuberculosis (bacteria responsible for TB disease) and its side effects. 

 
Side effects of Bael
  • Since there is a lot of sugar in the bael. Therefore, its excessive intake can cause type 2 diabetes and high blood pressure.
  • Bael contains sufficient amounts of phosphorus. Therefore, people suffering from kidney disease should not consume it without consulting a doctor.
  • Since calcium is abundant in bael. Therefore, excessive intake of it can cause kidney stones.
  • When taking the pulp of the bael, its seeds should be removed properly. Otherwise these may get stuck in the throat.
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ग्रेपफ्रूट (चकोतरा) एसेंशियल ऑयल का महत्व और फायदे

Posted 24 May, 2022

ग्रेपफ्रूट (चकोतरा) एसेंशियल ऑयल का महत्व और फायदे

चकोतरा एक ऐसा फल है जिसके गुणों के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। यह साइट्रस (नींबू और संतरे) प्रजाति का फल है। जो पीले, गुलाबी और लाल रंगों में पाया जाता हैं। यह अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबू के चलते अधिक लोकप्रिय है। एक तरफ चकोतरा का जूस शरीर को स्वास्थ्यवर्धक बनाता है तो दूसरी ओर इससे बना तेल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। आम बोलचाल की भाषा में चकोतरा तेल को ग्रेपफ्रूट ऑयल के नाम से जाना जाता है।

 

ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल को चकोतरा पौधे के छिलके से निकाला जाता है। जिसे कोल्ड-प्रेसिंग प्रॉसेस से तैयार किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम  साइट्रस परेडिसी (Citrus Paradisi) है। इस तेल में शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। जो प्रभावी रूप से कीटाणुरहित त्वचा के लिए फायदेमंद और हानिकारक बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एंटरोकोकस फेसेलिस, और एस्किचिया कोली आदि का खात्मा करते हैं। 

 
आयुर्वेद में ग्रेपफ्रूट (चकोतरा) एसेंशियल ऑयल का महत्व-

औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से आयुर्वेद में चकोतरा एसेंशियल ऑयल को उत्तम दर्जे का तेल माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। इस तेल में विटामिन ए, सी, बी 6, फोलेट के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स जैसे पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम और सेलेनियम पाए जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल कई प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। इसे तेल को खाद्य के रूप में, बॉडी ऑयल के रूप में, हेयर ऑयल के रूप में और सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए त्वचा पर इस्तेमाल किया जाता है।

 
ग्रेपफ्रूट (चकोतरा) एसेंशियल तेल के फायदे-

इस तेल का इस्तेमाल त्वचा पर अकेले (सीरम के रूप में) या अन्य उत्पादों के साथ मिलाकर किया जाता है। इसलिए यह स्किन और हेयर केयर प्रोडक्ट्स में भी उपयोग किया जाता है। आइए बात करते हैं ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल के इन्हीं फायदों के बारे में;

 
प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगर-

ग्रेपफ्रूट तेल का सेवन शरीर की इम्यूनिटी में सुधार करता है। क्योंकि इस तेल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी और ई पाए जाते हैं। जो एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के रूप में काम करते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड बॉडी को ऑक्सीकरण से भी बचाता है।

 
मधुमेह के लिए-

इस तेल को डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी जाना जाता है। चकोतरा एसेंशियल ऑयल शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। चकोतरा में मौजूद मैग्नीशियम कार्बोहाइड्रेट चयापचय को नियंत्रित करता है। इसके अलावा चकोतरा में नारिंगगेनिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है। जो डायबिटीज टाइप-2 के उपचार में सहायक होता है। इसलिए डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए नियमित रूप से ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल का सेवन करना चाहिए है।

 
ब्लड प्रेशर के लिए-

ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद गामा-लिनोलेइक एसिड एक प्रकार का एंटी-इंफ्लामेटरी फैटी एसिड होता है। जिसका मुख्य काम नसों को आराम पहुंचाना होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद पोटैशियम शरीर के रक्त प्रवाह को सामान्य रखने में सहायता करता है। जिससे शरीर का रक्तचाप सामान्य बना रहता है।

 
शरीर में पानी की कमी होने पर-

गर्मियों के मौसम में अक्सर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। फलस्वरूप कमजोरी, चक्कर और निम्न रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।  ऐसे में ग्रेपफ्रूट ऑयल का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है। क्योंकि इस फल में पानी की मात्रा 92% तक होती है। जो शरीर में पानी की मात्रा को कम नहीं होने देता।  

 
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-

आजकल गलत खान-पान और लाइफ स्टाइल के कारण खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती चली जाती है। परिणामस्वरूप ह्रदय संबंधित रोगों को बढ़ावा मिलता है। ऐसे में ग्रेपफ्रूट ऑयल का सेवन करना अच्छा होता है। क्योंकि इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन बी आदि तत्व मौजूद होते हैं। अत: चकोतरा का सेवन शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (एक तरह का खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम करता है।

 
तनाव और थकान हेतु-

ग्रेपफ्रूट ऑयल चिंता, थकान, तनाव आदि की वजह से होने वाले सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। चकोतरा का तेल सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अतिरिक्त चकोतरा में एक ताजी मनमोहक सुगंध होती है। जो मानसिक संतुष्टि और खुशी की भावना को बढ़ाती है। जिससे व्यक्ति अच्छा फील करता है। परिणामस्वरूप चिंता, तनाव, थकान, सिरदर्द आदि में आराम मिलता है।

 
फ्री रेडिकल्स से बचाव-

चकोतरा तेल को नमक बॉडी स्क्रब के साथ मिलाकर शरीर पर लगाने से लाभ मिलता है। दरअसल चकोतरा एसेंशियल ऑयल शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स से सुरक्षा प्रदान करता है। क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स कई बीमारियों का कारण बनते हैं। लेकिन चकोतरा तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ने का काम करता है। परिणामस्वरूप शरीर कई तरह की गंभीर बीमारियों का शिकार होने से बच जाता है।

 
त्वचा के लिए फायदेमंद-

ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल त्वचा की सेहत के लिए अच्छा होता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन-सी और विटामिन-ई फाइन लाइन, मुंहासे, झुर्रियों, एजिंग की समस्या आदि परेशानियों को दूर करते हैं। इसके अतिरिक्त यह तेल त्वचा की लोच में सुधार करके नमी के स्तर को बनाए रखता है।

 
विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मददगार-

ग्रेपफ्रूट ऑयल शरीर के विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है। प्रदूषण के विषाक्त पदार्थ और गंदगी को हटाने के लिए ग्रेपफ्रूट तेल से त्वचा की मालिश करना एक अच्छा उपाय है। क्योंकि यह तेल डिटॉक्सिफायर और त्वचा क्लींजर के रूप में काम करता है। इसलिए ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल का प्रयोग अरोमा थेरेपी में भी किया जाता है।

 
बालों के विकास के लिए-

नारियल, जोजोबा और जैतून तेल में से किसी एक तेल में ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल को मिलाकर, सिर की मालिश करना अच्छा रहता है। क्योंकि चकोतरा तेल में मैग्नीशियम,आयरन, जिंक, और विटामिन-सी आदि तत्व मौजूद होते हैं। जो बालों को पोषण देकर उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाने और गिरने से रोकते हैं। इसके अलावा ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल स्कैल्प (खोपड़ी) में आसानी से अवशोषित होकर रक्त संचार में सुधार और बालों के विकास में भी मदद करता है।

 
रूसी से छुटकारा दिलाने में सहायक-

चकोतरा एसेंशियल तेल स्किन की नमी को बनाए रखने का काम करता है। इसी गुण के चलते इसका इस्तेमाल कई मॉइस्चराइजिंग उत्पादों में किया जाता है। चकोतरा एसेंशियल तेल में सिलेनियम और जिंक मौजूद होते हैं। जो स्कैल्प पर एंटीफ्लैक गुणों (खोपड़ी की पपड़ी को कम करना) के रूप में काम करते हैं। ग्रेपफ्रूट ऑयल सिर पर ठंडक का अहसास कराता है और रूसी से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

 
ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल के नुकसान-
  • जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है। उन लोगों को ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल का प्रयोग पैच टेस्ट करने के बाद ही करना चाहिए। क्योंकि अधिक संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को इस तेल से एलर्जी की समस्या हो सकती है।
  • इस तेल का अधिक सेवन करने से दस्त, पेट में ऐंठन और मतली जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • गर्भवती महिला और गर्भवती होने के बारे में सोच रहीं महिलाओं को ग्रेपफ्रूट एसेंशियल ऑयल का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए।
  • चकोतरा तेल का उपयोग करते पर यदि खुजली, लालिमा, जलन या अन्य प्रतिकूल प्रभाव का अनुभव हो तो इस तेल का इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें।
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Grapeseed Oil- Benefits and Side effects

Posted 20 December, 2021

Grapeseed Oil- Benefits and Side effects

Grapeseed oil is a byproduct of winemaking as it is extracted from the leftover grape seeds that remain after extracting wine. It is rich in nutrients such as polyunsaturated fatty acids, omega-6 fatty acids, vitamins, and antioxidants. It has a lot of beauty as well as health benefits.

 
Importance of Grapeseed oil in Ayurveda

Being rich in medicinal properties, grape seed oil has been considered an important ingredient in Ayurveda. Its effect is cold. Apart from vitamins A, C, B6, folate, many types of minerals such as potassium, calcium, iron, phosphorus, magnesium, and selenium are also found in Grapeseed oil which is beneficial for our health and beauty.

Grape seed oil is used in many ways for health benefits. This includes cooking food, body oil for massage, hair oil to keep hair healthy, and applied directly to the skin to cure skin problems.

 
Benefits of Grapeseed oil

This oil can also be used as a serum alone on the skin or mixed with other products. It is also used as an essential ingredient in many skin and hair care products. Apart from this, grape oil is also used as food.

Let's know about the benefits of grapeseed oil-

 
Beneficial for the skin-

Grapeseed oil is very good for the skin. It works to take care of skin health. The antioxidants present in it relieve many skin irritations. Along with this, the vitamin E in it is also very beneficial for the skin. By applying this oil on the skin, fine lines, pimples, wrinkles, and aging problems are cured. This oil also improves the elasticity of the skin and maintains its moisture.

 
Beneficial for hair-

The grapeseed oil also proves to be very beneficial for hair. The nutrients present in it work to make the hair healthy and strengthen them. The vitamin E present in it gives essential nutrition to the hair and also works to promote hair growth.

 
Free Radicals-

Grapeseed oil provides protection from the free radicals present in the body. These free radicals present in the body cause many serious diseases. The antioxidants present in this oil made from grape seeds work to fight free radicals due to which the body is saved from being subjected to those serious diseases.

 
Help to keep the heart healthy-

Grapeseed oil works to take care of heart health. The polyunsaturated fatty acids present in it work to reduce the amount of bad cholesterol which is very important for a healthy heart.

 
Beneficial for immunity-

This oil increases immunity. Grapeseed oil contains a sufficient amount of Vitamin C which helps in boosting immunity. In addition to vitamin C, vitamin E in this oil also helps to increase immunity. Therefore, grapeseed oil must be included in your diet.

 
For blood pressure-

Grapeseed oil contains gamma-linoleic acid, a type of anti-inflammatory fatty acid that helps to provide relaxation to the nerves. Along with this, it also helps to keep the blood flow in the body normal due to which the blood pressure remains in control in the body.

 
In Diabetes-

The benefits of this oil are also known to solve diabetes-related problems. Grapeseed oil is considered a good source of lipids. According to Ayurveda, eating foods that contain sufficient amounts of lipids is beneficial for patients with diabetes.

 
Side-effects of Grapeseed oil
  • Excessive intake of this oil can be harmful to the heart.
  • Consuming a lot of grapefruit oil can increase weight.
  • Excessive intake can affect the quality of the sperm.
 
Where to find Grapeseed oil?

Nashik is known as the grape capital of India and the best quality grapes are exported from here. Maharashtra, Tamil Nadu, Karnataka, Andhra Pradesh, Mizoram, Haryana, Punjab, Madhya Pradesh, Himachal Pradesh, and Jammu and Kashmir are the major grape-producing states.

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Grapefruit Essential Oil- Uses and Benefits

Posted 20 December, 2021

Grapefruit Essential Oil- Uses and Benefits

Great importance is attached to Essential oils as these have life-enhancing benefits. These are used to enhance beauty but also have several health benefits. One among these is Grapefruit essential oil which is a tangy, sour orange-looking fruit, and citrusy aroma. 

Grapefruit Essential Oil is extracted from the peel of the grapefruit plant, scientifically known as Citrus paradisi. It is extracted through the cold-pressing method. It is known to provide several benefits due to the anti-inflammatory, antioxidant, and anticarcinogenic properties. These help to reduce oxidative stress and disease-causing inflammation.

 
Importance of Grapefruit in Ayurveda

Grapefruit is considered sweet, bitter, and has a cooling fruit. It is great to increase bile(Pitta) and mucus (Kapha). Grapefruits are said to balance excess Vata in the body. Rich in vitamin C, grapefruits are also a good source of calcium, phosphorus, bioflavonoids, and potassium.

 
Benefits of Grapefruit Essential Oil
Disinfecting surfaces-

Grapefruit essential oil has potent antibacterial and anti-microbial properties which can effectively be beneficial for disinfecting surfaces and eliminating harmful bacteria (such as Staphylococcus aureus, Enterococcus faecalis, and Escherichia coli).

 
Cleansing the body-

Grapefruit essential oil can be great for providing smooth and glowing skin. For this, combine it with a salt body scrub and enjoy a rich home spa experience that provides smooth-looking skin.

 
Used as a flavoring agent-

Grapefruit oil can be used to add a citrus flavor to water, meals, seltzer, and smoothies too.

 
Reducing depression-

Grapefruit has a fresh, invigorating aroma that uplifts a person’s mood by promoting feelings of joy, satisfaction, and joviality. It can be used in the kitchen, living room, or office in diffusers or applied topically.

 
Improves Hair Health-

Grapefruit oil has antibacterial properties that enhance the susceptibility of microorganisms that are normally resistant. This extremely beneficial oil may help to cleanse your hair and scalp thoroughly. Just add a few drops to the shampoo or conditioner. It can also reduce greasiness and add volume and shine to the hair.

 
Fight Acne-

Grapefruit essential oil helps to reduce greasiness that results in acne and blemishes. It may also be useful for keeping the skin’s immunity strong against indoor and outdoor air pollution.

 
Curbing sugar cravings-

Grapefruit oil may reduce sugar cravings due to the presence of Limonene, one of the primary components in grapefruit oil. It is known to balance blood sugar levels and reduce appetite. A study conducted on rats shows that grapefruit oil affects the autonomic nervous system, which acts to regulate functions related to how we handle stress and digestion.

 
Helps in weight loss-

When applied topically or inhaled, grapefruit oil can lower cravings and hunger, which makes a person consume less which leads to losing weight fast in a healthy way.

 
Side-effects of Grapefruit Essential Oil
  • Applying grapefruit essential oil may increase your sensitivity to UV rays emitted by the sun which may pose a risk of skin cancer.
  • Pregnant women and children should consult a doctor before using essential oils.
  • Make sure to blend the grapefruit essential oil with a carrier oil such as coconut oil, almond oil, or jojoba oil.
  • People with sensitive skin may experience irritation or an allergic reaction when applying grapefruit essential oil. Therefore, it is always recommended to carry a skin patch test before using any new essential oil.
  • Grapefruit essential oil should not be taken ingested without the supervision of a health professional as it may have toxic effects.
Where is it Cultivated?

Grapefruit originated from Jamaica. It is found throughout the world including South Africa, United States, Brazil, and Israel. The grapefruit tree is about 20 feet tall with dense foliage. Since the fruit grows in grape-like clusters, it is known as the grapefruit.

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Avocado- The fat-rich fruit

Posted 20 December, 2021

Avocado- The fat-rich fruit

We tend to avoid fats but some fats are good for health and Avocado is one such fruit that contains plenty of healthy fats. It is also called alligator pear due to its shape. It is green, pear-shaped, and has bumpy skin like an alligator. The fleshy pulp inside the fruit is eaten while the skin and seed are thrown away.

 

Avocado is rich in folate, magnesium, potassium, riboflavin (vitamin B2), niacin (vitamin B3), pantothenic acid (vitamin B5), pyridoxine (vitamin B6), vitamin C, vitamin E, and vitamin K. All these nutrients are essential for the body and help in fulfilling the nutritional needs of the body.  These also help to fight various diseases.

 
Benefits of Avocado
Regulates Cholesterol-

Avocados contain beta-sitosterol, a plant substance, which helps in maintaining healthy cholesterol levels. Regularly consuming avocado help maintain and regulate healthy cholesterol levels.

 
Cancer-

The nutrients present in avocados may treat cancer. The folate content in avocados may lower the risk of prostate and colon cancer. 

 
Osteoporosis-

Avocado contains vitamin K which boosts your bone health by slowing down bone loss and warding off osteoporosis. Researches on oil extracts of avocados show they can reduce the symptoms of osteoporosis.

 
Depression-

Folate helps to block the growth of a substance called homocysteine in the blood which slows down the flow of nutrients to your brain leading to depression. Avocados are rich in folate which may help keep the symptoms of depression away.

 
Digestion-

Avocados are loaded with fiber, especially insoluble fiber. These help to remove the waste material from the body. Fiber helps to keep the bowel movement regular which further prevents constipation.

 
Detoxification-

The fibers in avocado facilitate regular bowel movements, which are essential for the removal of toxins in the form of bile and stools. Various studies have shown that dietary fiber may also play an important role in keeping the immune system healthy.

 
For reducing weight-

Avocados contain a good amount of fiber, which can make you feel full and gives you satisfaction after eating. This further prevents overeating and you would not eat more than what is required to fill your appetite.

 
Protection from chronic disease-

High fiber intake helps to lower risks of coronary heart disease, stroke, hypertension, obesity, and certain gastrointestinal diseases. It also helps to regulate blood pressure and enhance insulin sensitivity.

 
Inflammation-

Avocado contains Vitamin E which helps to lower inflammation in the boy. Since chronic inflammation can result in many diseases such as diabetes, Alzheimer’s disease, and arthritis. Consuming avocado is very beneficial in this.

 
For eyes-

Antioxidants such as lutein and zeaxanthin in avocados are good for the eyes.  These protect the tissues in the eyes from damage due to UV rays and help prevent cataracts and macular degeneration.

 
Side-effects of Avocado
  • Avocado can reduces milk production and even damage the mammary gland in the worst cases.
  • Since avocado contains high fats it may lead to obesity.
  • Avocado contains estragole and anethole which can damage the liver.
  • People with a sensitive digestive system may experience discomfort in their stomach with avocado consumption.
  • People with sensitive skin may experience skin allergies such as swollen skin, eczema, and itching.
  • Avocado lowers good cholesterol, which is essential for the body.
  • People with latex intolerance should avoid avocado.
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सेब का सिरका

Posted 24 May, 2022

सेब का सिरका

ए फॉर एप्पल। एप्पल माने सेब। इस लाइन को बच्चे बचपन से सुनते हुए बड़े होते हैं और बड़े लोग इसे बोलते हुए। इसलिए सेब के विषय में यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि सेब एक ऐसा फल है जिससे हर कोई परिचित है। यह तो हम सभी लोग जानते हैं कि सेब सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद फल है। लेकिन साथ में हमें यह भी जानना चाहिए कि सेब का सिरका भी हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। यही वजह है कि जिस तरह डॉक्टर हमें सेब खाने की सलाह देते हैं। वैसे ही घर के बड़े-बुजुर्ग सेब के सिरके का सेवन करने को कहते हैं।

 

सेब के सिरके को अंग्रेजी में एप्पल साइडर विनेगर (apple cider vinegar) कहा जाता है। यह एक तरह का सेब का ही मिश्रण होता है। जिसे सेब के रस को फरमेंट करके तैयार किया जाता है। जो कई दिनों तक खराब नहीं होता। एप्पल विनेगर के औषधीय गुणों को देखते हुए आज पूरी दुनिया के लोग इसका इस्तेमाल हेल्थ सप्लीमेंट और विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिए करते हैं। लेकिन अम्लीय स्वाद होने के कारण इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।

 
एप्पल साइडर विनेगर में मौजूद पोषक तत्व-

सेब के सिरके में एसिटिक एसिड की उच्च मात्रा होती है। जो हृदय के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अतिरिक्त एप्पल विनेगर में कई प्रकार के प्रोटीन, एंजाइम, विटामिन और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य लाभों के साथ कील, मुंहासे, रूसी जैसी त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं।

 
एप्पल विनेगर के फायदे;
वजन कम करने के लिए-

सेब के सिरका में एसिटिक एसिड होता है। जो बॉडी के अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद करता है। दरअसल एप्पल विनेगर में मौजूद एसिटिक एसिड वसा के जमाव को रोककर चयापचय में सुधार करता है। इसलिए वजन कम करने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में एप्पल साइडर विनेगर को शामिल करना चाहिए।

 
पाचन के लिए-

सेब का सिरका पाचन और गैस जैसी पेट की समस्या के लिए लाभकारी होता है। सेब के सिरके का सेवन डाइजेस्टिव जूस को उत्तेजित कर पाचन क्रिया में सकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है। जिससे शरीर के पाचन तंत्र के कार्य में सुधार होता है।

 
गले की खराश के लिए-

बदलते मौसम या ठंडी-गरम चीजों का सेवन करने से गले में खराश होना एक आम समस्या है। ऐसे में सेब का सिरका आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण गले की खराश को दूर करने का काम करते हैं। इसके लिए रात में सोने से पहले एक गिलास गुनगुने पानी करके उसमें एक चम्मच एप्पल विनेगर डालकर पिएं।

 
दांतों के लिए-

सेब का सिरका दांतों को साफ करने में मदद करता है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि सेब का सिरका दांतों के पीलेपन के लिए ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करता है। जिससे दांतों के रंग में सुधार होता है।

 
गठिया/जोड़ों में दर्द के लिए-

जोड़ों में दर्द और गठिया रोग से पीड़ित लोगों के लिए सेब का सिरका फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो गठिया और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में राहत पहुंचाने का काम करते हैं। इसके अलावा एप्पल विनेगर में एंटिनोसाइसेप्टिव (दर्द की तीव्रता को कम करने वाला) गुण भी होता है। जो तेज दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।

 
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए-

एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार सेब का सिरका इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) को बढ़ावा देता है। एप्पल विनेगर में फ्लेवोनोइड और एसिटिक एसिड मौजूद होते हैं। जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त सेब के सिरके में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण कई तरह के बैक्टीरिया को दूर कर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

 
ब्लड प्रेशर के लिए-

एप्पल विनेगर में मौजूद एसिटिक एसिड में एंटी-ह्यपरटेंसिव (Antihypertensive) यानी ब्लड प्रेशर को कम करने वाला का गुण होता है। इसलिए संतुलित मात्रा में सेब के सिरके का उपयोग करके ब्लड प्रेशर के जोखिमों से बचा जा सकता है।

 
ब्लड शुगर के लिए-

एप्पल विनेगर का इस्तेमाल डायबिटीज के लिए किया जा सकता है। सेब का सिरका शरीर में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा सेब के सिरके में एसिटिक एसिड होता है। जिसमें एंटी-डायबिटिक और एंटी-ग्लाइसेमिक प्रभाव होता है। इसी कारण एप्पल विनेगर मधुमेह की समस्या में कुछ हद आराम देने का काम करता है।

 
कोलेस्ट्रॉल के लिए-

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हृदय रोग और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का कारण बनता है। लेकिन इस तरह की बीमारियों से बचने में एप्पल साइडर विनेगर काफी मददगार सबित होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की रिपोर्ट के अनुसार आहार में मौजूद एसिटिक एसिड और सीरम टोटल कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद करते हैं। इस रूप में सेब का सिरका एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने का काम करता है।

 
मुंहासों के लिए-

सेब के सिरका मुंहासों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब के सिरके में मौजूद एसिड मुंहासे और उसके बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है। एप्पल विनेगर स्किन के pH लेवल को नियंत्रित रखता है और त्वचा को संक्रमण से बचाता है। इसके लिए थोड़े से पानी में दो से चार एमएल सेब के सिरके को डालकर उसे मुंहासों पर लगाकर रात भर सूखने दें। फिर सुबह उठकर ठंडे पानी से धोएं। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से मुंहासे पूरी तरह खत्म हो जाएंगे।

 
त्वचा के निखार के लिए-

सेब का सिरका चेहरे और स्किन के दाग धब्बों को कम करके त्वचा को साफ़ और चमकदार बनाने में मदद करता है। इसके लिए एप्पल विनेगर और वाटर (पानी) को 1:3 के अनुपात में मिलाएं। अब रुई की मदद से मिश्रम को त्वचा के प्रभावित हिस्से पर लगाएं। कुछ समय बाद इसे ठंडे पानी से धोएं। कुछ दिनों तक नियमित इस प्रक्रिया को दोहराएं, आपको फर्क दिखने लगेगा।

 
सनबर्न के लिए-

एप्पल साइडर सिरका स्किन के pH लेवल को संतुलित रखकर संक्रमण से बचाता है। इसके अतिरिक्त सेब के सिरके को धूप की कालिमा का इलाज करने में भी कारगर माना गया है। इसके लिए नहाने वाले पानी में एक कप एप्पल विनेगर डालकर स्नान करें। कुछ दिनों को इस प्रक्रिया को दोहराएं। इससे सनबर्न जल्दी ठीक हो जाएगा।

 
बालों के लिए-

बालों के लिए भी एप्पल विनेगर का प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए बालों में शैम्पू करने के बाद पानी में थोड़ा एप्पल विनेगर मिलाकर उससे बालों को धोएं। ऐसा करने से बाल स्वस्थ और चमकदार बनते हैं।

 
डैंड्रफ और ऑयली बालों के लिए-

सेब के सिरके का इस्तेमाल करके डैंड्रफ और ऑयली हेयर की समस्या को खत्म किया जा सकता है। क्योंकि एप्पल विनेगर में मौजूद एसिड बालों में रूसी और मौजूद तेल की अधिक मात्रा को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए दस से पंद्रह एमएल सेब के सिरके में एक से दो गिलास पानी मिलाकर इसे सिर की त्वचा और बालों की जड़ों में लगाएं। बेहतरीन परिणाम पाने के लिए हफ्ते में दो बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

 
एप्पल विनेगर के नुकसान-
  • अधिक एसिटिक खाद्य या पेय पदार्थों से दांत संवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए सेब के सिरके का अधिक सेवन दांतों को खराब कर सकता है।
  • एप्पल साइडर विनेगर के अधिक सेवन से मतली की समस्या हो सकती है।
  • एप्पल विनेगर के अधिक प्रयोग से भूख में कमी हो सकती है।
  • सेब के सिरके का इस्तेमाल हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए किया जाता है। इसलिए जो लोग लो ब्लड प्रेशर की शिकायत से पीड़ित हैं उन्हें सेब के सिरके का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • संवेदनशील त्वचा पर एप्पल विनेगर प्रयोग करने से जलन और रैशेज की समस्या हो सकती है। इसलिए त्वचा पर इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
सेब का सिरका बनाने की विधि-

अच्छी क्वालिटी के उतने सेब लें जितने सेबों का आप सिरका बनाना चाहते हैं। अब सभी सेबों को छिलकर, बीज निकालकर उन्हें अच्छे से धो लें। अब उनकों छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर किसी साफ ग्लास जार में भर दें। अब जार में उतना पानी डाल दें जिससे सेब के सारे टुकड़े उसमें डूब जाएं। अब किसी जालीदार कपड़े से जार को ढक दें। जार को इस तरह के कतई बंद न करें जिससे उसके अंदर हवा न जा पाए। बल्कि बल्कि ऐसे बंद करें जिससे हवा जालीदार कपड़े से अंदर जा सकें। अब इस जार को कम से कम छ: महीनों के लिए किसी अंधेरे और गर्म स्थान वाली जगह पर रख दें। छ: महीनों के बाद जार को खोलने पर उसमें फर्मेंटेड (किण्वित) हो चुका होगा और ऊपर बैक्टीरिया के कारण एक तरह की परत जम गई होगी। अब इस लीक्वीड को उसी जालीदार कपड़े से किसी दूसरे साफ जार में छानकर उसे फिर से उसी कपड़े से बंद करके और कुछ हफ्तों के लिए उसे अंधेरी और गर्म जगह पर रहने दें। कुछ हफ्तों बाद लीक्वीड को किसी अन्य बर्तन में निकालकर उपयोग के लिए फ्रिज में स्टोर कर दें। इस प्रकार सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर) तैयार किया जा सकता है।

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जानें, खुबानी तेल के फायदे और उपयोग के बारे में

Posted 17 March, 2022

जानें, खुबानी तेल के फायदे और उपयोग के बारे में

अपनी डेली लाइफ में हम रोजाना कई तरह के तेलों का इस्तेमाल करते हैं। इन तेलों में कुछ तेल खाद्य के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं तो कुछ तेल बालों और त्वचा को स्वस्थ एवं तंदुरुस्त रखने के लिए। इसी तरह का एक तेल है खुबानी का तेल। जिसे अंग्रेजी में एप्रिकॉट ऑयल (Apricot oil) कहा जाता है। ज्यादातर लोग इस तेल से अपरिचित रहते हैं, लेकिन खुबानी का तेल कई फायदेमंद गुणों से संपन्न होता है। इस ऑयल में विटामिन-के, विटामिन-ई और कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट जैसे कैफीक एसिड और कैचिन मौजूद होते हैं। इस तेल को त्वचा और बालों के अलावा खाना बनाने और कॉस्मेटिक में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल काफी हल्का और बिना खुशबू वाला होता है। इसे कर्नेल ऑयल और चूली तेल के नाम से भी जाना जाता है। इस तेल को खुबानी के बीज से तैयार किया जाता है।

 
खुबानी​ तेल में मौजूद पौष्टिक तत्व-

खुबानी तेल तमाम पौष्टिक तत्वों से प्रचुर होता है। इस तेल में एराचिडिक एसिड, स्टीयरिक एसिड, पामिटिक एसिड, लिनोलेनिक एसिड, ओलिक एसिड, अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, सैचुरेटेड और विटामिन-ई आदि तत्व पाए जाते हैं। जो इसकी विशेषता को और अधिक बढ़ाने का काम करते हैं।

 
खुबानी​ तेल के फायदे-

खुबानी फल की तरह इसका तेल भी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इस तेल के कई फायदे हैं। जिसमें शारीरिक दिक्कतों को दूर रखने से लेकर त्वचा और बालों को सेहतमंद रखना शामिल है। आइए बात करते हैं इन्हीं फायदों के बारे में:-

 
डार्क सर्कल के लिए-

डार्क सर्कल की समस्या से निजात पाने के लिए खुबानी तेल एक अच्छा विकल्प है। दरअसल डार्क सर्कल की समस्या त्वचा में नमी की कमी होने के कारण होती है। चूंकि खुबानी तेल में मॉइस्चराइजिंग प्रभाव मौजूद होता है। जो त्वचा की नमी को बनाए रखने का काम करता है। इसलिए डार्क सर्कल होने पर खुबानी तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 
झुर्रियों से बचाव के लिए-

खुबानी तेल में कैफीक एसिड और विभिन्न कैटेचिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जो झुर्रियों का कारण बनने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट त्वचा की कसन को बनाए रखने और सेलुलर उत्परिवर्तन को रोकने में मदद करते हैं। जिससे स्किन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इसलिए आंखों के आसपास की रेखाओं और झुर्रियों को कम करने के लिए खुबानी तेल का प्रयोग करना अच्छा होता है।

 
मुंहासे और इसके निशान हटाने के लिए-

मुंहासों और इसके निशानों को साफ करने के लिए खुबानी कर्नेल ऑयल का प्रयोग करना अच्छा होता है। खुबानी तेल का नियमित इस्तेमाल कील, मुंहासे, खुजली, सूजन को कम करने और ग्लैंड में सीबम के बिल्डअप पर विराम लगाने में मदद करता है। साथ ही मुंहासों के कारण चेहरे पर पड़े निशानों को हटाने में भी हेल्प करता है।

 
त्वचा के लिए-

खुबानी तेल में लिनोलिक और इसके जैसे कई एसेंशियल फैटी एसिड पाए जाते हैं। जो त्वचा को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त खुबानी तेल में प्रो-एपोप्टोटिक प्रभाव (Pro-apoptotic effect) मौजद होता है। जिसे सोरायसिस (एक त्वचा संबंधी परेशानी) के इलाज के लिए अच्छा माना गया है।

 
बालों के लिए-

एनसीबीआई की साइट पर मौजूद रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, खुबानी तेल में मॉइस्चराइजिंग और सॉफ्टनिंग प्रभाव होते हैं। जो बालों को मुलायम और नमी युक्त बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा इस तेल में लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड भी मौजूद होते हैं। जो बालों के विकास में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए खुबानी तेल को बालों के लिए अच्छा समझा जाता है।

 
आंखों के लिए-

खुबानी तेल को आंखों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, खुबानी बीज का अर्क ड्राई आई सिंड्रोम (शुष्क आंखों) से राहत दिलाने में सहायता करता है। दरअसल खुबानी तेल में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड को शुष्क आंखों से संबंधित बीमारी (ड्राई आई डिजीज) के लिए लाभकारी माना जाता है। इसलिए खुबानी तेल का इस्तेमाल आंखों को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है।

 
स्वस्थ हृदय के लिए-

खुबानी का तेल हृदय को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित परेशानियों कम करने में कारगर सिद्ध होता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, खुबानी तेल में शक्तिशाली कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव होता है। जो दिल के दौरे (Myocardial Infarction) को रोकने में सहायता करता है। यही कारण है कि खुबानी तेल को हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।

 
कब्ज के लिए-

कब्ज की दिक्कत से परेशान लोगों के लिए खुबानी तेल लाभकारी होता है। दरअसल कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसमें मल कठोर हो जाता है। कारणवश मल त्यागने में ताकत लगानी पड़ती है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार खुबानी तेल को कब्ज के उपचार के लिए अच्छा पाया गया है। इसलिए कब्ज की परेशानी होने पर चूली तेल अर्थात खुबानी तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 
इंफ्लेमेशन के लिए-

एक मेडिकल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, खुबानी के अर्क में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। जो इंफ्लेमेशन और इससे जुड़ी परेशानियों से राहत दिलाने में मदद करता है। खुबानी तेल पेट से संबंधित इंफ्लेमेशन की समस्या को दूर करता है। इसके अतिरिक्त इस तेल में मौजूद लिनोलिक पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी इंफ्लेमेशन (सूजन, प्रदाह आदि) से छुटकारा दिलाने में सहायता करता है।

 
कैंसर के लिए-

खुबानी बीज में साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड (Cyanogenic Glycosides) होता है। यह एक ऐसा कंपाउंड है, जो कैंसर के उपचार और इससे बचाव हेतु लाभकारी माना जाता है। इसलिए खुबानी तेल का नियमित इस्तेमाल कैंसर जैसी गंभीर समस्या को दूर करने के लिए किया जा सकता है।

 
खुबानी तेल को किस रूप में उपयोग कर सकते हैं?
  • जोड़ों की मालिश करने के लिए खुबानी तेल का प्रयोग किया जाता है।
  • खुबानी तेल को त्वचा पर भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • खुबानी तेल को खाद्य पदार्थ तैयार करने हेतु उपयोग में लाया जा सकता है।
  • इस तेल का इस्तेमाल सलाद ड्रेसिंग हेतु किया जा सकता है।
  • इस तेल को बालों में लगाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • बालों को मजबूत बनाने के लिए शैम्पू और कंडीशनर में खुबानी तेल की कुछ बूंदें डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
खुबानी तेल का इस्तेमाल करते वक्त बरतें यह सावधानियां-
  • जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है। उन लोगों को खुबानी तेल का प्रयोग चेहरे और बालों पर पैच टेस्ट करने के बाद ही करना चाहिए। क्योंकि अधिक संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को इस तेल से एलर्जी की समस्या हो सकती है।
  • छोटे बच्चे, गर्भवती महिला और और गर्भवती होने के बारे में सोच रहीं महिलाओं को इस तेल का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए।
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Pineapple: Benefits and Side effects

Posted 20 December, 2021

Pineapple: Benefits and Side effects

Pineapple (Botanical name: Comosus pineapple or Comosus pineapple) is a fruit that works to increase strength, appetite and cure the blood-bile disorder. It tastes sour-sweet and golden in colour. In pineapple, vitamin-A, vitamin-C, antioxidants, fiber, calcium, thiamine, potassium, manganese, folate, etc. are found in abundance. It also contains sodium and fat in small amounts, which is beneficial for people on dieting.

 

Pineapples have various medicinal properties, with the help of which it reduces fever and helps in urination problems. Apart from this, pineapple also helps in relieving stomach gas, pain, acidity, and physical weakness.

 
Benefits of Pineapple
It is beneficial in improving digestion power-

Pineapple helps calm the intestine by stimulating digestive power. It contains both soluble and insoluble fiber. It plays an important role in the digestion and bowel movement process. Apart from this, it also contains an element called bromelain, which helps in digesting protein. Pineapple acts as a natural laxative. It also eliminates the problem of constipation.

 
Beneficial for the health of bones-

Pineapple is rich in mineral manganese. It is extremely important for bone health. Manganese protects cells from free-radical damage. This helps to slow down aging and prevents cancer. A cup of fresh pineapple juice fulfills the daily requirement of manganese in the body by 75 percent.

 
Beneficial in inflammation problem-

Pineapple contains an element called bromelain, which acts as a natural anti-inflammatory agent. This element relieves the body from inflammation. It helps in healing associated with minor stretch, sprain, and injury in the muscles.

 
Effective in anemia-

Consumption of pineapple is beneficial in removing anemia in the body. Pineapple intake increases the absorption of iron in the body. It also increases the amount of hemoglobin in the body and helps to overcome the lack of blood.

 
Beneficial in diphtheria disease-

Pineapple contains Bromelain element along with Vitamin-C. This helps in removing chest congestion. For this reason, eating pineapple also helps in reducing the symptoms of diphtheria disease.

 
Help in preventing cancer-

Consuming pineapple is a good way to prevent a serious disease like cancer. Because the vitamin C found in pineapples helps prevent cancer cells from growing.

 
Beneficial in treating Tuberculosis (TB)-

Pineapple has anti-tuberculosis activity due to which consuming pineapple juice is beneficial in the treatment of TB.

 
Side-effects of Pineapple
  • Because of the exorbitant amount of natural sugar in pineapple, it can increase blood sugar levels. Therefore, people with diabetes should avoid it.
  • Consuming excessive amounts of pineapple can cause swelling in the tongue, lips, and inner cheeks.
  • Avoid pineapple or its juice for a day before any type of surgery and 15 days later.
  • Drinking a lot of pineapple juice can cause miscarriage.
Where is Pineapple found?

Pineapple is a wild plant found in Brazil. In India, it can be found in the regions of Meghalaya, Assam, Odisha, Western Ghats, West Bengal, Goa, Maharashtra, Karnataka. It grows abundantly on the beaches of Kerala and the Andaman Islands.

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जानें, तरबूज बीज का तेल और इसके फायदों के बारे में

Posted 24 May, 2022

जानें, तरबूज बीज का तेल और इसके फायदों के बारे में

नाम से ही ज्ञात होता है कि, तरबूज बीज का तेल इसके बीजों से तैयार किया जाता है। इसके लिए पहले बीजों को छिलकर धूप में सुखाया जाता है और फिर दबाव प्रक्रिया (Pressure process) द्वारा तेल निकाला जाता है। इस तेल से कई कॉस्मेटिक उत्पाद जैसे- शैंपू, साबुन, मॉइस्चराइजर आदि बनाए जाते हैं। यह तेल डिफ्यूजर और अरोमा थेरेपी में भी उपयोग किया जाता है। तरबूज के बीज और इसके तेल में पोषक तत्वों की उच्च मात्रा पाई जाती है।

 

आयुर्वेद में तरबूज बीज के तेल का महत्व-

आयुर्वेद के अनुसार तरबूज की तासीर ठंडी होती है। तरबूज के बीज खनिज और विटामिन के उच्च स्रोत हैं। इसलिए इसके तेल में मुख्य रूप से मैंगनीज, मैग्नीशियम, जस्ता, फास्फोरस, तांबा, आयरन आदि पाए जाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक में तरबूज एसेंशियल ऑयल कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसमें मौजूद विटामिन-बी स्वास्थ्य प्रतिरक्षा, रक्त प्रवाह और चयापचय के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद  खनिज और मैग्नीशियम इम्यूनिटी बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। यह तेल रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इन्हीं गुणों के कारण तरबूज बीज के तेल को आयुर्वेद में अच्छा तेल माना जाता है।

 

तरबूज के तेल के फायदे;

बालों के लिए फायदेमंद-

तरबूज बीज का तेल बालों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों को स्वस्थ्य बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। शरीर में मैग्नेशियम की कमी के कारण बाल झड़ते या गिरते हैं। चूंकि तरबूज के तेल में मैग्नीशियम की उच्च मात्रा होती है, इसलिए इससे बालों का गिरना कम होता है। इसके अतिरिक्त मैग्नीशियम  बालों के विकास को भी बढ़ावा देने का काम करता है।

 

मुहांसों के लिए लाभदायक है-

तरबूज बीज के तेल में मौजूद जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मुंहासे और उसके बैक्टीरिया का खात्मा करते हैं। यह तेल लोगों की स्किन में तेल के स्तर को सामान्य रखता है। इस प्रकार यह तेल मुंहासों और उसके निशान को ठीक करने में मदद करता है। इसी कारण तरबूज बीज के अर्क का इस्तेमाल कई फेस वॉश उत्पादों में भी किया जाता है।

 

त्वचा को मॉइस्चराइज करने में सहायक -

तरबूज के बीज में मौजूद फैटी एसिड गुण कोमल, नरम और नमीयुक्त त्वचा के लिए अच्छा होता है। तरबूज एसेंशियल ऑयल त्वचा की गहराई में जाकर त्वचा को हाइड्रेट और पोषण प्रदान करता है। जिससे त्वचा कोमल और मुलायम बनती है। इसके अतिरिक्त यह तेल त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए एक लोकप्रिय घटक है। इस तेल में पाए जाने वाले विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट  और फाइटोकेमिकल्स बुढ़ापे के लक्षणों को कम करने और बेहतर त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं।

 

फ्री रेडिकल्स से बचाव-

तरबूज बीज का तेल त्वचा कोशिकाओं के लिए एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। यह तेल बढ़ती उम्र की प्रक्रिया और यूवी विकिरण क्षति को प्रेरित करने वाले एजेंट और मुक्त कणों (Free radicals) से लड़ने का काम  करता है। इस तेल को नियमित इस्तेमाल शरीर को गंभीर बीमारियों का शिकार होने से बचाता है।

 

याददाश्त तेज करने में सहायक -

तरबूज के बीज में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो याददाश्त को तेज करने में सहायक होते हैं। इसका नियमित सेवन उम्र बढ़ने पर होने वाली मेमोरी लैप्स की समस्या को कम करता है। मैग्नीशियम मस्तिष्क स्मृति में सुधार करता है। पर शरीर में मैग्नीशियम की कमी होने पर अल्जाइमर जैसी गंभीर समस्याएं पैदा होने लगती हैं। चूंकि तरबूज के बीज में मैग्नीशियम की उच्च मात्रा पाई जाती है।  इसलिए तरबूज बीज का तेल मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने का काम करता है।

 

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-

तरबूज के बीजों में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड की अच्‍छी मात्रा पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन बी भी मौजूद होते हैं। यह सभी घटक शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। जो एक स्वस्थ हृदय के लिए जरूरी होता है।

 

विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मददगार-

यह तेल विषाक्त पदार्थों को खत्म करने के लिए शरीर की सहायता करता है। त्वचा से  प्रदूषण के विषाक्त पदार्थ और गंदगी को हटाने के लिए तरबूज बीज तेल की मालिश एक अच्छा उपाय है। यह तेल डिटॉक्सिफायर और त्वचा क्लींजर के रूप में काम करता है।

 

प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगर-

तरबूज बीज तेल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-ई होता है। इस तेल के सेवन से शरीर की इम्यूनिटी में सुधार होता है। यह तेल एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के रूप में काम करता है। इसमें पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होने के यह बॉडी को ऑक्सीकरण से भी बचाता है।

 

मधुमेह के लिए लाभदायक-

यह तेल को डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी जाना जाता है। तरबूज के बीज शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मददगार साबित होते हैं। तरबूज के बीजों में मौजूद मैग्नीशियम कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित करता है। इस तरह से डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए नियमित रूप से तरबूज एसेंशियल ऑयल का सेवन किया जा सकता है। 

 

तरबूज बीज तेल के नुकसान;

  • इस तेल का अधिक मात्रा में सेवन करने से एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • इस तेल का अधिक सेवन पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
  • किसी दवा के सेवन के साथ तरबूज बीज तेल का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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अंगूर तेल का महत्व और फायदे

Posted 24 May, 2022

अंगूर तेल का महत्व और फायदे

अंगूर का तेल इसके बीजों से निकाला जाता है। यह वाइनमेकिंग प्रक्रिया के दौरान बचे हुए अंगूर के बीजों से तैयार किया जाता है। यह ओमेगा -6 फैटी एसिड, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। 

 

आयुर्वेद में अंगूर के तेल का महत्व-

औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से आयुर्वेद में अंगूर बीज के तेल को उत्तम दर्जे का माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। इस तेल में विटामिन ए, सी, बी 6, फोलेट के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स जैसे पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम और सेलेनियम भी पाए जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए अंगूर बीज का तेल कई प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है। इसे  भोजन पकाने, शरीर की मालिश करने के लिए बॉडी ऑयल के रूप में, बालों को स्वस्थ रखने के लिए हेयर ऑयल के रूप में, सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए सीधे त्वचा पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 

 
अंगूर के तेल के फायदे-

इस तेल का इस्तेमाल त्वचा पर अकेले (सीरम के रूप में) या अन्य उत्पादों के साथ मिलाकर किया जा सकता है। यह कई स्किन और हेयर केयर प्रोडक्ट्स में भी उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त अंगूर के तेल का प्रयोग खाद्य के रूप में भी किया जाता है। आइए जानते हैं अंगूर तेल के कुछ फायदे के बारे में -

 
त्वचा के लिए फायदेमंद-

अंगूर का  तेल त्वचा के लिए अच्छा होता है। यह त्वचा की सेहत का ध्यान रखता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा संबंधी परेशानियों को दूर करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन ई भी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। इस ऑयल को त्वचा पर लगाने से फाइन लाइन, मुंहासे, झुर्रियों और एजिंग की समस्या दूर होती है। यह तेल त्वचा की लोच में सुधार करता है और इसकी नमी के स्तर को बनाए रखता है।

 
बालों के लिए फायदेमंद-
 

अंगूर बीज का तेल बालों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों को स्वस्थ्य बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन ई बालों को जरूरी पोषण देता है। यह तेल बालों के विकास को बढ़ावा देने का काम करता है।

 
फ्री रेडिकल्स से बचाव -
 

अंगूर बीज का तेल शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स से सुरक्षा प्रदान करता है। क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स कई बीमारियों का कारण बनते हैं। अंगूर के बीज से बनने वाले इस तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ने का काम करता है। जिससे शरीर उन गंभीर बीमारियों का शिकार होने से बच जाता है।

 
ह्रदय को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक -
 

अंगूर बीज का तेल हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखने का काम करता है। इसमें मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने का काम करता है। जो एक स्वस्थ हृदय के लिए बहुत जरूरी होता है। 

 
इम्यूनिटी के लिए लाभप्रद -
 

यह तेल इम्यूनिटी क्षमता को बढ़ाता है। अंगूर के तेल में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है। जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में अहम रोल निभाता है। विटामिन सी के अतिरिक्त इस तेल में विटामिन ई भी होता है। जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहयोग करता है। 

 
ब्लड प्रेशर के लिए-
 

अंगूर बीज का तेल रक्तचाप को सामान्य करने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद गामा-लिनोलेइक एसिड एक प्रकार का एंटी-इंफ्लामेटरी फैटी एसिड होता है। जिसका मुख्य काम नसों को आराम पहुंचाने का होता है। इसके साथ ही यह शरीर में रक्त के प्रवाह को भी सामान्य बनाए रखने में सहायता करता है। जिससे शरीर में रक्तचाप सामान्य बना रहता है।

 
डायबिटीज की समस्या में- 
 

इस तेल को डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी जाना जाता है। अंगूर का तेल लिपिड का अच्छा स्रोत होता है। आयुर्वेद के अनुसार ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें लिपिड की पर्याप्त मात्रा होती है, उनका सेवन करना डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद रहता है। 

 

अंगूर के तेल के नुकसान-

  • इस तेल का अधिक सेवन हृदय के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • अंगूर के तेल का ज्यादा सेवन करने से वजन बढ़ सकता है।
  • अंगूर के तेल का अधिक सेवन स्पर्म की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

कहां पाया जाता है अंगूर?

नाशिक को भारत की अंगूर राजधानी और देश में अंगूर का सबसे अच्छा निर्यात के रूप में जाना जाता है। वहीं महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मिजोरम, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर अंगूर के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

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अंजीर के फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

अंजीर के फायदे और नुकसान

अंजीर एक गूदेदार और रसीला फल होता है। यह बहुत फायदेमंद ड्राई फ्रूट है। अंजीर का स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितना पका हुआ है। यह जितना ज्यादा पका हुआ होगा, स्वाद में उतना ही अधिक मीठा होता है। अंजीर अपने स्वादवर्धक और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। उच्च मिठास के कारण इसे कई मिठाईयों में प्रयोग किया जाता है। कब्ज, जुकाम, फेफडों और त्वचा से संबंधित रोगों के इलाज में अंजीर को लाभदायक माना जाता है। अंजीर का वानस्पतिक नाम ‘फ़िकस कैरिका’ है।

 

अंजीर के प्रकार-

 

अंजीर दो प्रकार का होता है

 

पहला- इस प्रकार के अंजीर को खेती कर उगाया जाता है। इसके पत्ते व फल आकार में बड़े-बड़े होते हैं।

 

दूसरा- यह जंगली अंजीर होते हैं। इसके फल और पत्ते खेती वाले अंजीर से आकार में छोटे होते हैं।

 
 

अंजीर के फायदे

 

कब्ज में अंजीर का उपयोग-

 

अंजीर में प्रचुर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो कब्ज से बचाव करता है। यह मल-त्यागने की क्रिया को आसान बनाकर उसे नियमित करता है। रात भर अंजीर को पानी में भिगोकर सुबह खाने और उसके पानी को पीने से पेट साफ होता है। यह पाचन शक्ति में सुधार करके उससे संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है।

 
 

हड्डियों के लिए अंजीर का सेवन-

 

अंजीर कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर होता है। जो प्रमुख तत्व के रूप में हड्डियों को मज़बूत बनाता हैं। ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) जैसे हड्डियों के विकारों में इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। अंजीर फॉस्फोरस का भी एक समृद्ध स्रोत है, इसलिए यह हड्डियों के विकास को बढ़ने के साथ उनके पतन को रोकने में भी सहायक होता है।

 
 

हृदय रोग से बचाव में अंजीर के फायदे-

 

अंजीर का सेवन रक्त में ट्राइग्लिसराइड (triglyceride) के स्तर को कम करने में मदद करता है।रक्त में मौजूद वसा के कणों को ट्राइग्लिसराइड्स कहते हैं। जो हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण माने जाते हैं। सूखे अंजीर में ओमेगा 3, फिनोल, और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स होते हैं। यह फैटी एसिड कोरोनरी हृदय रोग जैसे गंभीर रोगों के जोखिम को कम करते हैं।

 
 

आंखों के लिए अंजीर का सेवन-

बढ़ती उम्र के साथ आंखों में मैक्युलर डीजेनेरेशन (Macular Degeneration) का काम होना आंखों की रोशनी में कमी आने की मुख्य वजह होती है। अंजीर के सेवन से यह प्रतिक्रिया बहुत ही धीमी हो जाती है। अंजीर में विटामिन-ए प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। इसलिए अंजीर आंखों की दृष्टि को बढ़ाने और मैक्युलर डीजेनेरेशन को रोकने में मदद करता है।

 
 

गले के दर्द में अंजीर खाने के फायदे-

 

अंजीर गले में होने वाले दर्द से राहत दिलाने के साथ गले की सूजन (Cheek inflammation) में भी उपयोगी है। यह स्वरतंत्री (vocal-chords) पर पड़ रहे दबाव को कम करके दर्द में राहत देता है। अंजीर के पेस्ट को गर्म पानी के साथ घोलकर गले पर लगाने से भी दर्द काम होता है और गले को राहत मिलती है। इससे खांसी एवं अन्य श्वसन प्रणाली से संबंधित रोग भी ठीक होते हैं।

 
 

मूत्र समस्याओं के लिए अंजीर का उपयोग-

 

अंजीर में मौजूद पोटैशियम मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकलने वाले तत्व को नियंत्रित करता है जिससे कैल्शियम का पतन रूककर विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है।

 
 

अंजीर के नुकसान

  • अधिक मात्रा में अंजीर का सेवन करने से डायरिया रोग हो सकता है।
  • सूखे हुए अंजीर में शुगर की मात्रा अधिक पाई जाती है। जिससे दांतों में सड़न पैदा हो सकती है।
  • कई बार, अंजीर से एलर्जी हो भी सकती है, इसलिए पहली बार इसका सेवन कम मात्रा में ही करें।
  • बहुत सारे अंजीर एक ही सप्ताह में खाने से शरीर की पाचन प्रणाली में ब्लीडिंग हो सकती है।
  • ज्यादा अंजीर खाना पेट से भारी होकर पेट दर्द की समस्या पैदा कर सकता है।
 

कहां पाया जाता है अंजीर?

अंजीर की खेती ऐसे स्थानों पर की जाती है जहां की जमीन में चूने का अंश अधिक मात्रा में होता है। ऐसे स्थानों पर अंजीर की पैदावार बहुत अच्छी होती है। भारत में अंजीर की खेती मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों एवं दक्षिणी प्रदेशों में की जाती है। इसके अलावा अंजीर भूमध्यसागरीय भागों, दक्षिण-पश्चिम एशिया एवं मध्य पूर्वी भागों में भी पाया जाता है।

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अनार बीज का तेल और इसके फायदे एवं नुकसान

Posted 17 March, 2022

अनार बीज का तेल और इसके फायदे एवं नुकसान

अनार के बीज का तेल एक शक्तिशाली और सुगंधित तेल है। इसके नाम से ही ज्ञात होता है कि यह तेल अनार के बीज से तैयार किया जाता है। इससे कई प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पाद जैसे- शैंपू, साबुन, मॉइस्चराइजर्स आदि बनाए जाते हैं। यह तेल डिफ्यूजर और अरोमा थेरेपी में भी उपयोग किया जाता है। दरअसल अनार के बीज में एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन-सी, टेकोइक एसिड, फ्लेवोनोइड, ओलिक एसिड और लिनोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। औषधीय रूप में इसका उपयोग झुर्रियां, छालरोग (Psoriasis), त्वचा की सूजन, मुहांसे, बालों में रूसी, बालों का झड़ना, खराब कोलेस्ट्रॉल और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली आदि के इलाज में किया जाता है। अनार का वैज्ञानिक नाम प्यूनिका ग्रेनेटम (Punica granatum) है।

 
 

आयुर्वेद में अनार बीज के तेल का महत्व -

 

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनार के तेल का अधिक महत्व है। इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, पेक्टिन, स्टेरोल्स, अल्कलॉइड और टैनिन पाए जाते हैं। जो प्राकृतिक स्किनकेयर में अच्छे परिणामों की प्राप्ति के लिए उपयोग किए जाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक में अनार का एसेंशियल ऑयल कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह डायबिटीज को नियंत्रित रखता है। इसमें शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने के गुण होते है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो कैंसर जैसी बीमारियों को शरीर से बचाते हैं। इसके सेवन से पेट के कीड़े, लीवर की समस्या, खून को साफ करना और त्वचा संबंधित समस्याएं कम होती हैं। अनार बीज के तेल में कुछ उपयोगी घटक होते हैं। इनमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड, अमीनो एसिड, जस्ता, और ट्रिप्टोफैन आदि शामिल हैं। इसके अलावा अनार के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है। जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है।

 
 

अनार बीच तेल के फायदे;

 

स्वस्थ और चमकती त्वचा बनाए रखना-

 

अनार बीज के तेल में विभिन्न फैटी एसिड की श्रृंखला होती है। इस श्रृंखला में संयुग्मित लिनोलेनिक एसिड और ओलिक एसिड शामिल हैं। जो त्वचा कोशिका झिल्ली की रक्षा और खाल बाधा कार्य के रख-रखाव में मदद करते हैं। अनार बीज के तेल में विटामिन बी 1, बी2, सी, पोटेशियम और मैग्नीशियम सहित फाइटो-पोषक तत्व होते हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए अनार बीज का तेल एक लोकप्रिय घटक है। इस तेल में पाए जाने वाले विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स बुढ़ापे के लक्षणों को कम करने और बेहतर त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं।

 
 

संक्रमण, एलर्जी और सूजन में लाभप्रद -

 

अनार के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो संक्रमण, एलर्जी और सूजन को रोकने में सहायक होते हैं। यह तेल परजीवी संक्रमण जैसे टेपवर्म (tapeworm) और रिंगवर्म (Ringworm) से छुटकारा पाने में सहायता करता है। अनार एसेंशियल ऑयल त्वचा को हाइड्रेट और पोषण करने के लिए त्वचा में गहराई से अवशोषित करता है। जिससे त्वचा कोमल और मुलायम बनी रहती है।

 
 

बालों के लिए लाभप्रद -

 

अनार के बीजों में विटामिन ए, बी, ई, के, जिंक, सल्फर, प्रोटीन और ओमेगा 3 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट बाल एवं त्वचा को पोषण और मॉइस्चराइज देने का काम करते हैं। इस प्रकार अनार का तेल क्षतिग्रस्त बालों की मरम्मत करने में सहायता करता है। अनार का तेल सिर की खुजली, परतदार त्वचा और रूसी का इलाज करता है। इस तेल के प्रयोग से बाल मजबूत, घने और स्वस्थ बनाते हैं।

 
 

कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित करने में मददगार -

 

अनार का तेल ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड से समृद्ध होता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल स्तर को संतुलित बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह तेल शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा अनार का तेल मोटापा, मधुमेह, दिल का दौरा और अन्य हृदय रोगों में भी कारगर साबित होता है।

 
 

उच्च रक्तचाप में लाभदायक है-

 

अनार बीज के तेल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और बायोएक्टीव पॉलीफेनॉल्स (Bioactive compounds) उच्च रक्तचाप (Hypertension), हार्ट अटैक और स्ट्रोक आदि के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। 2014 में फ़यटोथेरपी अनुसंधान में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अनार का रस उच्च रक्तचाप वाले लोगों की हृदय संबंधी बीमारियों से रक्षा करता है।

 
 

जोड़ों और गठिया के दर्द को कम करने में मददगार-

 

अनार बीज के तेल में एंटीऑक्सीडेंट तत्व की प्रचुर मात्रा होती है। इसलिए यह तेल गठिया इलाज के लिए कारगर साबित होता है। इस तेल के इस्तेमाल से हाथ-पैरों के दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।

 
 

मुहांसों के लिए लाभदायक है-

 

अनार बीज के तेल में मौजूद जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मुहांसों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का खात्मा करते हैं। साथ ही लोगों की ऑयली स्किन में तेल के स्तर को सामान्य रखता है। इस प्रकार यह तेल मुहांसों और उसके निशान को ठीक करने में मददगार साबित होता है।

 
 

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है-

 

अनार विटामिन-सी से परिपूर्ण होता है। इसलिए यह प्रतिरक्षा गतिविधियों के लिए भी प्रभावी है। इसलिए अनार तेल के प्रयोग से शरीर को कई बाहरी तत्वों से बचाया जा सकता है।

 
 

वजन कम करने में सहयोगी है-

अनार बीज के तेल में उत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जो चयापचय को ठीक करके फैट को कम करने और शरीर की ऊर्जा को बढ़ाकर वजन घटाने में सहायता करते हैं। इससे शरीर फिट रहता है।

 
 

कैंसर के इलाज में कारगर है-

 

अनार बीज के तेल में मौजूद प्राथमिक सक्रिय घटक (पुनिसिक एसिड) स्तन कैंसर पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह तेल कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकता है। इस तेल में पाए जाने वाले फैटी एसिड, ओमेगा-5, जैसे तत्व भी कैंसर के उपचार में सहायता करते हैं।

 
 

अनार बीज तेल के नुकसान

  • कम रक्तचाप से पीड़ित लोगों को अनार बीज के तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों द्वारा रक्तचाप कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में एलर्जी पैदा कर सकता है।
  • अनार बीज के तेल का अधिक उपयोग करने से मतली, उल्टी, दस्त, पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • गर्भवती महिला इस तेल का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
 

कहां पाया जाता हैं अनार?

 

भारत में अनार के वृक्ष हर जगह पाए जाते हैं। लेकिन ज्यादातर अनार की खेती पश्चिमी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की पहाड़ियों पर होती है। भारत के अलावा ईरान और अफगानिस्तान में भी अनार की खेती की जाती है।

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अनानास के फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

अनानास के फायदे और नुकसान

अनानास एक फल है। जो शक्ति को बढ़ाने, भूखवर्धक और रक्त-पित्त विकार में लाभ पहुंचाने का काम करता है। यह स्वाद में खट्ठा-मीठा और रंग में सुनहरा होता है। अनानास में विटामिन-ए, विटामिन-सी, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर, कैल्शियम, थायमिन, पोटेशियम, मैंगनीज, फोलेट आदि तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें सोडियम और वसा कम मात्रा में होता है। जिस कारण यह डाइटिंग करने वाले व्यक्तियों के लिए लाभकारी होता है। अनानास में कई औषधीय गुण होते हैं। जिनकी मदद से यह बुखार को कम करने और पेशाब संबंधी समस्या में लाभ पहुंचाता है। इसके अतिरिक्त पेट की गैस, दर्द, एसिडिटी और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी अनानास मदद करता है। इसका वानस्पतिक नाम कॉमोजस अनानास या कॉमोजस पाइनएप्पल होता है।

 
अनानास के फायदे;

पाचन शक्ति के सुधार में लाभदायक है-

 

अनानास पाचन शक्ति को उत्तेजित करके आंत की अंदुरनी सतह को शांत करने में मदद करता है। इसमें घुलनशील एवं अघुलनशील दोनों ही तरह के फाइबर मौजूद होते हैं। जो पाचन और मल-त्याग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा इसमें ब्रोमेलैन नामक तत्व भी पाया जाता है, जो प्रोटीन को पचाने में मदद करता है। अनानास एक प्राकृतिक रेचक के रूप में कार्य करता है। जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है।

 
हड्डियों के स्वास्थ के लिए फायदेमंद-
 

अनानास में खनिज मैंगनीज प्रचुर मात्रा में होता है। जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है। मैंगनीज फ्री-रेडिकल क्षति से कोशिकाओं को बचाता है। जिससे कैंसर से बचाव के साथ वृद्धावस्था की प्रक्रिया धीमी होती है। ताजा अनानास का एक कप जूस शरीर में मैंगनीज़ की दैनिक आवश्यकता को 75 प्रतिशत तक पूरा करता है।

 
सूजन की समस्या में लाभप्रद-
 

अनानास में ब्रोमेलैन नामक तत्व मौजूद होता है। जो एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह तत्व शरीर को जलन और सूजन से छुटकारा दिलाता है। यह मांसपेशियों में होने वाले मामूली खिंचाव, मोच और चोट से जुड़ी सूजन को ठीक करने में मदद करता है।

 
खून की कमी में कारगर है-
 

शरीर में खून की कमी को दूर करने में अनानास का सेवन फायदेमंद होता है। क्योकि अनानास का सेवन शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ा देता है। जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में वृद्धि होती है और खून की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।

 
डिप्थीरिया रोग में फायदेमंद है-
 

अनानास में विटामिन-सी के साथ ब्रोमेलैन तत्व पाया जाता है। जो चेस्ट कंजेशन (सीने में जकड़न) को दूर करने में मदद करता है। इसी कारण अनानास का सेवन डिप्थीरिया रोग के लक्षणों को भी कम करने में भी मदद करता है।

 
कैंसर से बचाव में सहायक है-
 

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए अनानास का सेवन करना एक अच्छा है। क्योंकि अनानास में पाये जाने वाला विटामिन-सी कैंसर से बचाव करने में सहायता करता है।

 
तपेदिक (टीबी) में लाभदायक है-          
 

अनानास में एंटी ट्यूबरक्लोसिस एक्टिविटी पाई जाती है। जिसके कारण अनानास के जूस का सेवन करना टीबी के इलाज में फायदेमंद होता है।

 
अनानास के नुकसान;
  • अनानास में प्राकृतिक शर्करा उच्च मात्रा में होने के कारण यह मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा सकता है।
  • अधिक मात्रा में अनानास का उपभोग करने से जीभ, होंठ, और भीतरी गाल में सूजन हो सकती है।
  • किसी भी प्रकार की सर्जरी से एक दिन पहले और 15 दिन बाद तक अनानास या इसके जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अधिक मात्रा में अनानास का जूस पीने से गर्भ गिर सकता है।
कहां पाया जाता है अनानास?

अनानास ब्राजील में पाया जाने वाला एक जंगली पौधा है। भारत में अनानास फल मेघालय, असम, ओडिशा, पश्चिमी घाट, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक में पाया जाता है। यह केरल के समुद्री तटों तथा अण्डमान द्वीपसमूह में प्रचुर मात्रा में उगाया जाता है।

 
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Figs- Types, Benefits, and Side-effects

Posted 21 December, 2021

Figs- Types, Benefits, and Side-effects

Fig (Botanical name: Ficus carica), also known as Anjeer in Hindi, is a pulpy and succulent fruit and a very beneficial dry fruit. The taste of figs depends on the ripeness. The riper it is, the sweeter it is in taste. The flavor and medicinal properties of fig make it a beneficial and important ingredient. Because of its high sweetness, people use it in many sweets. Figs help in treating constipation, and colds. It also helps in curing lung and skin-related diseases.

 

 Fig types

 

Figs are of two types-

 
  • This type of fig is cultivated and grown. Its leaves and fruits are large.
  • These are wild figs. Its fruits and leaves are smaller than cultivated figs.

 Benefits of Figs

 

Use of Figs in Constipation-

 

Figs contain abundant fiber, which prevents constipation. It makes the bowel movement easier and regularizes it. By soaking figs in water overnight, eating in the morning, and drinking its water clears the stomach. It also improves digestive power and removes problems related to it.

 

 Use of Figs for Bones-

 

Figs are rich in calcium, magnesium, and potassium. These strengthen bones. It is beneficial in curing bone disorders such as osteoporosis.

 

 Benefits of Figs in preventing Heart Disease-

 

The intake of figs helps in reducing the level of triglyceride in the blood. Triglycerides are the fat particles present in the blood. People consider it a major cause of heart disease. Dried figs contain omega-3, phenol, and omega-6 fatty acids. These fatty acids reduce the risk of serious diseases such as coronary heart disease.

 

 Use of Figs for Eyes-

 

Macular degeneration in the eye with increasing age is the major reason for decreased eyesight. Consumption of figs slows down the process. Vitamin-A is abundant in figs. Hence figs help to increase eyesight and prevent macular degeneration.

 

Benefits of Eating Figs in Throat Pain-

 

Fig is also useful in relieving pain caused in the throat, as well as in cheek inflammation. It relieves pain by reducing the pressure on the vocal cords. Mixing fig paste with warm water and applying it to the throat also works to reduce pain and provides relief to the throat. It also cures cough and other respiratory system-related diseases.

 

Use of Figs for Urinary Problems-

 

The potassium present in figs controls the element released out of the body by urine. This helps to release the toxins from out of the body by stopping calcium degradation.

 

 Side-effects of Figs

 
  • Excessive consumption of figs can cause diarrhea.
  • The excessive quantity of sugar in dried figs can cause tooth decay.
  • Figs can also cause allergy, so for the first time use them in small quantities.
  • Eating too many figs in a single week can cause bleeding in the body’s digestive system.
  • Eating too many figs can also cause stomach problems.

 Cultivation of Figs

 

Cultivation of Figs is done in places where there is an enormous amount of lime in the ground. Figs grow outstandingly at such places.

 

Cultivation of figs in India is mainly done in the north-western regions and southern regions. Apart from this, figs are also found in the Mediterranean, Southwest Asia, and Middle Eastern parts.

 
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